गुरुग्राम, 24 फरवरी 2025 – अधिवक्ताओं के आक्रोश और व्यापक विरोध को देखते हुए केंद्र सरकार ने प्रस्तावित अधिवक्ता संशोधन विधेयक को वापस ले लिया है। इस निर्णय को अधिवक्ताओं के संघर्ष और एकजुटता की बड़ी जीत बताया जा रहा है।

अधिवक्ताओं की एकजुटता ने सरकार को झुकाया

गुरुग्राम जिला बार एसोसिएशन के पूर्व प्रधान एवं वरिष्ठ अधिवक्ता चौधरी संतोख सिंह ने कहा कि देशभर में वकीलों के विरोध और असंतोष को देखते हुए सरकार को यह कदम उठाना पड़ा। उन्होंने कहा कि बिना किसी विचार-विमर्श के सरकार ने यह विधेयक तैयार किया था, जिसे अधिवक्ताओं ने अस्वीकार कर दिया।

सरकार बार काउंसिलों पर चाहती थी नियंत्रण

चौधरी संतोख सिंह के अनुसार, प्रस्तावित अधिवक्ता संशोधन विधेयक के जरिए सरकार देश की सभी बार एसोसिएशनों, राज्यों की बार काउंसिलों और बार काउंसिल ऑफ इंडिया पर नियंत्रण स्थापित करना चाहती थी। इसके अलावा, यह विधेयक वकीलों के धरना-प्रदर्शन और हड़ताल करने के संवैधानिक अधिकारों को भी सीमित करने का प्रयास था।

विरोध के बढ़ते दबाव के आगे झुकी सरकार

चौधरी संतोख सिंह ने कहा कि देशभर में बढ़ते जन समर्थन और अधिवक्ताओं की एकता को देखते हुए सरकार को यह “काला विधेयक” वापस लेना पड़ा। उन्होंने कहा कि यह फैसला वकील समुदाय की ताकत और संघर्ष की ऐतिहासिक जीत को दर्शाता है।

वकीलों ने जताया संतोष

विधेयक की वापसी के बाद, देशभर के अधिवक्ताओं ने संतोष व्यक्त किया और इसे न्यायपालिका की स्वतंत्रता बनाए रखने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम बताया।

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