RTE के तहत दाखिले में आनाकानी, सरकार के आदेशों की खुलेआम अवहेलना

गुरुग्राम, 18 अप्रैल। समाजसेवी इंजीनियर गुरिंदरजीत सिंह ने आरोप लगाया है कि गुरुग्राम समेत प्रदेश के कई निजी स्कूल शिक्षा का अधिकार अधिनियम (RTE-2009) के तहत गरीब बच्चों को दाखिले देने से कतराते हैं। उन्होंने सवाल उठाया कि सरकार द्वारा 25 प्रतिशत सीटें आरक्षित करने के बावजूद, स्कूलों द्वारा इस आदेश की अनदेखी क्यों की जा रही है?

गुरिंदरजीत ने कहा कि “कक्षाएं 1 अप्रैल से शुरू हो चुकी हैं, लेकिन RTE के दाखिले अभी तक शुरू ही नहीं हुए। आखिर गरीब बच्चों की शिक्षा को लेकर सरकार इतनी सुस्त क्यों है?”

30 प्रतिशत निजी स्कूलों ने नहीं शुरू की दाखिला प्रक्रिया

गुरिंदरजीत सिंह के अनुसार, प्रदेश के लगभग 30 प्रतिशत निजी स्कूलों ने अभी तक RTE के तहत पहली कक्षा व पूर्व-प्राथमिक कक्षाओं में दाखिले की प्रक्रिया शुरू नहीं की है, जबकि पोर्टल पर आवेदन की अंतिम तिथि 21 अप्रैल है। उन्होंने आशंका जताई कि यदि समय पर कार्रवाई नहीं हुई, तो सैकड़ों गरीब बच्चों का शैक्षणिक भविष्य अंधकारमय हो सकता है।

शिक्षा मंत्री के आदेशों की हो रही अनदेखी?

उन्होंने हैरानी जताई कि “क्या शिक्षा मंत्री महिपाल ढांडा के आदेशों का इन स्कूलों पर कोई असर नहीं होता? जब सभी निजी स्कूलों को स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं, तब भी दाखिले न करना गंभीर लापरवाही है।”

कानून की अवहेलना करने वालों पर कार्रवाई क्यों नहीं?

गुरिंदरजीत सिंह ने प्रशासन से सवाल पूछा कि जो स्कूल RTE और राज्य सरकार के आदेशों को नहीं मान रहे, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई क्यों नहीं की जा रही?
“क्या ये स्कूल किसी राजनीतिक संरक्षण में हैं जो कानून को ठेंगा दिखा रहे हैं?” उन्होंने कहा कि अगर कोई स्कूल बार-बार दाखिला देने से इनकार करता है, तो उसकी मान्यता रद्द कर देनी चाहिए।

ऑनलाइन आवेदन प्रणाली बनी चुनौती

गुरिंदरजीत ने कहा कि सरकार सिर्फ खानापूर्ति कर रही है।
“ऑनलाइन पोर्टल या तो काम नहीं करता या उसकी स्पीड बेहद कम होती है।” गरीब माता-पिता के लिए ये प्रक्रिया बेहद कठिन है। बहुत से लोग पढ़े-लिखे नहीं हैं, जिन्हें कैफे में पैसे देकर फॉर्म भरवाने पड़ते हैं, और कुछ स्कूल तो हाथ से भरे फॉर्म भी नहीं ले रहे — जिससे परिजनों को स्पीड पोस्ट का सहारा लेना पड़ता है।

दाखिले की प्रक्रिया इतनी देर से क्यों शुरू होती है?

“जब निजी स्कूल जनवरी-फरवरी से ही दाखिले शुरू कर देते हैं, तो RTE दाखिला प्रक्रिया 1 अप्रैल के बाद क्यों?”
उन्होंने कहा कि सरकार को नए शिक्षा सत्र से पहले ही RTE प्रक्रिया पूरी करनी चाहिए, ताकि गरीब बच्चों को भी पूरे सत्र का लाभ मिल सके।

समाधान और माँग

गुरिंदरजीत सिंह ने सरकार से माँग की कि:

  • प्रत्येक मान्यता प्राप्त निजी स्कूल की सीटों की सूची सार्वजनिक की जाए।
  • दाखिला न देने वाले स्कूलों पर तत्काल सख्त कार्रवाई की जाए।
  • ऑनलाइन पोर्टल को सुगम व सरल बनाया जाए।
  • जरूरतमंद अभिभावकों के लिए हेल्प डेस्क की व्यवस्था हो।

निष्कर्ष

गुरिंदरजीत सिंह ने दोटूक कहा कि “अगर सरकार वास्तव में गरीब बच्चों को शिक्षा का अधिकार देना चाहती है, तो उसे दिखावे के बजाय ठोस कार्रवाई करनी होगी। RTE को मज़बूती से लागू करना सरकार की प्राथमिकता होनी चाहिए, न कि औपचारिकता।”

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