कांग्रेस नेता ने तानाशाही रवैये और भेदभावपूर्ण कार्रवाई को लेकर सरकार से की संज्ञान लेने की मांग

गुरुग्राम, 2 मई: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पंकज डावर ने गुरुग्राम में चल रही अतिक्रमण विरोधी कार्रवाई पर डीटीपी (जिला नगर योजनाकार) विभाग की कार्यप्रणाली को कठघरे में खड़ा किया है। उन्होंने आरोप लगाया कि विभाग गरीब और छोटे दुकानदारों को खुलेआम धमका कर आतंकित कर रहा है, जबकि प्रभावशाली और दबंग कब्जाधारियों के खिलाफ कार्रवाई करने से कतरा रहा है।
डावर ने कहा, “डीटीपी अधिकारी तानाशाही रवैया अपनाकर दुकानदारों के शेड और स्टॉल मिनटों में गिरा देते हैं, लेकिन बड़े होटल, प्राइवेट अस्पताल और रसूखदार दुकानदारों द्वारा सड़कों तक किए गए कब्जों पर कोई कार्रवाई नहीं की जाती। क्या यह कानून का समान रूप से पालन है?”
“सरकार को इस मनमानी का लेना चाहिए संज्ञान”
पंकज डावर ने सरकार से अपील की कि वह डीटीपी की एकतरफा और भेदभावपूर्ण कार्यशैली का संज्ञान ले। उन्होंने कहा कि “गुरुग्राम की जनता ने भाजपा को वोट देकर सरकार बनाई, लेकिन अब वे खुद को ठगा महसूस कर रही है। जिन गरीबों के वोट से सत्ता में आए हैं, उन्हीं की रोजी-रोटी उजाड़ी जा रही है।”
“डीटीपी अधिकारी बन गए हैं तानाशाह”
डावर ने तीखा प्रहार करते हुए कहा कि जिस भाषा और रवैये में डीटीपी अधिकारी दुकानदारों से बात करते हैं, वह प्रशासनिक मर्यादाओं का उल्लंघन है। उन्होंने कहा कि पीड़ित दुकानदारों की कहीं सुनवाई नहीं हो रही और मीडिया के माध्यम से इस मुद्दे को उठाने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं हुई है।
“मुख्य सड़कों पर कब्जे को क्यों नहीं हटाते?”
उन्होंने सवाल किया कि क्या डीटीपी की नज़र केवल कमजोरों पर ही टिकती है? “गुरुग्राम की मुख्य सड़कों पर बड़े दुकानदारों और निजी संस्थानों ने पार्किंग तक पर कब्जा कर रखा है, लेकिन उन पर हाथ डालने की हिम्मत विभाग नहीं जुटा पा रहा।”
“ट्रिपल इंजन सरकार का यही असली चेहरा है”
डावर ने कहा कि भाजपा सरकार गरीबों के नाम पर वोट मांगती है और सत्ता में आकर उन्हीं के रोजगार पर बुलडोज़र चलवा देती है। उन्होंने भाजपा नेताओं से सवाल किया कि क्या यही है ‘विकास’ और ‘गर्व’ का असली चेहरा?
“डीटीपी की कार्रवाई में पारदर्शिता लाएं”
पंकज डावर ने अंत में मांग की कि डीटीपी की कार्रवाई में पारदर्शिता और समानता होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि यदि सरकार वास्तव में जनता के हित में है तो उसे न केवल भेदभावपूर्ण कार्रवाई को रोकना चाहिए बल्कि गरीब दुकानदारों को हुए नुकसान की भरपाई भी सुनिश्चित करनी चाहिए।