गुरुग्राम, 25 अप्रैल 2025 – गुरुग्राम नगर निगम की नवनिर्वाचित मेयर राजरानी मल्होत्रा के पति तिलक राज मल्होत्रा को ‘मेयर सलाहकार’ बनाए जाने पर जनवादी महिला समिति ने कड़ा ऐतराज जताया है। समिति ने इसे “पितृसत्तात्मक मानसिकता का खुला प्रदर्शन” करार देते हुए तत्काल आदेश रद्द करने की मांग की है।

उपायुक्त के नाम सौंपा मांगपत्र
आज जनवादी महिला समिति के एक प्रतिनिधिमंडल ने सीटी मैजिस्ट्रेट रविंद्र कुमार के माध्यम से उपायुक्त को ज्ञापन सौंपा।
प्रतिनिधिमंडल में राज्य महासचिव उषा सरोहा, जिला अध्यक्ष रामवती, उपाध्यक्ष विधा, जिला सचिव भारती, वरिष्ठ सह सचिव गिरिजा कुमारी और सदस्य लीलावती शामिल थीं।
????️ “यह महिला आरक्षण का क्रूर मजाक है” — उषा सरोहा
राज्य महासचिव उषा सरोहा ने कहा:
“भाजपा एक तरफ महिला सशक्तिकरण के ढोल पीटती है, दूसरी तरफ मेयर की सीट पर बैठी महिला को कठपुतली बना रही है। क्या महिला आरक्षण इसलिए लाया गया था कि उनके पति या पुरुष परिजन सत्ता चलाएं?”

उन्होंने आगे कहा कि:
“महिला आरक्षण का मकसद महिलाओं को नीति-निर्माण के केंद्र में लाना है, न कि उन्हें पितृसत्तात्मक दायरों में कैद रखना।”
⚖️ “महिला को मजबूत करने की बजाय, पुरुष को सलाहकार क्यों?”
समिति ने सवाल किया कि जब राजरानी मल्होत्रा स्वयं चुनी गई मेयर हैं, तो उनके पति को सलाहकार बनाने की क्या जरूरत है? यह आदेश संविधान के महिला आरक्षण की भावना के विपरीत है।
???? जनवादी महिला समिति की प्रमुख मांगें:
- तिलक राज मल्होत्रा की सलाहकार नियुक्ति तुरंत रद्द की जाए।
- निर्वाचित महिला प्रतिनिधियों को सक्षम बनाने के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाए जाएं।
- महिलाओं को पितृसत्तात्मक नियंत्रण से मुक्त कर स्वतंत्र निर्णय लेने का अवसर दिया जाए।
???? महिला आरक्षण पर यह कैसा प्रहार?
इस घटनाक्रम ने एक बार फिर सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या महिला आरक्षण केवल कागजों तक सीमित है?
क्या महिला नेताओं को स्वतंत्र निर्णय का अवसर दिया जा रहा है या वे पुरुष सलाहकारों के इशारों पर काम कर रही हैं?
क्या गुरुग्राम प्रशासन इस मांग पर सुनवाई करेगा? या फिर महिला प्रतिनिधियों की आवाज यूं ही अनसुनी रह जाएगी?