पर्ल चौधरी, वरिष्ठ नेत्री, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस

13 मई 2025 — बुद्ध पूर्णिमा। एक ओर भारत भगवान बुद्ध के त्याग और करुणा की स्मृति में शांतिपथ पर ध्यान केंद्रित कर रहा था, और दूसरी ओर अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रंप ने एक ऐसा बयान दे दिया, जो न केवल कूटनीतिक शिष्टाचार के विरुद्ध था, बल्कि भारत के आत्मसम्मान को भी ठेस पहुँचाता है। उन्होंने दावा किया कि उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच हालिया तनाव को रोकने के लिए सीज़फायर के बदले व्यापार का लालच और धमकी दी।
यह विचार कि भारत जैसा संप्रभु राष्ट्र अपने रणनीतिक निर्णय किसी विदेशी दबाव के कारण बदल सकता है, हमारी विदेश नीति और ऐतिहासिक दृढ़ता की गंभीर अवहेलना है। राष्ट्रपति ट्रंप शायद यह नहीं जानते कि यह वही देश है जिसने 1971 में अमेरिकी राष्ट्रपति निक्सन और उनके सातवें बेड़े की परवाह किए बिना बांग्लादेश को जन्म दिया था। प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने तब दिखाया था कि भारत अपने आत्म-सम्मान पर कभी समझौता नहीं करता। प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने भी कारगिल युद्ध के दौरान, राष्ट्रपति क्लिंटन के मध्यस्थता को ठुकराया था
भारत का इतिहास इस बात का गवाह है कि शांति हमारी प्राथमिकता है, पर झुकना हमारे चरित्र में नहीं।
पाकिस्तान: झूठ, भय और भीख का त्रिकोण
उसी दिन पाकिस्तान की मिलिट्री और सोशल मीडिया इकोसिस्टम ने एक नया झूठ फैला दिया—कि भारत के हमले से उनके न्यूक्लियर प्लांट में रिसाव हुआ है। यह कोई पहली बार नहीं है जब पाकिस्तान ने झूठ का सहारा लेकर “डर की अंतरराष्ट्रीय मार्केटिंग” शुरू की हो।
पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था आईसीयू में है, IMF एवं अन्य वित्तीय संगठनों के दरवाज़े पर हमेशा भीख का कटोरा लिए खड़ा रहता है, और इसी बीच ये अफवाह फैलाकर वैश्विक सहानुभूति और डॉलर जुटाने की चाल चल रहा है।
1947 से अब तक पाकिस्तान ने बार-बार भीख मांगने को राष्ट्रीय नीति का दर्जा दे दिया है, और हर बार आतंकवाद को छुपाने के लिए युद्ध या न्यूक्लियर धमकी का सहारा लिया है।
मुंबई 26/11: जब भारत ने बंदूक नहीं, वैश्विक कूटनीति को हथियार बनाया
लेकिन भारत हमेशा संयम से जवाब देता आया है। 2008 में जब पाकिस्तान-प्रायोजित लश्कर-ए-तैयबा के आतंकियों ने मुंबई पर हमला किया, तब प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने एक ऐसे कूटनीतिक युद्ध की शुरुआत की, जिसने पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर बेनकाब कर दिया।
• पाकिस्तान के खिलाफ सभी सबूत दुनिया के सामने रखे गए।
• संयुक्त राष्ट्र ने मसूद अजहर जैसे कई पाकिस्तानी नागरिकों को अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी घोषित किया।
• और भारत के प्रयासों से पाकिस्तान को FATF की ग्रे लिस्ट में डलवाया गया।
चीन को भी मजबूरन पाकिस्तानी आतंकवाद की निंदा करनी पड़ी थी
इस कदम ने पाकिस्तान की आर्थिक रीढ़ तोड़ दी। अंतरराष्ट्रीय संस्थानों ने उसकी फंडिंग बंद कर दी। ISI और पाकिस्तानी सेना की आतंकी गतिविधियों को चला रहे तंत्र की कमर टूट गई।
यह भारत की वह शांत पर निर्णायक कूटनीति थी, जिसने बिना एक गोली चलाए दुश्मन की चालें विफल कर दीं।
आज जब पहलगाम में हमला होता है, तो समर्थन राष्ट्रहित के लिए होता है, भारतीय सेना के हर निर्णय का होता है
हाल ही में पहलगाम में हुए आतंकी हमले ने फिर देश को हिला दिया। कांग्रेस पार्टी और समस्त विपक्ष ने भारतीय सेना और राष्ट्र की सुरक्षा के लिए पूर्ण समर्थन जताया है—क्योंकि यह समर्थन किसी सरकार को नहीं, बल्कि 140 करोड़ भारतीयों की आत्मा की रक्षा के लिए है।
लेकिन इसके साथ ही हम यह भी मानते हैं कि उरी, पुलवामा और अब पहलगाम जैसे हमलों में खुफिया विफलताएं बार-बार सामने आई हैं। यह केवल सेना की नहीं, बल्कि राजनीतिक नेतृत्व की भी ज़िम्मेदारी है।
हम माँग करते हैं कि यदि खुफिया चूक की पुष्टि होती है, तो गृह मंत्री और संबंधित वरिष्ठ पदाधिकारी नैतिक जिम्मेदारी लेकर इस्तीफा दें।
भारत एक राष्ट्र है, जो बुद्ध की करुणा और चाणक्य की नीति—दोनों जानता है
हमारा देश ट्रम्प टावर जैसे रियल एस्टेट सौदेबाजी से नहीं, आध्यात्मिक बुनियाद से बना है। जब राष्ट्रपति ट्रंप व्यापार और सीज़फायर की बात करते हैं, तो वे यह भूल जाते हैं कि जिन सांसारिक लाभों को वे सौदेबाज़ी समझते हैं, उन्हें भारतीयों ने राजपाट छोड़कर त्यागा है।
भारत, आईफ़ोन बनाने वाली एप्पल कम्पनी के संस्थापक स्टीव जॉब्स से लेकर पश्चिमी संगीत के सितारे बिटल्स तक के लिए, आध्यात्मिक खोज का केंद्र रहा है। यह वो भूमि है, जो युद्ध में चक्रव्यूह रचती है, पर शांति में संपूर्ण मानवता को आलोकित करती है।
हम अमेरिका या पाकिस्तान की धमकियों से नहीं, अपने संविधान, शहीदों और जनता की चेतना से चलते हैं।
भारत शांति चाहता है— लेकिन अपने आत्मसम्मान की सौदेबाजी करके नहीं
जय हिन्द