गुरिंदरजीत सिंह ने की नीयत पर सवाल खड़े किए

गुरुग्राम। शिक्षा के अधिकार (RTE) अधिनियम के तहत चल रही प्रवेश प्रक्रिया में गंभीर खामियां सामने आ रही हैं। समाजसेवी गुरिंदरजीत सिंह ने आरोप लगाया है कि आरटीई पोर्टल पर छात्रों को उनके निकटवर्ती निजी स्कूलों के बजाय 10 से 25 किलोमीटर दूर स्थित स्कूलों के विकल्प दिए जा रहे हैं। उन्होंने इस पर सरकार और प्रशासन की नीयत पर सवाल खड़े किए हैं।

उन्होंने बताया कि BEEO कार्यालय में परिजनों से बातचीत के दौरान सामने आया कि ऑनलाइन फॉर्म भरने के समय पोर्टल पर पास के स्कूलों की जगह काफी दूर के स्कूल दिखाई दे रहे हैं। जबकि आरटीई के नियमों के अनुसार, बच्चों को उनके घर के निकटतम स्कूल में दाखिले का प्रावधान है।

बड़े निजी स्कूलों के नाम पोर्टल पर नहीं

गुरिंदरजीत सिंह ने यह भी खुलासा किया कि पोर्टल पर कई बड़े निजी स्कूलों के नाम ही नहीं हैं। उन्होंने कहा,

“धनकोट जैसे क्षेत्रों में बड़े-बड़े निजी स्कूल मौजूद हैं, जिनकी बसें शहर के कोने-कोने से बच्चों को लाती हैं और इन स्कूलों के विज्ञापन आए दिन सोशल मीडिया पर देखे जा सकते हैं। ऐसे में यह समझ से परे है कि प्रशासन को इन स्कूलों की जानकारी नहीं है, या फिर जानबूझकर इन्हें पोर्टल से बाहर रखा गया है।”

आरटीई के प्रावधानों के अनुसार, निजी स्कूलों को 25% सीटें EWS (आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग) के लिए आरक्षित करनी होती हैं, लेकिन पोर्टल पर ऐसे स्कूलों की अनुपस्थिति को लेकर संदेह गहराता जा रहा है।

“क्या सरकार सिर्फ खानापूर्ति कर रही है?”

गुरिंदरजीत सिंह ने राज्य सरकार, शिक्षा मंत्री महिपाल ढांडा और शिक्षा विभाग पर सवाल उठाते हुए कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि सरकार नहीं चाहती कि निजी स्कूलों में आरटीई के तहत अधिक दाखिले हों, ताकि उन्हें फीस प्रतिपूर्ति की राशि का भुगतान न करना पड़े।

उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि पोर्टल पर जानबूझकर ऐसा परिसीमन किया गया है जिससे बच्चों को दूर-दराज के स्कूल आवंटित हो रहे हैं। यह नीति बच्चों के हितों के खिलाफ है और शिक्षा के अधिकार अधिनियम की भावना का उल्लंघन है।

परिजनों से अपील और चेतावनी

गुरिंदरजीत सिंह ने परिजनों से अपील की कि वे समय रहते ऑनलाइन आवेदन जरूर करें ताकि उनका पंजीकरण हो सके। साथ ही, यदि किसी प्रकार की परेशानी हो रही है तो वे इसकी लिखित शिकायत शिक्षा विभाग में दर्ज करवाएं।

उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यदि जल्द समस्याओं का समाधान नहीं हुआ तो वे अन्य बुद्धिजीवियों और परिजनों के साथ मिलकर शिक्षा विभाग के बाहर जोरदार प्रदर्शन करेंगे।

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