Category: साहित्य

दूसरों से बदला लेते लेते हम समाज में बदलाव लाना भूल गये : रमेश शर्मा

-कमलेश भारतीय दूसरों से बदला लेने लेते हम समाज में , देश में बदलाव लाना ही भूल गये । हम प्रकृति से , समाज से और देश से बदला लेने…

साहित्य का ‘उन्मेष’ होना बहुत जरूरी

-कमलेश भारतीय साहित्य का समाज स्थान तो है लेकिन अब आमजन के घरों में इसका प्रवेश निषेध जैसा है । पहले आमजन के घरों में कोई न कोई पत्रिका या…

महिलाओं की स्थिति में आए बदलाव को रेखांकित करने की कोशिश : शशि पुरवार

-कमलेश भारतीय सतयुग से कलयुग तक महिलाओं की स्थिति में बहुत बदलाव आए हैं और ‘सरस्वती सुमन’ पत्रिका के नारी विशेषांक ( साहित्य में नारी संवेदनाओं की अभिव्यक्ति ) इन्हीं…

बुकर पुरस्कार से उठे कुछ सवाल ,,,

-कमलेश भारतीय गीतांजलिश्री के हिंदी उपन्यास ‘रेत समाधि’ को मिले बुकर पुरस्कार से कुछ सवाल उठ खड़े हुए हैं जिन पर विचार होना चाहिए । इतना बड़ा पुरस्कार हिंदी उपन्यास…

मूसेवाला, पंजाबी गीत और संदेश

-कमलेश भारतीय पंजाब के संभवतः आजकल के सबसे चर्चित युवा गायक सिद्धू मूसेवाला की हत्या के बाद से अनेक मुद्दे और सवाल उठ रहे हैं । क्या मूसेवाला गन कल्चर…

कमलेश भारतीय की स्त्री पर लघुकथाएं…….

तिलस्म रात के गहरे सन्नाटे में किसी वीरान फैक्ट्री से युवती के चीरहरण की आवाज सुनी नहीं गयी पर दूसरी सुबह सभी अखबार इस आवाज को हर घर का दरवाजा…

मीडिया में हिंदी का बढ़ता वर्चस्व

-डॉ. पवन सिंह मलिक 30 मई ‘हिंदी पत्रकारिता दिवस’ देश के लिए एक गौरव का दिन है। आज विश्व में हिंदी के बढ़ते वर्चस्व व सम्मान में हिंदी पत्रकारिता का…