पर्ल चौधरी ने भावुक होते हुए कहा, “इंदिरा जी, आज आपकी बहुत याद आ रही है…
” यूँ ही कोई इंदिरा गांधी नहीं बन जाता…

नई दिल्ली,गुरुग्राम, 10 मई 2025 – कांग्रेस पार्टी की वरिष्ठ नेत्री पर्ल चौधरी ने केंद्र सरकार और अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत की स्थिति को लेकर तीखे सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने हाल ही में पहलगाम में हुए आतंकी हमले और अमेरिका द्वारा सीज़फायर की घोषणा के संदर्भ में सरकार की चुप्पी पर चिंता जताते हुए कहा है कि “क्या 140 करोड़ भारतीयों की जान की कीमत अब वैश्विक राजनीति में कम हो गई है?”
पर्ल चौधरी ने कहा कि 26 निर्दोष पर्यटकों की हत्या के बाद जब पूरा देश पाकिस्तान पर निर्णायक जवाबी कार्रवाई की माँग कर रहा था, तब अमेरिकी राष्ट्रपति की ओर से घोषित सीज़फायर ने जनभावनाओं को गहरा आघात पहुंचाया है।
उन्होंने सवाल उठाया कि जब अमेरिका खुद ओसामा बिन लादेन को पाकिस्तान की सीमा में घुसकर मार सकता है, जब वह इज़राइल-हमास संघर्ष में खुलकर इज़राइल का समर्थन करता है, तो फिर भारत को आतंक के जवाब देने से क्यों रोका जा रहा है? उन्होंने कहा, “क्या हम अमेरिका से पूछकर अपने शहीदों का बदला लेंगे?”
“क्या सरकार पाकिस्तान को फिर मौका देना चाहती है?”
पर्ल चौधरी ने भाजपा सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि सर्जिकल स्ट्राइक और एयर स्ट्राइक के बाद भी पाकिस्तान में आतंकवाद ज़िंदा है और लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद जैसे संगठनों के सरगना अब भी खुलेआम ज़हर उगल रहे हैं। “तो क्या अब भी हम चुप रहेंगे?” उन्होंने पूछा।
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि जब देश को एकजुटता की सबसे अधिक ज़रूरत थी, तब भी भाजपा विपक्ष को निशाना बनाने में लगी रही। “कांग्रेस और विपक्ष के सभी नेताओं ने बिना शर्त सरकार और सेना को समर्थन दिया, फिर भी भाजपा के आधिकारिक सोशल मीडिया हैंडल से विपक्ष पर कीचड़ उछालना दुर्भाग्यपूर्ण और बचकाना है।”
“भारत को इंदिरा गांधी जैसा नेतृत्व चाहिए”
पर्ल चौधरी ने 1971 के भारत-पाक युद्ध की याद दिलाते हुए कहा कि उस समय जब अमेरिका ने भारत को धमकाया था, तब इंदिरा गांधी ने बिना डरे जवाब दिया था—“भारत किसी से नहीं डरता, चाहे अमरीका का सातवां बेड़ा आए या सत्तरवां।” उन्होंने कहा कि आज के भारत को भी वैसा ही आत्मविश्वासी नेतृत्व चाहिए, जो आत्मसम्मान से कोई समझौता न करे।
“सरकार बताए—क्या पहलगाम की चिताएं ठंडी हो गईं?”
उन्होंने सरकार से स्पष्ट उत्तर माँगते हुए कहा, “क्या पहलगाम हमले के शहीदों का बदला लिया गया? क्या आतंकवाद का पूरी तरह सफाया हो गया है? अगर नहीं, तो सीज़फायर क्यों और किसके दबाव में?”
“भारत को आत्मनिर्भरता की नई परिभाषा गढ़नी होगी”
पर्ल चौधरी ने अंत में कहा कि भारत को सिर्फ हथियारों में नहीं, रणनीतिक निर्णयों में भी आत्मनिर्भर होना होगा। “अमेरिका का आदर अपनी जगह, लेकिन भारत का आत्मसम्मान सर्वोपरि है। और आज देश की जनता यह सब देखकर स्तब्ध है।”
उन्होंने भावुक होते हुए कहा, “इंदिरा जी, आज आपकी बहुत याद आ रही है…”