लघुकथा : छलावा
डा. सुरेश वशिष्ठ, गुरुग्राम मुझे शास्त्र का ज्ञान नहीं परंतु अनुभव से समझता हूं–“परम-आत्मा जब देह सजाते हैं, तब सर्वप्रथम उसमें प्राण फूँकते हैं । अंतर्मन के भाव सूरत में…
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डा. सुरेश वशिष्ठ, गुरुग्राम मुझे शास्त्र का ज्ञान नहीं परंतु अनुभव से समझता हूं–“परम-आत्मा जब देह सजाते हैं, तब सर्वप्रथम उसमें प्राण फूँकते हैं । अंतर्मन के भाव सूरत में…
बंटी शर्मा सुनारिया हर साल हिंदी दिवस 14 सितंबर को मनाया जाता है। इस दिन ही देवनागरी लिपि में हिंदी को भारत की आधिकारिक भाषा के रूप में अपनाया गया…
— डॉo सत्यवान सौरभ, आज हिंदी विश्व की जरूरत बन गई है तथा हर देश भारत के साथ मैत्री संबंधों की खिड़की हिंदी भाषा के माध्यम से ही खोलना चाहता…
युद्धवीर सिंह लांबा किसी भी देश की उन्नति में मातृभाषा, राष्ट्रीय भाषा या राजभाषा का महत्वपूर्ण योगदान होता है। 14 सितम्बर 1949 को संविधान सभा ने एक मत से यह…
डा. सुरेश वशिष्ठ, गुरुग्राम मेरी आकांक्षाओं और पिपासित होठों को उसने शांत कर दिया । जीवन में खुशी का अविरल स्रोत बहने लगा । तूफान, उसे मिलने के बाद ठहर…
मातृभाषा में पढाई वैचारिक समझ के आधार पर एक घरेलू प्रणाली के साथ सीखने और परीक्षा-आधारित शिक्षा की रट विधि को बदलने में मदद करेगा। जिसका उद्देश्य छात्र के अपनी…
–कमलेश भारतीय पंजाब की लेखकों की नयी पीढ़ी को वरिष्ठ लेखकों द्वारा प्रोत्साहन की कमी है । एक समय भीष्म साहनी , निर्मल वर्मा , यशपाल , मोहन राकेश और…
डा. सुरेश वशिष्ठ, गुरुग्राम छायाँजली बहुत दिनों से चुप थी । हृदयमित्र नवन्दु से किसी बात पर नाराजगी थी । बहस चली और दोनों में बातचीत बंद हो गई थी…
–कमलेश भारतीय पेंटिंग बनाने से मुझे सुकून मिलता है और लाॅकडाउन में मेरे इस शौक ने मुझे अकेला नहीं रहने दिया । यह कहना है पंजाब के लुधियाना की पेंटर…
–कमलेश भारतीय सांस्कृतिक क्षेत्र में योगदान दे पाऊं , बस इतना सा अरमान है । जो यात्रा तय की उसे पुस्तक रूप मे नयी पीढ़ी तक पहुंचा सकूं । यह…