“बिना एफआईआर ईडी की चार्जशीट: लोकतंत्र पर गहराता संकट – विद्रोही”
“नेशनल हेराल्ड केस में ईडी की कार्रवाई तानाशाही की मिसाल: वेदप्रकाश विद्रोही”

नई दिल्ली, 16 अप्रैल 2025 – स्वयंसेवी संस्था ‘ग्रामीण भारत’ के अध्यक्ष वेदप्रकाश विद्रोही ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा नेशनल हेराल्ड मामले में बिना किसी एफआईआर और बिना किसी वित्तीय लेन-देन के कांग्रेस नेताओं के खिलाफ पीएमएलए के तहत चार्जशीट दाखिल करने को लोकतंत्र के इतिहास की “अनोखी और पहली घटना” करार दिया है। उन्होंने इसे संविधान और कानून की मूल भावना के खिलाफ बताते हुए गंभीर चिंता जताई है।
विद्रोही ने कहा, “यह मामला लोकतंत्र को शर्मसार करने वाला है। बिना उचित कानूनी प्रक्रिया और बिना किसी प्राथमिक साक्ष्य के यदि ईडी जैसी संस्था चार्जशीट दाखिल कर सकती है, तो यह देश की न्यायिक व्यवस्था और संविधान के लिए एक गंभीर खतरे का संकेत है।”
उन्होंने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह सत्ता का दुरुपयोग कर रहे हैं और इस कार्रवाई को “बदले की राजनीति” का हिस्सा बताया। विद्रोही ने दावा किया कि इस तरह की तानाशाही प्रवृत्तियां भारत के लोकतंत्र को ‘बनाना रिपब्लिक’ की दिशा में धकेल सकती हैं।
उन्होंने कहा कि भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी द्वारा 2012 में दायर की गई निजी शिकायत पर अब तक गवाही भी शुरू नहीं हुई है। कोर्ट ने अभी तक यह भी तय नहीं किया है कि इस मामले में ट्रायल चलेगा या नहीं। “ऐसे में ईडी द्वारा पीएमएलए के तहत चार्जशीट दाखिल करना न केवल असंवैधानिक है, बल्कि न्यायिक प्रक्रिया की मूल आत्मा के विपरीत भी है,” उन्होंने कहा।
विद्रोही ने न्यायपालिका की स्वतंत्रता पर भी सवाल उठाए और कहा कि यदि सुप्रीम कोर्ट ने इस पर स्वत: संज्ञान लेकर सख्त रुख नहीं अपनाया, तो भारत की न्यायिक साख को अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारी नुकसान पहुंचेगा। उन्होंने चेतावनी दी कि “यदि यह प्रवृत्ति नहीं रुकी, तो भारत की लोकतांत्रिक नींव डगमगा सकती है।”
उन्होंने मांग की कि सुप्रीम कोर्ट इस मामले में हस्तक्षेप कर ईडी की भूमिका की जांच कराए और यह सुनिश्चित करे कि राजनीतिक बदले की भावना से कोई संवैधानिक संस्था संचालित न हो।