Category: साहित्य

हिंदी में पत्रकारिता और साहित्य के बीच पुल बचाने की जरूरत : राहुल देव

कमलेश भारतीय के कथा संग्रह का विमोचन गुरुग्राम : हिंदी में पत्रकारिता और साहित्य के बीच पुल बचाने की बहुत जरूरत है इस समय । यह कहना है प्रसिद्ध पत्रकार…

सूचनाएँ सरल हिंदी में दे सरकार: मुकेश शर्मा

गुरुग्राम । विश्व भाषा अकादमी (रजि.) के चेयरमैन मुकेश शर्मा ने केंद्र सरकार एवं हिंदीभाषी राज्य सरकारों से माँग की है कि जनहित की सूचनाएँ और कानूनी अधिसूचनाएँ सरल हिंदी…

कमलेश भारतीय के कथा संग्रह का विमोचन गुरुग्राम में

हिसार : हरियाणा ग्रंथ अकादमी के पूर्व उपाध्यक्ष एवं प्रसिद्ध कथाकार कमलेश भारतीय के नवप्रकाशित कथा संग्रह-यह आम रास्ता नहीं है का विमोचन कल गुरुग्राम में सायं पांच बजे होगा…

पूरे विश्व में लिखी और पढ़ी जा रही है सहज और प्रभावी लघुकथा

लघुकथा जीव-जगत की जटिलताओं को अत्यंत सहज और प्रभावी ढंग से सुलझाने का प्रयास करती है। वर्ष 2020 का 11000/- रुपये का ‘डॉ मनुमुक्त ‘मानव’ अंतरराष्ट्रीय लघुकथा-पुरस्कार’ बेल ऐर (मॉरीशस)…

साहित्यिक चोरों की पोल खोलती है ‘छापकटैया’

छापकटैया पुस्तक के माध्यम से प्रो. राजेंद्र बड़गूजर ने हर प्रकार के साहित्यिक चोरों की पोल खोल कर रख दी है. इन्होंने ऐसे लोगों के गोरखधंधों की पोल खोलकर सीधे-साधे…

लघुकथा : सत्य परिभाषित – डॉ सुरेश वशिष्ठ

सुंदर शहरों में ऐसी बहुत सी जगह हैं जहां हर शाम हमारे रहनुमाओं और दरबारियों का मिलन होता है । हम गरीबों का वहां जाना वर्जित है । वहां पहुंचकर…

वही पालकी देश की, जनता वही कहार। लोकतन्त्र के नाम पर, बदले सिर्फ सवार।।

ऐतिहासिक काव्य-संध्या में डॉ रामनिवास ‘मानव’ ने अपने अनेक हाइकु, द्विपदियां और दोहे सुनाकर समां बांध दिया। अन्तरराष्ट्रीय संस्था महिला काव्य-मंच द्वारा महात्मा गांधी और श्री लालबहादुर शास्त्री की स्मृति…

गुजवि की शोधछात्रा के शोध में कर्मियों के काम में अलगाव की भावना (वर्क एलीयनेशन)

-कमलेश भारतीय गुरु जम्भेश्वर विश्वविद्यालय के एमबीए विभाग की शोध छात्रा सुचेता बूरा का शोध है कि स्वदेशी और बहुराष्ट्रीय कम्पनियों के लगभग 25 प्रतिशत कर्मचारियों में काम के दौरान…

लोक जीवन के चितेरे छायाकार ओमप्रकाश कादयान

ऐतिहासिक, धर्मिक इमारतों-कुओं, तालाबों, छतरियाँ व बावड़ियाँ, किले आदि तथा इमारतों पर अंकित, मिटती जा रही भित्ति चित्राकला का छायांकन नगर-नगर, गांव-गांव, गली-गली, घर-आंगन जाकर कर रहे हैं। इसके साथ-साथ…