भारत सारथी/ऋषि प्रकाश कौशिक

गुरुग्राम। स्थानीय निकाय चुनाव की घोषणा होने के पश्चात से ही गुरुग्राम में चुनावी माहौल बनता नजर आ रहा है। इसमें भाजपा में यह सवाल बड़ा खड़ा हो रहा है कि पार्टी के लिए कार्य करने वाले समर्पित कार्यकर्ताओं को टिकट मिलेगी या नेताओं की हाजिरी देने वाले दरबारियों को?

कल रात भी भाजपा की कोर गु्रप की बैठक हुई और आज प्रात: भी कोर ग्रुप की बैठक हुई। मजेदारी की बात यह है कि आज प्रात: हुई कोर ग्रुप की बैठक की सूचना या प्रेस विज्ञप्ति भाजपा की ओर से जारी नहीं की गई, जबकि छोटी-छोटी बातों की सूचनाएं भी प्रेस के माध्यम से प्रकाशित कराती रहती है भाजपा।

कुछ सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार उस कोर ग्रुप की बैठक में गुरुग्राम, पटौदी और मानेसर निगमों के चुनाव के लिए उम्मीदवारों के चयन पर काफी जद्दोजहद हुई और कोई फैसला ले नहीं पाए। हालांकि कुछ सूत्र यह भी कहते हैं कि जहां निर्णय हो गया वहां ठीक, जहां नेता एकमत नहीं हो पाए, वहां अन्य नाम भी लिख हाईकमान के पास उनके फैसले के लिए छोड़ दिए हैं।

राव इंद्रजीत सिंह भी कोर ग्रुप की बैठक में शामिल हैं और 2011 में जब से सर्वप्रथम निगम चुनाव हुए तब भी उन्होंने बड़ा चैलेंज कर कहा था कि यह आन-बान-शान का सवाल है, मेयर टीम तो हमारी ही बनेगी। और बनी भी। और यहीं बात 2017 के चुनावों में भी दोहराई गई और मेयर टीम राव साहब की ही बनी।

इस बार मेयर चुनाव तो मतदान से हो रहा है लेकिन सीनियर डिप्टी मेयर और डिप्टी मेयर का चुनाव तो पार्षद ही करेंगे। अत: इसलिए राव इंद्रजीत सिंह कुछ सीटें अपने नाम से, कुछ विधायक मुकेश के नाम से, कुछ विधायक तेजपाल तंवर के नाम से और कुछ विधायक बिमला चौधरी के नाम पर मांग रहे हैं। और वह कम से कम 18-20 सीट 36 में से गुरुग्राम से और मानेसर तथा पटौदी में तो 75 प्रतिशत सीटों पर उनकी दावेदारी बताई जाती है।

राव इंद्रजीत सिंह के अतिरिक्त अन्य नेता भी सीटों पर दावेदारी प्रस्तुत कर रहे हैं, जिनमें सांसद धर्मबीर, सुनीता दुग्गल, कैप्टन अभिमन्यु आदि-आदि अनेक नाम हैं।

तो यहां प्रश्न यह खड़ा होता है कि कोर ग्रुप की बैठक होती है, उसमें कार्यकर्ता के कार्यों में बात नहीं होती है। बात केवल यह होती है कि अमुक नेता के नाम से इतने टिकट और अमुक नेता के नाम से इतने टिकट दिए जाएंगे और उसमें से भी एकमत नहीं हो पाते। ऐसे में बड़ा सवाल यह खड़ा होता है कि अपने आपको विश्व की सबसे बड़ी पार्टी बताने वाली भाजपा जिसका कहना है कि हमारी पार्टी में कार्यकर्ता की मेहनत और लगन देखी जाती है। भाई-भतीजावाद और परिवारवाद से दूर रहा जाता है, ऐसे में यह घटनाएं क्या दर्शाती हैं, मुझे शब्द नहीं मिल रहे कहने को, पाठक स्वयं अनुमान लगा लें कि सबसे बड़ी पार्टी नेताओं के सामने किस तरह मजबूर है?

वैसे गुरुग्राम की जनता और भाजपा के जो राव इंद्रजीत सिंह के कृपा पात्र नहीं हैं, उन कार्यकर्ताओं में यह चर्चा बड़े जोरों से चल रही है कि राव साहब आन-बान-शान से अपनी मेयर टीम तो बनाते हैं और अब भी बनाने को आतुर है परंतु उसी आन-बान-शान से यह जवाब देंगे कि गुरुग्राम निगम में जो भ्रष्टाचार चरम पर है, जिस गुरुग्राम का नाम विश्व में आदर से लिया जाता था, वह कूड़ाग्राम, सीवर समस्या, जाम और बदहाल के नाम से क्यों प्रसिद्ध हो रहा है? इसका जवाब देने की संपूर्ण जिम्मेदारी राव इंद्रजीत सिंह ही बनती है। देखते हैं आने वाले समय में यह चुनाव क्या-क्या रंग दिखाता है?

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