चंडीगढ़, 4 मार्च 2025 – हरियाणा में नगर निगम मेयर चुनाव की प्रक्रिया को लेकर बड़ा कानूनी असमंजस सामने आया है। भले ही पिछले साढ़े छह वर्षों से नगर निगम मेयर का चुनाव प्रत्यक्ष प्रणाली से कराया जा रहा हो, लेकिन कानून में आज भी अप्रत्यक्ष चुनाव का प्रावधान बरकरार है।

कानून में संशोधन न होने से बना विरोधाभास

पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के एडवोकेट एवं नगर निगम कानून विशेषज्ञ हेमंत कुमार ने बताया कि सितंबर 2018 में हरियाणा विधानसभा ने कानून में संशोधन कर नगर निगम मेयर का प्रत्यक्ष चुनाव कराने की व्यवस्था लागू की थी, लेकिन हरियाणा नगर निगम अधिनियम, 1994 की धारा 53 में जरूरी संशोधन नहीं किया गया।

इसका नतीजा यह है कि कानून के अनुसार अभी भी नगर निगम के आम चुनाव के बाद पहली बैठक में पार्षदों द्वारा अप्रत्यक्ष रूप से मेयर का चुनाव करने का प्रावधान मौजूद है।

2 मार्च को 9 नगर निगमों में हुआ मतदान

रविवार, 2 मार्च 2025 को हरियाणा की 7 नगर निगमों – फरीदाबाद, गुरुग्राम, हिसार, करनाल, मानेसर, रोहतक और यमुनानगर में मेयर पद के लिए और 2 नगर निगमों – अंबाला और सोनीपत में 10 महीने के लिए मेयर उपचुनाव हेतु मतदान हुआ।

मतदान प्रतिशत:

  • सबसे अधिक – मानेसर (67.3%)
  • सबसे कम – सोनीपत (28.8%)
  • अन्य नगर निगमों में मतदान प्रतिशत:
    • अंबाला – 31.9%
    • फरीदाबाद – 40.9%
    • गुरुग्राम – 41.9%
    • हिसार – 52.1%
    • करनाल – 48.8%
    • रोहतक – 53.3%
    • यमुनानगर – 53.5%

कानूनी पेच: धारा 53 बनाम चुनाव नियमावली

एडवोकेट हेमंत कुमार ने बताया कि धारा 53 के अनुसार, नगर निगम चुनाव के बाद पहली बैठक में मंडल आयुक्त की अध्यक्षता में मेयर का चुनाव करवाने का प्रावधान अभी भी मौजूद है।

हालांकि, 14 नवंबर 2018 को हरियाणा नगर निगम निर्वाचन नियमावली, 1994 में संशोधन कर यह तय किया गया था कि पहली बैठक में सिर्फ निर्वाचित मेयर और पार्षदों को शपथ दिलाई जाएगी।

इस तरह, धारा 53 और संशोधित चुनाव नियमों में स्पष्ट विरोधाभास बना हुआ है, जिससे कानूनी उलझन खड़ी हो गई है।

क्या कहता है कानून?

हेमंत कुमार के अनुसार, अगर किसी अधिनियम (कानून) और उसके तहत बनाए गए नियमों में विरोधाभास हो, तो अधिनियम (कानून) की धाराएं ही सर्वोपरि मानी जाती हैं।

हरियाणा नगर निगम निर्वाचन नियमावली, 1994 हरियाणा नगर निगम अधिनियम, 1994 की धारा 32 के तहत बनाई गई है, इसलिए जब तक धारा 53 में संशोधन नहीं होता, तब तक कानूनी रूप से अप्रत्यक्ष चुनाव का प्रावधान बरकरार रहेगा।

राज्य निर्वाचन आयोग को भेजा गया पत्र

हेमंत कुमार ने हाल ही में राज्य निर्वाचन आयोग को पत्र लिखकर अनुरोध किया कि सरकार तुरंत हरियाणा नगर निगम अधिनियम, 1994 की धारा 53 में संशोधन करे।

उन्होंने मांग की कि यह संशोधन 4 अक्टूबर 2018 से लागू किया जाए, यानी जब से हरियाणा नगर निगम (दूसरा संशोधन) अधिनियम, 2018 प्रभावी हुआ था।

भविष्य में कानूनी विवाद की आशंका

अगर जल्द धारा 53 में संशोधन नहीं किया गया, तो आगामी दिनों में मेयर चुनावों पर कानूनी विवाद खड़ा हो सकता है। एडवोकेट हेमंत कुमार ने आगाह किया कि अगर यह मामला अदालत में गया, तो राज्य सरकार और निर्वाचन आयोग के लिए मुश्किलें खड़ी हो सकती हैं।

समाधान क्या है?

  • सरकार को तुरंत धारा 53 में संशोधन करना होगा।
  • संशोधन को 2018 से प्रभावी मानते हुए इसे पूरी तरह से प्रत्यक्ष प्रणाली के अनुसार बनाया जाए।
  • निर्वाचन आयोग को राज्य सरकार से इस मुद्दे पर त्वरित कार्रवाई करने का आग्रह करना चाहिए।

निष्कर्ष

हरियाणा में नगर निगम मेयर चुनाव को लेकर कानूनी उलझन अभी भी बनी हुई है। जब तक धारा 53 में संशोधन नहीं होता, तब तक अप्रत्यक्ष प्रणाली कानूनी रूप से प्रभावी बनी रहेगी। अगर जल्द सरकार इस पर फैसला नहीं लेती, तो यह मुद्दा आने वाले दिनों में बड़ा विवाद बन सकता है।

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