ग्रामीण भारत संस्था के अध्यक्ष वेदप्रकाश विद्रोही ने मेरठ क्रांति को बताया भारत की आज़ादी की नींव
गुरुग्राम, 10 मई 2025 — स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष वेदप्रकाश विद्रोही ने 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम की 167वीं वर्षगांठ के अवसर पर अंग्रेजी हुकूमत के विरुद्ध लड़ते हुए बलिदान देने वाले सभी ज्ञात-अज्ञात शहीदों को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने कहा कि 10 मई 1857 का दिन भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के इतिहास में स्वर्णाक्षरों में अंकित है, जब मेरठ छावनी में कार्यरत हिन्दुस्तानी सिपाहियों ने अंग्रेजी शासन के विरुद्ध विद्रोह का शंखनाद किया था।
वेदप्रकाश विद्रोही ने कहा कि इस क्रांति की शुरुआत मेरठ से होकर दिल्ली पहुंची, जहां स्वतंत्रता के मतवालों ने बादशाह बहादुर शाह ज़फर के नेतृत्व में देशव्यापी संग्राम की नींव रखी। इस संग्राम में धर्म, जाति और क्षेत्र की सीमाएं टूटकर सभी ने खुद को “हिन्दुस्तानी” के रूप में देखा, और यही एकता भारत के स्वतंत्रता संग्राम का मूल आधार बनी।
उन्होंने कहा, “1857 की क्रांति को ब्रिटिश हुकूमत ने ‘गदर’ कहकर कमज़ोर करने का प्रयास किया, किंतु इस संग्राम ने भारत में आज़ादी की अलख जगा दी थी।” इस प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में महारानी लक्ष्मीबाई, तात्या टोपे, मंगल पांडे, राव तुलाराम, राजा नाहर सिंह और हसन खां मेवाती जैसे वीरों ने अपना सर्वस्व न्यौछावर कर दिया।
वेदप्रकाश विद्रोही ने कहा कि यह सही है कि 1857 का संग्राम तत्कालीन रूप में भारत को आज़ादी नहीं दिला सका, किंतु इसने अंग्रेजी हुकूमत की नींव हिला दी थी और स्वतंत्रता की चेतना को जन-जन तक पहुँचा दिया था। उन्होंने कहा, “इस आंदोलन में अनेकों गुमनाम सिपाही, किसान, मजदूर और आमजन ने अपनी आहुति दी, जिनका योगदान सदैव स्मरणीय रहेगा।“
अंत में उन्होंने 1857 की क्रांति के समस्त शहीदों को शत-शत नमन करते हुए कहा कि आज का युवा उनके त्याग और बलिदान से प्रेरणा लेकर देशभक्ति और राष्ट्रनिर्माण के पथ पर आगे बढ़े, यही सच्ची श्रद्धांजलि होगी।