Category: साहित्य

साहित्य का मंच या शिकार की मंडी?….नई लेखिका आई है — और मंडी के गिद्ध जाग उठे हैं

नई लेखिकाओं के उभार के साथ-साथ जिस तरह साहित्यिक मंडियों में उनकी रचनात्मकता की बजाय उनकी देह, उम्र और मुस्कान का सौदा होता है — यह एक गहरी और शर्मनाक…

पद्मश्री डॉ. सुरेन्द्र दुबे को प्रदान किया गया ‘अल्हड़ बीकानेरी हास्य रत्न सम्मान’

साहित्य प्रेमी मंडल के 40 वर्षों की साहित्यिक यात्रा का भव्य उत्सव, अनेक विभूतियों का सम्मान नई दिल्ली, 21 अप्रैल। हिंदी भवन में साहित्य प्रेमी मंडल द्वारा अपनी स्थापना के…

सिंधी दिवस 10 अप्रैल 2025: सिंधी अंबाणी बोली… मिठीड़ी अबाणी बोली

भारत में हर समाज की मातृभाषा ही उसकी संस्कृति अभिव्यक्ति व समाज और व्यक्तित्व का प्रतिनिधित्व करती है। आओ भाषाओं की मिठास को पहचानें -सिंधियत की समृद्ध संस्कृति परंपराओं व…

प्रसिद्ध लेखिका ममता कालिया के जन्मदिन पर विशेष ! हार्दिक बधाई के साथ !

आज मिलिए प्रसिद्ध लेखिका ममता कालिया से ! **लेखक अपनी दुनिया खुद बनाता है और समाज में निराशा नहीं फैलाता : ममता कालिया -कमलेश भारतीय लेखक अपनी दुनिया खुद बनाता…

छूटी सिगरेट भी कम्बख्त : रवीन्द्र कालिया

पीढ़ियों के आरपार साफगोई से लिखे संस्मरण -कमलेश भारतीय जब एक माह पहले नोएडा सम्मान लेने गया तब समय तय कर प्रसिद्ध लेखिका ममता कालिया से मिलने गाजियाबाद भी गया…

सत्य के प्रयोग से लेकर विटनेस तक …….

-कमलेश भारतीय यदि आत्मकथा साहित्य की बात करें तो सबसे ज्यादा चर्चित आत्मकथा महात्या गांधी द्वारा लिखित सत्य के प्रयोग ही कही जा सकती है, जिसने पाठकों पर अमिट प्रभाव…

अभिमन्यु श्रृंखला का तीसरा उपन्यास ……. मुकेश भारद्वाज का ‘नक़्क़ाश’

आपराधिक घटना लेकिन राजनीति शिक्षा और समाज का चेहरा दिखाता उपन्यास -कमलेश भारतीय मुकेश भारद्वाज ‘जनसत्ता’ के संपादक हैं और राजनीति पर ‘बेबाक बोल’ साप्ताहिक स्तम्भ लिखते हैं और ‘नेता…

प्रेम प्यार वात्सल्य स्नेह मोहब्बत की सीमा अपरिमित होती है : डा. महेंद्र शर्मा।

कबीर जी की वाणीप्रेम न बारी उपजे प्रेम न हाट बिकाए ।राजा प्रजा जो ही रुचे सीस दिए लेह जाए।। आचार्य डॉ महेंद्र शर्मा “महेश” प्रेम प्यार वात्सल्य मोहब्बत स्नेह…

विष्णु प्रभाकर की जयंती पर कुछ यादें …….

-कमलेश भारतीय मित्र अरूण कहरवां ने आग्रह किया कि विष्णु प्रभाकर जी को स्मरण करूं कुछ इस तरह कि बात बन जाये । मैं फरवरी , 1975 में अहमदाबाद गुजरात…

लक्ष्मी का पत्र, पिता के नाम …….

साहित्यकार डॉ. सुरेश वशिष्ठ ओ मेरे आत्मिय, मेरे गुरुपिता !आपके श्रीचरणों में श्रद्धावत मेरा प्रणाम। हे गुरुपिता… मैंने कभी अपने जैविक पिता की सूरत नहीं देखी। माँ ने बताया था…