गरीब बच्चों की शिक्षा पर संकट, प्राइवेट स्कूल संचालकों की मनमानी पर सरकार मौन
चंडीगढ़, 06 मार्च – अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की महासचिव, पूर्व केंद्रीय मंत्री और सिरसा से सांसद कुमारी सैलजा ने प्रदेश की भाजपा सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार शिक्षा व्यवस्था को कमजोर करने पर तुली हुई है। सरकारी स्कूलों की गुणवत्ता सुधारने के बजाय सरकार प्राइवेट स्कूलों को बढ़ावा देने में लगी है, जिससे गरीब और मध्यम वर्ग के बच्चों की शिक्षा खतरे में पड़ सकती है। उन्होंने कहा कि शिक्षा हर नागरिक का मौलिक अधिकार है और सरकार को इसे किसी भी हाल में निजी हाथों में सौंपने की कोशिश नहीं करनी चाहिए।
उन्होंने चिराग योजना पर सवाल उठाते हुए कहा कि सरकार इस योजना के तहत गरीब बच्चों को प्राइवेट स्कूलों में भेज रही है, जबकि बेहतर होगा कि उन्हीं संसाधनों का इस्तेमाल सरकारी स्कूलों की हालत सुधारने में किया जाए।
आंकड़ों से स्पष्ट होता है सरकारी शिक्षा की अनदेखी
कुमारी सैलजा ने आंकड़ों का हवाला देते हुए बताया कि हरियाणा में कुल 14,303 सरकारी स्कूल और 9,216 प्राइवेट स्कूल हैं। इसके बावजूद, सरकारी स्कूलों में 40.51% बच्चे पढ़ते हैं, जबकि प्राइवेट स्कूलों में 59.49% बच्चे शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं।
उन्होंने कहा, “अभिभावक सरकारी स्कूलों पर भरोसा नहीं कर पा रहे हैं क्योंकि सरकार ने शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने पर ध्यान ही नहीं दिया। अगर सरकारी स्कूलों की शिक्षा बेहतर होती, तो लोग प्राइवेट स्कूलों का रुख ही क्यों करते?”
उन्होंने यह भी बताया कि अंबाला, सिरसा, फतेहाबाद और नूंह जिलों में शिक्षा की स्थिति को लेकर सरकार खुद मानती है कि विशेष ध्यान देने की जरूरत है, लेकिन कोई ठोस कदम नहीं उठाया जा रहा। नूंह जिले की स्थिति सबसे खराब है, जहां शिक्षा व्यवस्था चरमरा चुकी है, लेकिन सरकार मूकदर्शक बनी हुई है।
प्राइवेट स्कूलों की मनमानी पर सरकार क्यों चुप?
कुमारी सैलजा ने याद दिलाया कि भाजपा सरकार पहले भी गरीब बच्चों के लिए एक योजना लेकर आई थी, लेकिन प्राइवेट स्कूलों ने सरकार की कोई बात नहीं मानी। उन्होंने कहा, “प्राइवेट स्कूलों में दाखिले को लेकर मनमानी होती रही और सरकार हाथ पर हाथ धरे बैठी रही।”
अब हरियाणा चिराग योजना के तहत सरकार गरीब बच्चों को प्राइवेट स्कूलों में भेजने की नीति बना रही है, जिससे यह साफ़ हो जाता है कि सरकार खुद प्राइवेट स्कूलों को प्रोत्साहित कर रही है। उन्होंने कहा कि सरकार जो पैसा चिराग योजना पर खर्च करने जा रही है, यदि वही सरकारी स्कूलों के बुनियादी ढांचे, शिक्षकों की भर्ती और शिक्षा सामग्री पर लगाया जाता, तो सरकारी स्कूलों की गुणवत्ता में सुधार होता और गरीब बच्चे बेहतर शिक्षा से वंचित नहीं होते।
सरकारी स्कूलों को साजिशन खत्म करने की योजना?
कुमारी सैलजा ने आशंका जताई कि सरकार एक साजिश के तहत सरकारी स्कूलों को धीरे-धीरे बंद कर शिक्षा को पूरी तरह से प्राइवेट स्कूलों और कॉलेजों के हवाले करना चाहती है। इससे प्राइवेट स्कूलों की मनमानी बढ़ेगी और फीस के नाम पर तरह-तरह के शुल्क वसूले जाएंगे। यदि ऐसा हुआ, तो गरीब परिवारों के बच्चों के लिए उच्च शिक्षा तो दूर, माध्यमिक शिक्षा भी एक सपना बनकर रह जाएगी।
सरकारी स्कूलों पर भरोसा बहाल करना जरूरी
कुमारी सैलजा ने सरकार से सरकारी स्कूलों के प्रति जनता में विश्वास बहाल करने की अपील की। उन्होंने कहा कि सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि:
- हर सरकारी स्कूल में बुनियादी सुविधाएं हों, जैसे कि चारदीवारी, शुद्ध पेयजल और स्वच्छ शौचालय।
- स्कूलों के भवनों का निर्माण जल्द पूरा हो, ताकि बच्चों की पढ़ाई प्रभावित न हो।
- शिक्षकों की पर्याप्त नियुक्ति हो, ताकि पढ़ाई का स्तर सुधरे।
- सरकार प्रत्येक बच्चे को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने के लिए प्रतिबद्ध हो।
निष्कर्ष:
सरकारी स्कूलों की लगातार अनदेखी और प्राइवेट स्कूलों को बढ़ावा देना यह दिखाता है कि सरकार शिक्षा के निजीकरण की दिशा में आगे बढ़ रही है। यदि सरकार वाकई शिक्षा में सुधार चाहती है, तो उसे निजी स्कूलों को बढ़ावा देने के बजाय सरकारी स्कूलों की गुणवत्ता में सुधार लाने पर ध्यान देना चाहिए। वरना आने वाले समय में शिक्षा गरीबों की पहुंच से बाहर हो जाएगी, जिससे समानता और सामाजिक न्याय की नींव कमजोर होगी।