
13 मई 2025, रेवाड़ी, नई दिल्ली। स्वयंसेवी संस्था ‘ग्रामीण भारत’ के अध्यक्ष वेदप्रकाश विद्रोही ने सोमवार रात्रि 8 बजे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के राष्ट्र के नाम संबोधन को “खोखली जुमलेबाजी” करार देते हुए कड़ी आलोचना की। उन्होंने कहा कि जिस समय देश ऑपरेशन सिन्दूर की सफलता और भारत-पाकिस्तान के बीच हुए सीजफायर की पृष्ठभूमि में किसी ठोस जानकारी की अपेक्षा कर रहा था, प्रधानमंत्री का भाषण निराशाजनक और दोहरावपूर्ण रहा।
विद्रोही ने कहा, “देश को उम्मीद थी कि प्रधानमंत्री ट्रम्प के दावों पर दो टूक प्रतिक्रिया देंगे और ऑपरेशन सिन्दूर की रणनीति, परिणाम और पहलगाम हमले के गुनहगारों की स्थिति पर कुछ नया बताएंगे। लेकिन प्रधानमंत्री ने वही पुरानी स्क्रिप्ट दोहराई जो भाजपा और गोदी मीडिया 7 मई से बार-बार सुना रहे हैं।”
उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि प्रधानमंत्री का संबोधन उस कहावत को चरितार्थ करता है – “खोदा पहाड़, निकली चुहिया – और वह भी मरी हुई।”
विद्रोही ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा बार-बार सीजफायर का श्रेय लेने और भारत-पाक विवाद में अपनी भूमिका बताने पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा, “ट्रम्प का यह दावा कि उन्होंने भारत-पाक को परमाणु युद्ध से बचाया, न केवल भ्रामक है बल्कि भारत की विदेश नीति के आत्मसम्मान पर भी चोट है।”
उन्होंने यह भी कहा कि शिमला समझौते के अनुसार भारत-पाकिस्तान के बीच सभी विवाद द्विपक्षीय बातचीत से सुलझाए जाने हैं और किसी तीसरे पक्ष की कोई भूमिका नहीं हो सकती। “यदि भारत का यह रुख अब भी कायम है, तो प्रधानमंत्री को ट्रम्प के दावों का खुलकर खंडन करना चाहिए था। लेकिन चुप रहकर उन्होंने अप्रत्यक्ष रूप से उन दावों को ही मान्यता दे दी है, जो भारत के लिए अत्यंत शर्मनाक है,” विद्रोही ने कहा।
अंत में, उन्होंने प्रधानमंत्री से आग्रह किया कि वे देश के नागरिकों को भ्रम में रखने की बजाय स्पष्ट, तथ्यपूर्ण और आत्मसम्मानजनक दृष्टिकोण अपनाएं जिससे भारत की विदेश नीति की गरिमा बनी रहे।