बुद्धिपरक है श्रीमद्भगवद् गीता की शिक्षा दृष्टि : महामंडलेश्वर डा. शाश्वतानंद गिरि
ज्ञान और कर्म का सामंजस्य ऐसा हो कि कर्म होते हुए बंधन न हो, यही है गीता की मौलिकता। बुद्धि अपनी ओर देखती है तो दृष्टा, बाहर की ओर देखती…
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ज्ञान और कर्म का सामंजस्य ऐसा हो कि कर्म होते हुए बंधन न हो, यही है गीता की मौलिकता। बुद्धि अपनी ओर देखती है तो दृष्टा, बाहर की ओर देखती…