गुरुग्राम, 16 मई: गुरुग्राम नगर निगम (MCG) की हालिया बजट मीटिंग में 1500 करोड़ रुपये का भारी-भरकम बजट पास किया गया, जिसमें साफ-सफाई और बुनियादी ढांचे के विकास पर विशेष जोर देने की बात कही गई। लेकिन ज़मीनी हकीकत इससे कोसों दूर है। जाने-माने सामाजिक कार्यकर्ता और इंजीनियर गुरिंदरजीत सिंह ने निगम की कार्यशैली पर तीखे सवाल उठाते हुए कहा कि “बजट तो पास हो गया, लेकिन सफाई का नामो-निशान तक नहीं है।”
“रोज़ 4 करोड़ खर्च होने चाहिए, पर हफ्ते में एक-दो काम से ही नेता संतुष्ट”

गुरिंदरजीत सिंह ने कहा कि जब नगर निगम के पास 1500 करोड़ रुपये का बजट है, तो औसतन रोज़ाना लगभग 4 करोड़ रुपये के कार्य शुरू होने चाहिए। लेकिन वर्तमान हालात यह हैं कि विधायक और पार्षद केवल 40-50 लाख के एक-दो कार्य शुरू करवा कर अपनी पीठ थपथपा रहे हैं। उन्होंने याद दिलाया कि गुरुग्राम के विधायक ने 100 दिन में सफाई का वादा किया था, लेकिन महीनों बाद भी गुरुग्राम की गंदगी जस की तस बनी हुई है।
सीवर लाइन के अधूरे काम, सड़कें खुदी पड़ी – मानसून से पहले हालात भयावह
गुरुग्राम में विभिन्न क्षेत्रों में सीवर लाइन का काम अधूरा पड़ा है। प्रताप नगर, शीतल कॉलोनी, जैकबपुरा और चक्करपुर जैसी कॉलोनियों में सड़कें खुदी पड़ी हैं और नालियां जाम हैं। गुरिंदरजीत सिंह ने चेताया कि मानसून आने को है, और यदि ऐसे ही हालात बने रहे तो पूरा शहर जलमग्न हो सकता है।
“गुणवत्ता की जगह कोताही – मैनहोल तक ठीक से नहीं बने”
गुरिंदरजीत सिंह ने कहा कि प्रताप नगर में चल रहे मैन सीवर लाइन के कार्य में गुणवत्ता की भारी कमी है। स्थानीय लोगों की शिकायत है कि मैनहोल ठीक से नहीं बनाए गए। जब इसकी शिकायत ठेकेदार से की गई तो उसने अनदेखी की, और JE को बुलाने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं हुई। उन्होंने सवाल किया – “जब अधिकारी शिकायत के बाद भी मौन हैं, तो जनता की समस्याएं कौन सुनेगा?”
नगर निगम खुद की बिल्डिंग का सीवर नहीं साफ कर पा रहा – शहर की सफाई कैसे करेगा?
गुरिंदरजीत सिंह ने नगर निगम के अधिकारियों की कार्यशैली पर करारा हमला बोलते हुए कहा कि “जो अधिकारी अपनी ही बिल्डिंग का सीवर साफ नहीं करवा सकते, उनसे गुरुग्राम की सफाई की अपेक्षा कैसे की जा सकती है?” उन्होंने बताया कि 2022 से पूरा सिस्टम अधिकारियों के अधीन है, लेकिन उनकी लापरवाही ने गुरुग्राम को बदहाल कर दिया है।
हर गली में कूड़े के ढेर, हर मोहल्ले में जाम सीवर
उन्होंने कहा कि गुरुग्राम के लगभग हर क्षेत्र में कूड़े के ढेर लगे हुए हैं, सीवर ओवरफ्लो हो रहे हैं, और नालियां जाम हैं। बरसात से पहले ये हालात और भी गंभीर रूप ले सकते हैं। “मीटिंग पर मीटिंग हो रही हैं, लेकिन ज़मीनी स्तर पर काम कहीं नहीं दिख रहा,” उन्होंने कहा।
सीधी चेतावनी: जलभराव हुआ तो जिम्मेदार होंगे एमसीजी अधिकारी, विधायक और मेयर
गुरिंदरजीत सिंह ने स्पष्ट चेतावनी दी कि अगर इस बार भी समय रहते सफाई नहीं की गई और मानसून में गुरुग्राम जलमग्न हुआ, तो इसके लिए नगर निगम अधिकारी, गुरुग्राम प्रशासन, विधायक, वार्ड पार्षद और मेयर पूरी तरह जिम्मेदार होंगे। उन्होंने कहा कि गुरुग्राम की भोली-भाली जनता ने इन जनप्रतिनिधियों पर भरोसा कर उन्हें चुना है, अब वही जनता जवाब मांगने को तैयार है।
निष्कर्ष:
गुरुग्राम जैसे महानगर में यदि 1500 करोड़ रुपये का बजट पास होने के बावजूद बुनियादी समस्याएं जस की तस बनी रहें, तो यह न केवल प्रशासन की विफलता है, बल्कि जनता के विश्वास के साथ धोखा भी है। अब केवल घोषणाएं नहीं, ज़मीनी बदलाव चाहिए।