भारत सारथी/ऋषि प्रकाश कौशिक
गुरुग्राम। गुरुग्राम में निकाय चुनाव के लिए अनेक चर्चाओं से परिणाम यह निकला है कि यहां केवल भाजपा का भाजपा से मुकाबला है। कांग्रेस भी भाजपा में हो गई है। अत: मुकाबला भाजपा और भाजपा का ही है।
आज भाजपा के कुछ अधिकारियों से बात हुई कि भाजपा के सामने भाजपा ही चुनाव लड़ रही है तो उन्होंने कहा कि हमने सबको पार्टी से 6 वर्ष के लिए निष्कासित कर दिया है। तो मेरा प्रश्न था कि वे सब उम्मीदवार जो चुनाव लड़ रहे हैं, वे आपके संगठन में कुछ पदों पर आसीन नेताओं के आशीर्वाद से ही लड़ रहे हैं तो क्या उन नेताओं पर भी कार्यवाही होगी? इस पर किसी के पास कोई उत्तर नहीं बन पड़ा।
अनौपचारिक बातचीत में यह निष्कर्श निकला कि भाजपा से विधानसभा चुनाव में निष्कासित जो नेता थे, वे भी अब इन चुनाव में पुराने नेताओं के संपर्क में हैं और उन्हीं के आशीर्वाद से वर्तमान में निर्दलीय प्रत्याशी बनकर चुनाव मैदान में उतरे हुए हैं। अर्थात मुकाबला भाजपा का भाजपा से ही है।
पिछली बार निर्दलीय चुनाव लड़े प्रत्याशी नवीन गोयल के बारे में स्पष्ट तो कोई कुछ नहीं कह पाया लेकिन यह बात जरूर निकलकर आई कि वह अपने समर्थकों को कांग्रेस के उम्मीदवार के रूप में टिकट दिलाने में सफल रहे हैं। यहां तक भी कहा जा रहा है कि कांग्रेस की मेयर प्रत्याशी सीमा पाहूजा जोकि पिछले समय भाजपा की पार्षद रही थी, विधानसभ चुनाव में निर्दलीय नवीन गोयल के समर्थन में आ गई थी। और जिस दिन उन्हें कांग्रेस की ओर से मेयर की टिकट मिली, शायद उसी दिन वह कांग्रेस में सम्मिलित हुई थीं। इसके पीछे भी नवीन गोयल की रणनीति होने का संदेह जाहिर किया जा रहा है।
चर्चाओं से यह बात भी निकलकर आ रही है कि जो निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं, उन्हें भी किसी न किसी भाजपा के वरिष्ठ नेता का आशीर्वाद प्राप्त है। अत: वह जीतते ही फिर से भाजपा में सम्मिलित हो जाएंगे। भाजपा में यह पहले भी देखा गया है कि जो निष्कासित किया जाता है, वह 6 वर्ष के लिए किया जाता है लेकिन 2017 के चुनाव में भी निर्दलीय जीतने के बाद भाजपाई हो गए थे।
इस बात पर याद आया कि कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष उदयभान ने तो इसमें रिकॉर्ड ही कायम कर दिया। जिस उम्मीदवार ने अपना नोमिनेशन वापिस ले लिया था, उसे 6 वर्ष के लिए पार्टी से निष्कासित कर दिया था लेकिन 6 दिन भी नहीं गुजरे, उससे पूर्व ही उसे पार्टी में लेने की बात कर दी। इस पर एक पुराने गाने की पंक्तियां याद आई:
मंझदार में नैय्या डूबे तो मांझी पार लगाए- जब मांझी ही नाव डुबोए तो उसे कौन बचाए।
इसी प्रकार की चीजें दोनों पार्टियों में नजर आ रही है। कांग्रेस के बिना संगठन बने ही प्रभारी बने पार्टी समर्पित कांग्रेस कार्यकर्ताओं को छोड़ अन्य को टिकट दे रहे हैं। और इसी प्रकार गुरुग्राम भाजपा की बात करें तो गुरुग्राम भाजपा जिला अध्यक्ष भी इस बात में पीछे नजर नहीं आते। कुछ चर्चाएं ऐसी सुनी हैं कि कुछ निर्दलीय उम्मीदवारों को उनका भी समर्थन है। इनमें कितनी सच्चाई है, यह तो समय बताएगा, क्योंकि वर्तमान में जो दिखाई दे रहा है, वह यह है कि भाजपा यदि एकजुट होकर लड़े तो 36 की 36 सीटों पर विजयी हो।