“बोर का जहरीला पानी पीने को मजबूर, प्रशासन बना मौन दर्शक” — पूनिया

???? उकलाना, 25 अप्रैल 2025 – उकलाना क्षेत्र के गांवों में पीने के पानी की गंभीर समस्या से ग्रामीणों में भारी रोष फैल गया है। चार-चार दिन तक जल आपूर्ति न होने और बोर के प्रदूषित पानी से गंभीर बीमारियां फैलने के कारण हालात दिन-प्रतिदिन बिगड़ते जा रहे हैं।

गांव कनोह, पाबड़ा, खैरी, कंडूल, फरीदपुर, चमारखेड़ा, किनाला, दौलतपुर, प्रभुवाला, बिठमड़ा, सुरेवाला, बुढ़ा खेड़ा, बेरी अकबरपुर, मुगलपुरा सहित दर्जनों गांवों में पीने योग्य स्वच्छ जल की आपूर्ति नहीं हो रही।

ग्रामीणों की आवाज़ — “कुएँ सूख गए, टैंक खाली, अब जहर पी रहे हैं हम”

अखिल भारतीय किसान सभा के जिला उपाध्यक्ष सरबत सिंह पूनिया, तहसील सचिव दयानंद ढूकिया, कमेटी नेता प्रदीप बूरा, खेत मजदूर यूनियन के जिला प्रधान डा. मियां सिंह बिठमड़ा, बलबीर नम्बरदार (पाबड़ा) और समाजसेवी रमेश कुमार पूनिया ने संयुक्त बयान में कहा कि ग्रामीण जानलेवा पानी पीने को मजबूर हैं, और प्रशासन बार-बार ज्ञापन देने के बावजूद बेपरवाह बना हुआ है।

“जलघर के टैंक खाली हैं, और बोर से आ रहा जहर… क्या प्रशासन ग्रामीणों की मौत का इंतजार कर रहा है?”
सरबत सिंह पूनिया, जिला उपाध्यक्ष, अखिल भारतीय किसान सभा

जमीनी हकीकत:

  • 3 बड़े वाटर टैंक होने के बावजूद जलघर खाली, नहरी पानी छोड़ा जा रहा मछलियों के जोहड़ में
  • 4-4 दिन बाद पानी की आपूर्ति, पीने, नहाने तक को नहीं मिल रहा पर्याप्त पानी
  • बोर के पानी में TDS का स्तर अत्यधिक, जिससे कैंसर जैसी जानलेवा बीमारियों का खतरा
  • गांवों में बीमार ग्रामीणों की संख्या में लगातार इज़ाफा, बच्चों और बुजुर्गों पर गंभीर असर

स्वास्थ्य संकट की दस्तक!

टीडीएस (Total Dissolved Solids) का स्तर बोर के पानी में मानक सीमा से कई गुना अधिक पाया गया है। ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि इससे कई घरों में कैंसर, पेट और त्वचा की बीमारियां फैल रही हैं, लेकिन प्रशासन ने आज तक पानी की गुणवत्ता की कोई जाँच नहीं करवाई।

ग्रामीणों की चेतावनी:

“यदि शीघ्र स्वच्छ पानी की व्यवस्था नहीं हुई तो सभी गांवों में जोरदार आंदोलन होगा।”

यह केवल पानी की नहीं, जीवन के अधिकार की लड़ाई है। ग्रामीणों की पीड़ा कब सुनेगा शासन-प्रशासन?
क्या अब भी देर हुई तो हालात हाथ से निकल जाएंगे?

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