
गुरुग्राम, 29 अप्रैल। हरियाणा में गैर मान्यता प्राप्त स्कूलों पर कार्रवाई को लेकर पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट की सख्ती के बावजूद, जिला शिक्षा विभाग की धीमी कार्यप्रणाली पर समाजसेवी इंजीनियर गुरिंदरजीत सिंह ने गंभीर सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने इसे एक संभावित भ्रष्टाचार की स्थिति बताते हुए पूछा — “क्या बीजेपी सरकार और शिक्षा विभाग से भी ऊपर हो गया है शिक्षा माफिया?”
हाईकोर्ट की सख्ती, लेकिन कार्रवाई ढीली
गौरतलब है कि हाईकोर्ट ने हाल ही में हरियाणा सरकार को बिना मान्यता चल रहे स्कूलों पर कड़ी फटकार लगाते हुए तुरंत कार्रवाई करने और उसकी रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिए थे। इसके बाद राज्य शिक्षा निदेशालय, पंचकूला ने सभी जिला शिक्षा अधिकारियों को आदेश जारी कर अपने-अपने क्षेत्रों में चल रहे अवैध स्कूलों की जांच करने और कार्रवाई रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा।
“खाना पूर्ति कर रहा है जिला शिक्षा विभाग?”

इंजीनियर गुरिंदरजीत सिंह का आरोप है कि जिला शिक्षा विभाग सिर्फ औपचारिकताएं निभा रहा है।
“हर तहसील से एक-दो स्कूलों पर कार्रवाई दिखा दी जाती है, पर क्या इतने भर से पूरे गुरुग्राम में व्याप्त गैर मान्यता स्कूलों की जड़ें खत्म हो जाएंगी?” — उन्होंने सवाल उठाया।
उन्होंने यह भी कहा कि जिन स्कूलों के पास मान्यता नहीं है, वे भी बड़ी कक्षाएं चला रहे हैं, रहवासी क्षेत्रों में बिना बिल्डिंग प्लान अप्रूवल के स्कूल संचालित हो रहे हैं, परंतु इन पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं की जा रही।
“DTP, MCG और शिक्षा विभाग सब मौन क्यों?”
गुरिंदरजीत सिंह ने DTP (टाउन प्लानिंग विभाग) के R.S. बाठ से भी सवाल पूछा कि —
“जहां गरीब रेहड़ी-फड़ी वालों पर एक्शन लेने में प्रशासन देर नहीं करता, वहीं अवैध स्कूलों पर चुप्पी क्यों?”
उन्होंने कहा कि ऐसे स्कूल बिना किसी नियम और अनुमति के कॉलोनियों और गली-मोहल्लों में धड़ल्ले से चल रहे हैं। इससे न केवल शिक्षा की गुणवत्ता प्रभावित हो रही है, बल्कि बच्चों की सुरक्षा और भविष्य भी दांव पर लगा है।
“क्या बीजेपी सरकार के लिए निजी स्कूल सोने की मुर्गी हैं?”
गुरिंदरजीत सिंह ने गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि कुछ निजी स्कूल संचालक विधायक मुकेश शर्मा से मुलाकात कर कार्रवाई से बचने का रास्ता तलाश रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा:
“लगता है सरकार और स्थानीय जनप्रतिनिधि गैर मान्यता स्कूलों को बचाने में लगे हैं, क्योंकि यही स्कूल पार्टी फंड, रैलियों में भीड़ जुटाने और सरकारी आयोजनों में सहयोग देने में आगे रहते हैं — ये ‘सोने की मुर्गी’ हैं।”
स्पष्ट कार्रवाई और पारदर्शिता की मांग
इंजीनियर गुरिंदरजीत सिंह ने जिला प्रशासन और शिक्षा विभाग से मांग की है कि:
- सभी गैर मान्यता प्राप्त स्कूलों की डेली रिपोर्टिंग की जाए।
- जांच और कार्रवाई की सूची सार्वजनिक की जाए।
- DTP व MC Gurugram के माध्यम से रहवासी क्षेत्रों में चल रहे स्कूलों के नक्शा अनुमोदन की स्थिति की समीक्षा हो।
- निजी स्कूलों और जनप्रतिनिधियों के बीच पारदर्शिता बनाए रखने के लिए राजनीतिक हस्तक्षेप को रोका जाए।
निष्कर्ष:
हाई कोर्ट के स्पष्ट निर्देशों के बावजूद यदि गैर मान्यता प्राप्त स्कूलों पर सख्त कार्रवाई नहीं होती, तो यह न केवल न्यायालय की अवमानना है, बल्कि भविष्य की पीढ़ियों के साथ धोखा भी। प्रशासन और शासन को अब जवाब देना होगा कि शिक्षा जैसे संवेदनशील विषय पर आखिर लापरवाही क्यों?