गुरुग्राम, 5 मई | “जब हाईकोर्ट ने गैर मान्यता प्राप्त स्कूलों को बंद करने के आदेश दे दिए, जब शिक्षा निदेशालय ने सख्ती के निर्देश जारी कर दिए — फिर भी गुरुग्राम में ये अवैध स्कूल क्यों चल रहे हैं? क्या शिक्षा माफिया, कानून और शासन से भी ऊपर हो गया है?”
यह तीखा सवाल उठाया है गुरुग्राम के समाजसेवी और जागरूक नागरिक इंजीनियर गुरिंदरजीत सिंह ने।

गुरिंदरजीत सिंह, जो अर्जुन नगर निवासी हैं, ने माननीय पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के आदेशों की अवहेलना और शिक्षा विभाग की निष्क्रियता पर गहरी नाराजगी जताते हुए कहा कि राज्य के अन्य जिलों में जहां गैर मान्यता प्राप्त निजी स्कूलों पर ताले लग चुके हैं, वहीं गुरुग्राम में ये स्कूल खुलेआम नियमों को ठेंगा दिखा रहे हैं।

“गुरुग्राम में हाई कोर्ट, शिक्षा मंत्री और शिक्षा निदेशालय की नाक के नीचे अवैध स्कूल चल रहे हैं — क्या यह प्रशासन की मिलीभगत नहीं दर्शाता?” — गुरिंदरजीत सिंह

गैर मान्यता प्राप्त स्कूलों की भरमार, शिक्षा विभाग मौन

गुरिंदरजीत सिंह ने बताया कि गुरुग्राम के सेक्टर-46, चौमा, नाथूपुर और डीएलएफ-1 जैसे क्षेत्रों में कुछ एनजीओ द्वारा संचालित स्कूलों में कक्षा 1 से 5 तक के 1000 से अधिक छात्र पढ़ रहे हैं, जबकि शिक्षा निदेशालय की ओर से स्पष्ट निर्देश हैं कि बिना मान्यता के कोई भी शैक्षणिक संस्था नहीं चल सकती।

उन्होंने कहा कि इन संस्थानों में न तो शिक्षा की गुणवत्ता सुनिश्चित है और न ही इन स्कूलों से दी जाने वाली डिग्रियों की कोई वैधता। इसके बावजूद प्रशासनिक चुप्पी कई सवाल खड़े करती है।

अभिभावकों से अपील: अपने बच्चों के भविष्य से समझौता न करें

“मैं सभी अभिभावकों से निवेदन करता हूं कि वे केवल उन्हीं स्कूलों में बच्चों को भेजें जो पूर्णतः मान्यता प्राप्त हों। गैर मान्यता स्कूलों की शिक्षा न तो वैध है, न सुरक्षित।”

गुरिंदरजीत सिंह ने आगे कहा कि शिक्षा निदेशालय, पंचकूला की ओर से यह स्पष्ट किया गया है कि यदि कोई गैर मान्यता प्राप्त स्कूल दोबारा संचालन करते हुए पाया गया तो उस पर एफआईआर, जुर्माना और गिरफ्तारी तक की कार्रवाई होगी। लेकिन सवाल यह है कि गुरुग्राम में अब तक कितने स्कूलों पर यह कार्रवाई हुई?

क्या शिक्षा विभाग किसी दबाव में काम कर रहा है?

उन्होंने खुलकर आरोप लगाया कि कई निजी स्कूल बिना एफिलिएशन के जगह-जगह ब्रांच खोलकर बच्चों का दाखिला ले रहे हैं, लेकिन आज तक उन पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। क्या यह विभागीय लापरवाही है या जानबूझकर संरक्षण देना?

“गुरुग्राम का शिक्षा विभाग किसके इशारे पर काम कर रहा है? कितने स्कूलों को बंद किया गया — इसकी कोई आधिकारिक सूची भी सार्वजनिक नहीं की गई है।”

राजनीतिक संरक्षण का भी संकेत

गुरिंदरजीत सिंह ने यह भी आरोप लगाया कि कई विधायक गैर मान्यता स्कूलों के आयोजनों में शामिल होते देखे गए हैं, जिससे ऐसा प्रतीत होता है कि इन स्कूलों को राजनीतिक संरक्षण प्राप्त है। उन्होंने यह भी कहा कि ऐसे स्कूलों के संचालकों ने अपनी निजी समितियाँ बनाकर विधायकों से मिलकर कार्रवाई से राहत के आश्वासन ले लिए हैं, जिससे वे बेखौफ संचालन कर रहे हैं।

RTE के उल्लंघन पर भी हो सख्त कार्रवाई

उन्होंने जोर देकर कहा कि RTE एक्ट के तहत जो निजी स्कूल आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के बच्चों को प्रवेश नहीं देते, उनके खिलाफ भी सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। उन्होंने सवाल उठाया:

जब शिक्षा मंत्री महिपाल ढांडा बार-बार गुरुग्राम दौरे पर आते हैं, तो वे शिक्षा विभाग की इस खुली लापरवाही पर जनता से संवाद क्यों नहीं करते?”

सार्वजनिक मांग: शिक्षा माफिया के खिलाफ कठोर कार्रवाई हो

गुरिंदरजीत सिंह ने अंत में मांग की कि:

गुरुग्राम में सभी गैर मान्यता प्राप्त स्कूलों की सूची सार्वजनिक की जाए।

जो स्कूल बिना अनुमति के संचालन कर रहे हैं, उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज हो।

शिक्षा विभाग और उसके अधिकारियों की भूमिका की जांच हो।

राजनीतिक हस्तक्षेप और संरक्षण की सीबीआई या एसआईटी जांच करवाई जाए।

“शिक्षा बच्चों का अधिकार है, मुनाफाखोरी का जरिया नहीं” — यदि सरकार वाकई गंभीर है, तो गुरुग्राम में शिक्षा माफिया की गर्दन पर सख्ती से हाथ डालना होगा।”

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