कांग्रेस का आरोप— भाजपा सरकार का मकसद विपक्ष को डराना, गांधी परिवार को बनाना निशाना

स्वतंत्रता संग्राम से जुड़ी धरोहर को बदनाम करने की कोशिश, ईडी का दुरुपयोग चरम पर: कांग्रेस

भाजपा खुद देती है आरएसएस से जुड़े पत्रों को विज्ञापन, फिर नेशनल हेराल्ड पर सवाल क्यों?

ED की कार्रवाई ‘चुनावी हथियार’ जैसी, अंतिम तारीख को आरोपपत्र दाखिल करना बताता है सरकार की हताशा

चंडीगढ़, 21 अप्रैल – नेशनल हेराल्ड मामले को लेकर कांग्रेस पार्टी ने केंद्र सरकार पर तीखा हमला बोलते हुए इसे “भाजपा द्वारा ध्यान भटकाने, विरोध को कुचलने और देश की विरासत को अपमानित करने की साजिश” करार दिया है। पार्टी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह पर प्रवर्तन निदेशालय (ED) के दुरुपयोग का आरोप लगाया और कहा कि यह पूरा मामला स्वतंत्रता संग्राम की विरासत को धूमिल करने की सोची-समझी चाल है।

गांधी परिवार को निशाना बनाने का आरोप

प्रेस बयान में कांग्रेस ने कहा कि ईडी द्वारा दायर किया गया आरोपपत्र केवल राजनीतिक प्रतिशोध की एक और मिसाल है। “यह पहली बार है कि मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप ऐसे मामले में लगाए गए हैं, जिसमें कोई धन या संपत्ति का हस्तांतरण हुआ ही नहीं। जब पैसा ही नहीं है, तो लॉन्ड्रिंग कहां है?” कांग्रेस ने सवाल उठाया।

पार्टी का कहना है कि गांधी परिवार — चाहे वह राजनीति में सक्रिय हो या न हो — भाजपा के निशाने पर है, और यह हमला लोकतांत्रिक विपक्ष को डराने-धमकाने की कोशिश है।

“ED बन चुकी है चुनावी हथियार”

कांग्रेस ने दावा किया कि मोदी सरकार ने ईडी को “Election Department” बना दिया है। आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा गया कि ED की सजा दर मात्र 1% है, जबकि उसके 98% राजनीतिक मामले विपक्षी दलों के नेताओं के खिलाफ दर्ज हैं।

“हम सच्चाई के साथ खड़े हैं। जो हमें चुप कराना चाहते हैं, वे खुद डरे हुए हैं। यह बदले की राजनीति का सबसे घटिया रूप है, और हम इसका मुकाबला पूरे साहस के साथ करेंगे,” प्रेस वक्तव्य में कहा गया।

नेशनल हेराल्ड: एक ऐतिहासिक विरासत

कांग्रेस ने नेशनल हेराल्ड अखबार को भारत के स्वतंत्रता संग्राम की ‘राष्ट्रीय धरोहर’ बताया। इसकी स्थापना 1937 में पंडित जवाहरलाल नेहरू और अन्य स्वतंत्रता सेनानियों ने की थी। इस अखबार ने ब्रिटिश शासन के खिलाफ मुखर भूमिका निभाई, और 1942 में ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ के समय इसे जब्त भी कर लिया गया था।

नेशनल हेराल्ड की प्रकाशक कंपनी ‘एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (AJL)’ को आर्थिक संकट से उबारने के लिए कांग्रेस पार्टी ने 2002 से 2011 के बीच 90 करोड़ रुपये का वित्तीय सहयोग बैंक चेक से दिया। यह राशि कर्मचारियों के वेतन, वीआरएस और अन्य खर्चों में उपयोग की गई।

यंग इंडियन: गैर-लाभकारी कंपनी

AJL के पुनरुद्धार के लिए 2010 में “यंग इंडियन लिमिटेड” नामक एक गैर-लाभकारी कंपनी का गठन किया गया, जिसमें सोनिया गांधी, राहुल गांधी, मोतीलाल वोरा और ऑस्कर फर्नांडिस जैसे वरिष्ठ नेता शामिल थे। पार्टी ने स्पष्ट किया कि यंग इंडियन को न लाभांश मिला, न वेतन, और न ही कोई संपत्ति व्यक्तिगत रूप से हस्तांतरित की गई।

कांग्रेस का दावा है कि यंग इंडियन द्वारा AJL के कर्ज को इक्विटी में बदलना एक सामान्य और पूरी तरह वैध कॉर्पोरेट प्रक्रिया है, जिसे भारत सहित दुनिया भर में अपनाया जाता है।

“भाजपा खुद मीडिया में विज्ञापन देती है”

सरकारी विज्ञापनों को लेकर भी कांग्रेस ने भाजपा पर दोहरा मापदंड अपनाने का आरोप लगाया। पार्टी ने कहा कि भाजपा की राज्य और केंद्र सरकारें आरएसएस से जुड़े प्रकाशनों — जैसे पंचजन्य और ऑर्गनाइज़र — को भी विज्ञापन देती हैं, ऐसे में नेशनल हेराल्ड पर उठाए गए सवाल केवल दुष्प्रचार हैं।

मामला क्यों तूल पकड़ रहा है?

कांग्रेस का आरोप है कि 2015 में ED ने इस मामले को बंद कर दिया था, लेकिन कुछ समय बाद तत्कालीन ED निदेशक को हटा दिया गया। इसके वर्षों बाद 2021 में मामला फिर से खोला गया और 2023 में अंतरिम कुर्की आदेश जारी किया गया। अब, 2025 में आखिरी कानूनी समय सीमा के अंतिम दिन 9 अप्रैल को ईडी ने आरोपपत्र दाखिल किया।

“अगर सरकार के पास सबूत होते, तो वह आखिरी दिन तक इंतजार नहीं करती। यह केवल एक राजनीतिक स्टंट है, जिससे उनकी हताशा झलकती है,” कांग्रेस ने कहा।

AJL का वर्तमान स्वरूप

आज AJL फिर से नेशनल हेराल्ड और नवजीवन अखबार प्रकाशित कर रहा है और “कौमी आवाज़” को डिजिटल माध्यम से चला रहा है। इसके अलावा सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर भी इसकी अच्छी उपस्थिति है।

निष्कर्ष

कांग्रेस ने प्रेस वक्तव्य के अंत में कहा कि वह इस मामले को अदालतों में मजबूती से लड़ेगी और सत्य की जीत का भरोसा रखती है। “यह केवल कांग्रेस नहीं, बल्कि देश की आत्मा पर हमला है। हम डरेंगे नहीं, झुकेंगे नहीं।”

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