गुरुग्राम, 22 अप्रैल — गुरुग्राम नगर निगम की एक हालिया नियुक्ति को लेकर सियासी घमासान शुरू हो गया है। भाजपा की निर्वाचित मेयर श्रीमती राजरानी मल्होत्रा द्वारा अपने पति श्री तिलक राज मल्होत्रा को निजी सलाहकार के रूप में नियुक्त किए जाने पर कांग्रेस नेत्री पर्ल चौधरी ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने इस कदम को “संविधान की आत्मा के साथ खिलवाड़” और महिला आरक्षण के मूल उद्देश्य के खिलाफ बताया।
पर्ल चौधरी ने कहा कि यह नियुक्ति भाजपा द्वारा “परिवारवाद” के खिलाफ दिए जाने वाले बयानों की पोल खोलती है। उन्होंने कहा:
“जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संसद से लेकर पंचायतों तक ‘परिवारवाद’ के खिलाफ आवाज़ उठाते हैं, तब भाजपा शासित निकायों में इसी प्रवृत्ति को खुलकर बढ़ावा देना उनकी कथनी और करनी में अंतर को उजागर करता है।”
उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि महिला आरक्षण का उद्देश्य महिलाओं को नीति-निर्माण की मुख्यधारा में लाना था, न कि उन्हें महज़ एक प्रतीकात्मक चेहरा बनाकर पुरुष परिजनों को सत्ता का परोक्ष संचालन सौंपना।
“मेयर के पति को न तो कोई संवैधानिक अधिकार प्राप्त है, न ही वे किसी सरकारी निर्णय प्रक्रिया का हिस्सा हैं। ऐसे में उनकी ‘सलाहकार’ के रूप में नियुक्ति जनता के साथ एक छल है।”
“परिवार नहीं, विशेषज्ञ चाहिए”
गुड़गांव की बुनियादी समस्याओं जैसे पानी, सीवरेज और कचरा प्रबंधन की ओर ध्यान दिलाते हुए चौधरी ने तंज कसा:
“अगर भाजपा को हमेशा अपने परिवार में ही सबसे योग्य व्यक्ति मिलते हैं, तो क्या मुख्यमंत्री की पत्नी को भी सलाहकार बना दिया जाए? या प्रधानमंत्री की पत्नी को राष्ट्रीय नीति निर्माण में ‘सलाह’ देने का अधिकार मिलना चाहिए?”
उन्होंने कहा कि यह घटनाक्रम महिला सशक्तिकरण की मूल भावना के खिलाफ है और लोकतंत्र की गरिमा पर प्रश्नचिन्ह लगाता है।
न्याय और पारदर्शिता की मांग
पर्ल चौधरी ने मेयर से अपील की कि वे इस निर्णय पर पुनर्विचार करें और श्री तिलक राज मल्होत्रा इस पद से स्वेच्छा से इस्तीफा दें, ताकि एक योग्य, विशेषज्ञ और निष्पक्ष व्यक्ति को यह ज़िम्मेदारी सौंपी जा सके।
“गुड़गांव के नागरिक अब परिवारवाद नहीं, पारदर्शिता और जवाबदेही की मांग कर रहे हैं।”
कांग्रेस की मांग है कि नगर निगम की गरिमा और लोकतांत्रिक मर्यादा की रक्षा के लिए इस नियुक्ति की तत्काल समीक्षा की जाए।