गुरुग्राम, 5 मई 2025 – “जनगणना केवल आंकड़ों की कवायद नहीं, यह हमारी पहचान, हिस्सेदारी और भावी पीढ़ियों की सामाजिक स्थिति का दर्पण है” — यह कहना है पंजाबी बिरादरी महा संगठन गुरुग्राम के अध्यक्ष और विभाजन विभीषिका कल्याण समूह, हरियाणा के संयोजक बोध राज सीकरी का, जिन्होंने पूरे पंजाबी समाज से जातिगत जनगणना में जागरूक और संगठित भागीदारी की अपील की है।

बोध राज सीकरी ने स्पष्ट किया कि भारत में लगभग 12 करोड़ पंजाबी खत्री विभिन्न राज्यों में फैले हुए हैं, परंतु जनगणना में इनकी पहचान बिखरी हुई होने के कारण वास्तविक संख्या कभी दर्ज नहीं हो पाती। उन्होंने इसे सुधारने का सही समय बताया और कहा:

“अगर हम सबने एकजुट होकर भाषा के कॉलम में ‘पंजाबी’ और जाति के कॉलम में ‘खत्री’ लिखा, तो यह केवल संख्या नहीं होगी, बल्कि हमारी सामाजिक और राजनीतिक उपस्थिति का प्रमाण बन जाएगा।”

गुरुग्राम से पूरे हरियाणा तक पंजाबी समाज को संगठित करने का प्रयास

सीकरी ने बताया कि उनके नेतृत्व में पंजाबी बिरादरी महा संगठन, गुरुग्राम की स्थापना की गई है, जिसमें आज 16,000 से अधिक सक्रिय सदस्य हैं। वहीं हरियाणा की 65 पंजाबी बिरादरियों को “विभाजन विभीषिका कल्याण समूह” के अंतर्गत एक मंच पर लाने का प्रयास सफल हुआ है। इसके लिए उन्होंने हरियाणा के अनेक समर्पित कार्यकर्ताओं का विशेष आभार जताया—अंबाला से संदीप सचदेवा, सोनीपत से वेद वाधवा, जोगिंदर पॉल अरोड़ा, चंद्रसेन अरोड़ा, फतेहाबाद से दिनेश नागपाल और रोहतक से राजेश खुराना प्रमुख रूप से शामिल हैं।

“अब समय आ गया है — पहचान दर्ज करवाओ, पंजाबी शक्ति बढ़ाओ”

सीकरी ने बताया कि वरिष्ठ समाजसेवी डॉ. सर्वानंद आर्य के प्रयासों से केंद्र सरकार ने अब पंजाबी खत्रियों को जातिगत जनगणना में दर्ज करने की सहमति दी है। उन्होंने डॉ. आर्य के हालिया YouTube संदेश का हवाला देते हुए कहा:

“यह आखिरी मौका है। पिछली बार की गई चूक को अब नहीं दोहराना है। पंजाबी खत्रियों को एकजुट होकर अपनी सही पहचान दर्ज करवानी चाहिए।”

उन्होंने कहा कि जब फार्म भरें तो:

भाषा के कॉलम में “पंजाबी” लिखें — चाहे आप बोलते हों या नहीं।

जाति के कॉलम में स्पष्ट रूप से सिर्फ “खत्री” लिखा जाए — अरोड़ा, मल्होत्रा, ग्रोवर, खुल्लर आदि उपनाम हैं, परंतु जातिगत मान्यता के लिए केवल “खत्री” लिखना जरूरी है।

विभाजन पीड़ितों के लिए भी हो न्याय: “विभाजन विभीषिका बोर्ड” की मांग

सीकरी ने कहा कि जिन परिवारों ने बंटवारे की त्रासदी झेली और आज भी सरकारी योजनाओं से वंचित हैं, उनके लिए एक अलग “विभाजन विभीषिका राहत बोर्ड” का गठन किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा:

“पंजाबी समाज का बंटवारा केवल ज़मीन का नहीं था, हमारी अस्मिता, हमारे हक, और हमारी पीढ़ियों के भविष्य का भी था। अब समय है इन पीड़ाओं का संज्ञान लेकर ठोस राहत दी जाए।”

???????? राष्ट्र सर्वोपरि, लेकिन समाज की भागीदारी भी आवश्यक

सीकरी ने इस बात पर भी बल दिया कि पंजाबी समाज ने हमेशा देशहित में योगदान दिया है — सीमाओं की रक्षा हो या व्यापार में योगदान या समाज सेवा — पंजाबी कभी पीछे नहीं रहा। उन्होंने कहा:

“हमें गर्व है कि हम देश के करदाता भी हैं, अंगदाता भी हैं। ऐसे में हमारी पहचान को आंकड़ों में दर्ज होना भी हमारा हक है।”

उन्होंने सुझाव दिया कि अगली जनगणना में केवल जाति नहीं, बल्कि करदाताओं, अंगदान करने वालों और सब्सिडी का लाभ लेने और देने वालों का भी वर्गीकरण हो ताकि पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित हो।

समापन संदेश: “एक हों, नेक बनें, और पहचान को सशक्त करें”

लेख के अंत में सीकरी ने कहा: “हमारा लक्ष्य स्पष्ट है — राष्ट्र सर्वोपरि, संविधान सर्वोपरि, तिरंगा सर्वोपरि — लेकिन अपनी जातिगत पहचान भी उतनी ही महत्वपूर्ण है। जनगणना केवल एक दस्तावेज़ नहीं, यह हमारी भावी पीढ़ियों की भूमिका और अधिकार सुनिश्चित करेगा।”

उन्होंने पूरे पंजाबी समाज से आग्रह किया कि एक नया जनांदोलन खड़ा करें:

???? “पहचान दर्ज करवाओ, पंजाबी शक्ति बढ़ाओ!”


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