कहा—देश गृह कलह की ओर बढ़ रहा है, अमन और सौहार्द की जरूरत

गुरुग्राम, 24 अप्रैल: पहलगाम में हाल ही में हुए आतंकी हमले ने एक बार फिर पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। इस हमले की कड़ी निंदा करते हुए गुरुग्राम के समाजसेवी और इंजीनियर गुरिंदरजीत सिंह (अर्जुन नगर) ने कहा कि निहत्थे पर्यटकों पर गोलियों की बौछार करना आतंकियों की कायरता को दर्शाता है। उन्होंने इस अमानवीय घटना को भारत की आत्मा पर हमला बताया और केंद्र सरकार से सवाल किया कि बार-बार होने वाले इन हमलों का कौन ज़िम्मेदार है?

“आतंकी हमलों पर सरकार की चुप्पी चिंता का विषय”

गुरिंदरजीत सिंह ने कहा कि 2014 से लेकर अब तक देश में एक के बाद एक बड़े आतंकी हमले हुए हैं—चाहे वह उरी, पठानकोट, पुलवामा हो या हाल ही में पहलगाम का हमला। उन्होंने कहा, “जब भी कोई आतंकी घटना घटती है, उसमें निर्दोष नागरिक और सुरक्षाबल शहीद होते हैं, परंतु सरकार केवल शोक और बयानबाज़ी तक सीमित रह जाती है। यह देश की सुरक्षा व्यवस्था पर बड़ा प्रश्नचिह्न है।”

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने सत्ता में आने से पहले आतंकवाद पर “जीरो टॉलरेंस” की बात कही थी, लेकिन अब वह नारा महज एक राजनीतिक जुमला बनकर रह गया है।

“देश में फैल रही नफ़रत और अराजकता सबसे बड़ा ख़तरा”

गुरिंदरजीत सिंह ने कहा कि आज जबकि पूरी दुनिया विज्ञान, तकनीक और खोजों के क्षेत्र में आगे बढ़ रही है, भारत में धर्म और जाति के नाम पर लोगों को बाँटने की राजनीति हो रही है। उन्होंने कहा, “धर्म के नाम पर नफ़रत फैलाना और जातीय हिंसा को भड़काना देश के विकास की राह में सबसे बड़ा रोड़ा है। मणिपुर, दिल्ली, बंगाल और अन्य राज्यों में हुई सांप्रदायिक घटनाएं इस बात का प्रमाण हैं।”

उन्होंने केंद्र सरकार पर आरोप लगाया कि जब देश में कहीं भी साम्प्रदायिक तनाव होता है, तो सरकार अक्सर मौन धारण कर लेती है।

“देश गृह युद्ध की कगार पर खड़ा है”

अपने वक्तव्य में गुरिंदरजीत सिंह ने कहा कि देश की वर्तमान स्थिति चिंताजनक है। “देश सामाजिक और सांप्रदायिक रूप से जिस दिशा में जा रहा है, वह किसी संभावित गृह युद्ध की आहट जैसी प्रतीत होती है। आज हमें ज़रूरत है अमन, एकता और भाईचारे की, न कि नफ़रत, हिंसा और विभाजन की राजनीति की।”

“सरकार अमन और सौहार्द की दिशा में करे कार्य”

अंत में उन्होंने केंद्र सरकार से अपील की कि वह देश को स्थायित्व, शांति और समरसता की ओर ले जाने की ठोस नीति बनाए। उन्होंने कहा कि “यदि भारत को वास्तव में विश्वगुरु बनाना है, तो पहले आंतरिक शांति और समरसता को सुनिश्चित करना होगा। सरकार का मौन अब प्रश्न बन चुका है; उत्तरदायित्व से भागा नहीं जा सकता।”

निष्कर्ष:

गुरिंदरजीत सिंह ने दो टूक कहा कि अब समय आ गया है कि केंद्र सरकार राजनीतिक लाभ की बजाय राष्ट्रीय सुरक्षा, सामाजिक सौहार्द और आम नागरिक की जान-माल की रक्षा को प्राथमिकता दे। तभी भारत सशक्त, समरस और प्रगतिशील राष्ट्र के रूप में आगे बढ़ सकेगा।

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