पुलिस पर आरोप — बस परिचालक अशोक को जानबूझकर झूठे केस में फंसाया गया

गुरुग्राम, 15 मई (अशोक): कक्षा दूसरी के छात्र प्रिंस हत्याकांड में गुरुग्राम पुलिस द्वारा बस परिचालक अशोक को झूठे आरोप में फंसाने के मामले ने एक बार फिर तूल पकड़ लिया है। मृतक छात्र के पिता ने पंचकूला स्थित सीबीआई अदालत में याचिका दाखिल कर गुरुग्राम पुलिस के चार अधिकारियों के खिलाफ ट्रायल शुरू कराने की मांग की है।

मृतक छात्र के पिता ने याचिका में कहा है कि सीबीआई पहले ही वर्ष 2021 में चार पुलिस अधिकारियों—तत्कालीन डीएसपी वीरेन सिंह, इंस्पेक्टर नरेंद्र खटाना, एसआई सुभाष चंद और एसआई शमशेर सिंह—के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल कर चुकी है, लेकिन अभियोजन स्वीकृति नहीं मिलने के कारण उनके खिलाफ अब तक ट्रायल शुरू नहीं हो सका है।

पिता की दलील — अभियोजन की स्वीकृति जरूरी नहीं

याचिका में मृतक के पिता ने कहा है कि इस मामले में अभियोजन की पूर्व स्वीकृति की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि आरोपित पुलिसकर्मियों ने जांच प्रक्रिया का दुरुपयोग कर एक निर्दोष व्यक्ति को झूठा फंसाया और असली आरोपी को बचाने की कोशिश की।

घटना का पृष्ठभूमि: 8 सितंबर 2017

यह मामला वर्ष 2017 का है, जब गुरुग्राम के एक प्रतिष्ठित निजी स्कूल में दूसरी कक्षा के छात्र प्रिंस की स्कूल टॉयलेट में गला रेतकर हत्या कर दी गई थी
गुरुग्राम पुलिस ने बस परिचालक अशोक को आरोपी बनाकर आनन-फानन में गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। परिजनों को पुलिस की कहानी पर संदेह हुआ और उन्होंने सरकार से सीबीआई जांच की मांग की। सरकार ने परिजनों की मांग स्वीकारते हुए मामला सीबीआई को सौंप दिया।

CBI की जांच में पलटी पुलिस की कहानी

CBI ने मामले की गहराई से जांच करते हुए पुलिस की थ्योरी को खारिज कर दिया और बताया कि बस परिचालक अशोक निर्दोष है। इसके बाद CBI ने 11वीं कक्षा के एक छात्र भोलू (अदालती छद्म नाम) को गिरफ्तार कर बाल सुधार गृह भेजा। सीबीआई के अनुसार, भोलू ने हत्या में अपनी संलिप्तता स्वीकार कर ली थी।

मांग: दोषी पुलिस अफसरों पर हो सख्त कार्रवाई

अब मृतक प्रिंस के पिता ने अदालत से आग्रह किया है कि जिन पुलिस अधिकारियों ने गलत जांच करते हुए निर्दोष व्यक्ति को फंसाया, उनके खिलाफ सीबीआई द्वारा दाखिल चार्जशीट के आधार पर ट्रायल शुरू किया जाए। उन्होंने जोर देकर कहा कि न्याय तभी पूरा होगा जब झूठी कहानी गढ़ने वालों को सजा मिलेगी

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