
चंडीगढ़, रेवाड़ी, 11 मार्च 2025 – स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष वेदप्रकाश विद्रोही ने अहीरवाल क्षेत्र में गहराते जल संकट पर सरकार की निष्क्रियता को कठघरे में खड़ा किया है। उनका आरोप है कि नहरी पानी आधारित पेयजल योजनाओं के लिए पर्याप्त वाटर टैंक न होने से पूरे अहीरवाल में पानी की किल्लत बनी रहती है।
विद्रोही ने कहा कि जवाहरलाल नेहरू कैनाल और महेंद्रगढ़ कैनाल में पानी की अनियमित आपूर्ति के कारण अधिकांश क्षेत्रों में महीने के 15-20 दिन तक जलापूर्ति होती है, जबकि शेष 10-20 दिनों तक लोगों को जल राशनिंग का सामना करना पड़ता है। यह समस्या पिछले दस वर्षों से लगातार बनी हुई है, लेकिन सरकार कोई ठोस कदम उठाने में विफल रही है।
रेवाड़ी में सबसे गंभीर स्थिति
विद्रोही के अनुसार, रेवाड़ी शहर की हालत सबसे दयनीय है। यहां पिछले दस वर्षों से पानी संग्रहण के लिए कोई वाटर टैंक ही नहीं है। इसके चलते हर पंद्रह दिन बाद नागरिकों को 15-20 दिनों तक पानी की भारी किल्लत का सामना करना पड़ता है। यह स्थिति सरकार की पेयजल योजनाओं की पूरी तरह से विफलता को दर्शाती है।
सरकार की नीति पर उठते गंभीर सवाल
विद्रोही ने सवाल उठाया कि जब सरकार पीने के पानी की भी राशनिंग करने पर मजबूर हो, तो इससे स्पष्ट होता है कि भाजपा सरकार अहीरवाल के नागरिकों की मूलभूत आवश्यकताओं को लेकर कितनी उदासीन है।
उन्होंने सरकार की भूमि अधिग्रहण नीति पर भी सवाल उठाते हुए कहा कि—
- पिछले दस वर्षों से वाटर टैंक के लिए जमीन की ‘तलाश’ की जा रही है, लेकिन अब तक कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया।
- भाजपा सरकार मुफ्त में या बेहद कम कीमत पर जमीन चाहती है, जो कि व्यावहारिक रूप से संभव नहीं है।
- क्या भूमि अधिग्रहण सरकार की संवैधानिक जिम्मेदारी नहीं है? जब सड़कें और अन्य परियोजनाओं के लिए भूमि अधिग्रहण होता है, तो पेयजल जैसी बुनियादी सुविधा के लिए सरकार यह कदम क्यों नहीं उठाती?
भूमि अधिग्रहण कानून 2013 के तहत जमीन क्यों नहीं खरीदी जाती?
विद्रोही ने मांग की कि राज्य सरकार को भूमि अधिग्रहण कानून 2013 के तहत किसानों को बाजार भाव से चार गुना अधिक मुआवजा देकर वाटर टैंक निर्माण के लिए भूमि अधिग्रहित करनी चाहिए।
उन्होंने अहीरवाल के सभी विधायकों से अपील की कि—
- वर्तमान बजट सत्र में मुख्यमंत्री पर दबाव डालें, ताकि वाटर टैंक निर्माण के लिए पर्याप्त धनराशि आवंटित की जाए।
- इस मुद्दे को सर्वोच्च प्राथमिकता पर रखा जाए, ताकि अहीरवाल के नागरिकों को जल्द से जल्द राहत मिल सके।
सरकार कब देगी जवाब?
दस वर्षों से अहीरवाल के लोग बूंद-बूंद पानी के लिए तरस रहे हैं, लेकिन सरकारें केवल घोषणाओं तक सीमित हैं। क्या इस बार भी जनता को सिर्फ आश्वासनों से ही संतोष करना होगा, या वास्तव में कोई ठोस समाधान निकलेगा? अब समय आ गया है कि सरकार अपनी संवैधानिक जिम्मेदारी निभाए और अहीरवाल के लोगों को उनके हक का पानी उपलब्ध कराए।