सुप्रीम कोर्ट के वर्ष 2013 निर्णय का हवाला ‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌ देकर एडवोकेट ने उठाया मुद्दा

चंडीगढ़ – आगामी शुक्रवार 28 फरवरी 2025 को पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट बार एसोसिएशन, यूटी चंडीगढ़, पंजाब और हरियाणा दोनों राज्यों की सभी जिला बार एसोसिएशन और उपमंडल ( सब डिवीजन) बार एसोसिएशन में सम्बंधित जिला / उपमंडल बार एसोसिएशन के प्रधान, उप-प्रधान, सचिव, संयुक्त सचिव, कोषाध्यक्ष और कार्यकारिणी सदस्यों आदि पदों के निर्वाचन हेतु मतदान निर्धारित है.

इसी बीच पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट में एडवोकेट हेमंत कुमार (9416887788), जो हाई कोर्ट बार एसोसिएशन के एक मतदाता भी हैं, ने

हाई कोर्ट बार चुनाव के लिए विशेष तौर पर गठित चुनाव समिति के चेयरमैन कुलजीत सिंह सिद्धू, सीनियर एडवोकेट और साथ साथ पंजाब एवं हरियाणा बार काउंसिल के चेयरमैन डॉ. विजेंद्र सिंह अहलावत एवं काउंसिल के सभी सदस्यों, जिसमें हरियाणा के एडवोकेट जनरल परविन्द्र सिंह चौहान और पंजाब के एडवोकेट जनरल गुरमिन्द्र सिंह भी शामिल हैं, जो उक्त बार काउंसिल के पदेन (अपने पद के कारण) सदस्य होते है, को लिखकर सार्वजनिक अपील की है कि उपरोक्त बार एसोसिएशन चुनावों के मतदान के लिए वकीलों को मिलने वाले बैलट पेपर अथवा इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ई.वी.एम.) में नोटा( नॉन ऑफ़ द अबाव) अर्थात उपरोक्त में से कोई भी नहीं (NOTA ) का भी विकल्प शामिल किया जाना चाहिए.

उन्होंने देश के संविधान के अनुच्छेद 19 (1 ) (ए) का हवाला देते हुए, जो हर नागरिक को वाक्-स्वातंत्र्य और अभिव्यक्ति स्वातंत्र्य का मौलिक अधिकार देता है एवं साथ सितम्बर, 2013 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा पी.यू.सी.एल. बनाम भारत सरकार में दिए गए ऐतिहासिक निर्णय का सन्दर्भ देकर इस आशय में दलील दी है जिसके आधार पर सुप्रीम कोर्ट के उक्त निर्णय के बाद एमपी/एमएलए (सांसद/विधायक) और शहरी स्थानीय निकाय (म्युनिसिपल संस्थाओं) और पंचायती राज संस्थाओं के विभिन्न प्रतिनिधियों के चुनावों हेतु मतदान में चुनाव लड़ रहे उम्मीदवारों के नामों के साथ साथ नोटा का विकल्प का बटन भी हर ई.वी.एम. या बैलट पेपर पर दिया जाता है एवं अगर किसी मतदाता को चुनाव लड़ रहा कोई भी उम्मीदवार पसंद न आये, तो वह नोटा का बटन दबाकर या बैलट पेपर पर नोटा के विकल्प पर मुहर लगाकर सम्बंधित चुनाव लड़ रहे सभी उम्मीदवारों के विरूद्ध अपना विरोध जता सकता है.

हेमंत का कानूनी मत है कि इसी प्रकार बार एसोसिएशन चुनावों में भी हर ई.वी.एम. अथवा बैलट पेपर पर नोटा का विकल्प दिया जाना चाहिए. हालांकि अगर किसी वकील मतदाता को बार एसोसिएशन के विभिन्न पदों हेतु चुनाव लड़ रहे कोई या सभी उम्मीदवार पसंद नहीं है, तो या तो वह वकील मतदान करने ही न जाए या फिर वोट डालने जाए परन्तु सम्बंधित बैलट पेपर को खाली छोड़ सकता है या उस पर गलत ढ़ंग से मार्क लगाकर उसे अवैध/कैंसिल करवा सकता है हालांकि इसके बावजूद उपयुक्त यह होगा अगर ई.वी.एम. अथवा बैलट पेपर पर नोटा का विकल्प दिया जाए ताकि वह सीधे स्पष्ट रूप से चुनाव लड़ रहे सभी उम्मीदवारों की उम्मीदवारी के विरूद्ध नोटा के पक्ष में अपना मतदान कर अपना विरोध जता सके.

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