गुरुग्राम की गिरती शैक्षणिक गुणवत्ता पर समाजसेवी इंजीनियर गुरिंदरजीत सिंह ने उठाए गंभीर सवाल
गुरुग्राम, 15 मई: – CBSE और अन्य बोर्ड परीक्षाओं के नतीजों में गुरुग्राम जिला हरियाणा के 22 जिलों में 12वें स्थान पर रहा। यह स्थिति उस जिले के लिए चिंताजनक है, जहाँ शिक्षा सबसे अधिक महंगी मानी जाती है। समाजसेवी इंजीनियर गुरिंदरजीत सिंह (अर्जुन नगर) ने इस पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए शिक्षा तंत्र की खामियों को उजागर किया।
“महंगी फीस, कमजोर परिणाम – आखिर क्यों?”
गुरिंदरजीत सिंह ने कहा, “गुरुग्राम में अभिभावक बच्चों को बेहतर भविष्य देने के लिए लाखों की फीस देकर निजी स्कूलों में दाखिला दिलाते हैं, लेकिन इसके बावजूद जिले का बोर्ड रैंक 12वां आना सोचने पर मजबूर करता है। सवाल यह है कि जब फीस टॉप लेवल की है तो रिजल्ट टॉप पर क्यों नहीं?”
उन्होंने बोर्ड परीक्षाओं में पास होने वाले सभी विद्यार्थियों को बधाई दी, पर साथ ही सिस्टम पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि शिक्षा की गुणवत्ता गिरती जा रही है, खासकर गैर-मान्यता प्राप्त स्कूलों में।
गैर-मान्यता प्राप्त स्कूलों की भरमार, शिक्षा की गुणवत्ता पर संकट
गुरिंदरजीत सिंह ने बताया कि जिले में सैकड़ों स्कूल ऐसे हैं जिनके पास केवल आठवीं तक की मान्यता है, लेकिन वे अटैचमेंट के नाम पर 10वीं और 12वीं तक की कक्षाएं चला रहे हैं।
“यह कैसे संभव है कि जिला शिक्षा अधिकारी को इस बात की जानकारी न हो?”
उन्होंने कहा कि ऐसे स्कूलों में न तो योग्य शिक्षक हैं, न ही बुनियादी सुविधाएं। इन स्कूलों की न तो सरकार नियमित जांच करती है और न ही इन पर कोई ठोस कार्रवाई होती है। केवल एक चैतन्य स्कूल पर कार्रवाई की गई, बाकी स्कूल आज भी खुलेआम नियमों की धज्जियां उड़ा रहे हैं।
“शिक्षा विभाग की लापरवाही से बच्चों का भविष्य खतरे में”
गुरिंदरजीत सिंह ने आरोप लगाया कि कई स्कूल स्कूल समय में बच्चों को ढीला पढ़ाते हैं ताकि उन्हें ट्यूशन के लिए मजबूर किया जा सके। इस व्यावसायिक सोच से बच्चों की मूल शिक्षा प्रभावित हो रही है। उन्होंने कहा कि स्कूलों को वही क्लास पढ़ाने की अनुमति दी जानी चाहिए, जिसके लिए उन्हें मान्यता प्राप्त है।
मांग: शिक्षा मंत्री और जिला प्रशासन लें सख्त एक्शन
गुरिंदरजीत सिंह ने शिक्षा मंत्री महिपाल ढांडा, शिक्षा निदेशालय, जिला शिक्षा अधिकारी और जिला उपायुक्त से आग्रह किया कि:
- 8वीं तक की मान्यता प्राप्त स्कूल यदि 10वीं या 12वीं पढ़ा रहे हैं, तो उनकी मान्यता तत्काल रद्द की जाए।
- गैर-मान्यता प्राप्त स्कूलों को बंद किया जाए।
- कोचिंग और ट्यूशन को बढ़ावा देने वाले स्कूलों पर विशेष निगरानी रखी जाए।
- शिक्षा की गुणवत्ता को प्राथमिकता दी जाए, न कि सिर्फ इमारतों और फीस ढांचे को।