Category: साहित्य

लोग सरल हिंदी चाहते हैं, क्लिष्ट नहीं : मुकेश शर्मा

मुकेश शर्मा मध्यप्रदेश में हिंदी में मेडिकल की पढ़ाई आरम्भ होने के साथ ही हिंदी भाषा एक बार फिर से चर्चा के केंद्र में आ गई है। इस विषय को…

दिल की बजाय दिमाग को शिक्षित करना शांतिपूर्ण समाज के लिए खतरा

मूल्य आधारित शिक्षाशास्त्र, अध्ययन सामग्री और कहानी सुनाने के विकास से बच्चों और समाज के दिमाग और दिल का समग्र विकास सुनिश्चित होगा। नैतिकता के बिना शिक्षा बिना कम्पास के…

हरियाणा की लेखिका प्रियंका सौरभ को आईपीएस मनुमुक्त मानव अंतर्राष्ट्रीय विशिष्ट युवा सम्मान

चीफ ट्रस्टी डॉ रामनिवास मानव ने बताया कि इस कार्यक्रम में दुनिया भर के देशों से अलग-अलग क्षेत्रों में काम करने वाले युवाओं को सम्मानित किया जाएगा और उनमें से…

कवि वास्तविक दुनिया का आईना रखते हैं।

कविता एक राजनीतिक कार्य है क्योंकि इसमें सच बोलना शामिल है। कवियों की अभिव्यक्ति दुनिया की सच्चाई को आवाज देती है। कवि कानून स्थापित कर सकते हैं और ज्ञान के…

हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के एम ए हिंदी पाठ्यक्रम में एस आर हरनोट की कहानी “जीनकाठी” शामिल

हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के एम.ए. हिंदी पाठ्यक्रम में एस आर हरनोट की बहु चर्चित कहानी “जीनकाठी” को शामिल किया गया है। हरनोट ने इसके लिए विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के…

खुशियाँ देख पड़ोस की……

-डॉ सत्यवान सौरभ ये कैसा पड़ोस है, किंचित नहीं तमीज।दया दर्द पर कम हुई, ज्यादा दिखती खीज।। ऐसा आस पड़ोस है, अपने में मशगूल।गायब है सद्भावना, जमी मनों पर धूल।।…

दिव्यांग काव्य वर्षा ने छू लिया नील गगन

-कमलेश भारतीय हिमाचल के कांगड़ा क्षेत्र की निवासी व एक दिव्यांग युवती काव्य वर्षा ने बिना विधिवत पढ़ाई किये साहित्य में नील गगन छू लिया । -कोई शिक्षा ?-विधिवत कोई…

व्य॔ग्य……. क्यों नहीं आते लेखक अच्छे अच्छे ,,,

-कमलेश भारतीय अपने देश के विश्वविद्यालयों में अभी तक सिर खफा रहे हैं शोधार्थी कि सूरदास वगैरह प्राचीन कवियों के जन्मस्थान कहां हैं ?बेचारे शोध छात्र क्या करें ? सूरदास…

हिंदी के मुकाबले अंग्रेजी बोलते समय इतनी पॉलिश क्यों दिखाई देती है?

भारत ने स्थानीय भाषाओं में निवेश नहीं किया है, चाहे वह उच्च गुणवत्ता वाली स्कूली शिक्षा हो या कला और साहित्य में निवेश हो। यदि हम आज यह निवेश करते…

दादा-दादी बिन हुआ……..

-डॉ सत्यवान सौरभ दादा बरगद-सा रखे, सौरभ सबका ध्यान।जिसे जरूरत जो पड़े, झट लाते सामान।। गाकर लोरीं रोज ही, करतीं खूब दुलार।दादी से घर में लगे, खुशियों का दरबार।। बुरे…