गुरिंदरजीत सिंह ने बताया— क्यों नहीं निकले लोग वोट डालने?

गुरुग्राम नगर निगम (एमसीजी) चुनाव को लेकर जनता में उत्साह होना चाहिए था, लेकिन मतदान प्रतिशत ने निराश कर दिया। समाजसेवी गुरिंदरजीत सिंह अर्जुन नगर ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि गुरुग्राम की जनता एमसीजी की कार्यशैली से त्रस्त थी। शहर को “कूड़ाग्राम” बना दिया गया था—सीवर का गंदा पानी गलियों में बह रहा था, टूटी सड़कें, गड्ढे और जलभराव की समस्याओं से शहर बेहाल था। ऐसे में जनता को एमसीजी चुनाव का इंतजार नेताओं से कहीं अधिक था, लेकिन मतदान प्रतिशत सबसे निम्न स्तर पर रहा।

कम मतदान के मुख्य कारण

1. चुनाव की तारीख पर सवाल

गुरिंदरजीत सिंह ने कहा कि इतने लंबे इंतजार के बाद चुनाव बच्चों की वार्षिक परीक्षाओं के बीच क्यों कराए गए? अगर दो साल तक चुनाव नहीं हुए, तो क्या यह परीक्षा के महीने से पहले या बाद में नहीं हो सकते थे?

2. रविवार को चुनाव: घरों से नहीं निकले लोग

रविवार को चुनाव होने के कारण भी लोग मतदान केंद्रों तक नहीं पहुंचे। अवकाश के कारण कई परिवार घरेलू कार्यों, घूमने या अन्य निजी कार्यों में व्यस्त रहे

3. प्रशासन की उदासीनता और जागरूकता की कमी

प्रशासन का चुनाव प्रचार ढीला रहा, जिससे मतदाताओं में जागरूकता और जोश की कमी दिखी। कई लोगों को यह भी नहीं पता था कि उनका मतदान केंद्र कहाँ है और किस वार्ड में वोट डालना है

4. SC समाज में असंतोष

एससी समाज की आरक्षित सीटों की संख्या को 6 से घटाकर 3 किया गया, जिससे समाज में रोष था। इसके खिलाफ कई ज्ञापन सौंपे गए, लेकिन सरकार ने कोई सुनवाई नहीं की। नतीजा यह रहा कि SC समाज के कई लोगों ने मतदान का बहिष्कार किया

5. राजनीतिक दलों की निष्क्रियता

एमसीजी चुनाव में कई प्रमुख राजनीतिक दलों ने गंभीरता नहीं दिखाई। कई वार्डों में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के कमजोर उम्मीदवारों के कारण मतदाता उदासीन रहे।

6. मेयर पद के लिए सीमित विकल्प

मेयर पद को आरक्षित कर दिया गया और केवल दो उम्मीदवारों को मैदान में उतारा गया। जिन मतदाताओं को ये दोनों पसंद नहीं थे, उन्होंने मतदान से दूरी बना ली।

7. वार्डबंदी से हुई असमंजस की स्थिति

वार्डों की बार-बार बदली गई सीमाओं के कारण कई मतदाता भ्रमित हो गए। कई कॉलोनियों को एक वार्ड से दूसरे में डाल दिया गया, जिससे लोगों को यह तक पता नहीं चला कि उनका वोट कौन से वार्ड में है

8. पिछली सरकारों की उदासीनता और जनता की निराशा

बीजेपी पार्षदों के खिलाफ वोट डालने वाले मतदाता कांग्रेस की ओर देख रहे थे, लेकिन कांग्रेस ने कई ऐसे उम्मीदवार उतारे, जिन्हें जनता ने पहले कभी नहीं देखा था। ऐसे में कई लोग मतदान से दूर रहे

9. चुनावी थकान

पिछले साल हुए लोकसभा और विधानसभा चुनावों के बाद मतदाताओं में चुनावी थकान देखी गई।

अब आगे क्या?

गुरिंदरजीत सिंह ने कहा कि जनता कल भी परेशान थी और आज भी मूलभूत सुविधाओं के लिए संघर्ष कर रही है। अब देखना यह होगा कि नए पार्षद जनता के लिए क्या करते हैं और हारे हुए उम्मीदवार जनता की आवाज़ उठाते हैं या नहीं। यदि नहीं, तो क्या यह जिम्मेदारी फिर से समाजसेवियों को ही उठानी पड़ेगी?

गुरुग्राम की जनता अब इंतजार करेगी कि जीते हुए उम्मीदवार वास्तव में बदलाव लाते हैं या नहीं।

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