गुरुग्राम, 16 मई, अशोक – गुरुग्राम के बिलासपुर औद्योगिक क्षेत्र स्थित सनकेई प्रगति इंडिया कंपनी में कार्यरत लगभग 50 श्रमिकों को अचानक कंपनी से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है। विगत दो माह से ये श्रमिक कंपनी के बाहर धरने पर बैठकर नौकरी की बहाली की मांग कर रहे हैं, लेकिन प्रबंधन उनकी समस्याओं को सुनने को तैयार नहीं है।
निकाले गए श्रमिकों का कहना है कि वे पिछले 15 से 20 वर्षों से ठेकेदारी प्रथा के तहत कंपनी में कार्यरत थे। लेकिन 10 मार्च को जब वे रोज़ की तरह ड्यूटी पर पहुंचे, तो गेट बंद कर दिया गया और उन्हें भीतर प्रवेश नहीं करने दिया गया। श्रमिकों का आरोप है कि प्रबंधन ने बिना किसी नोटिस या कारण बताए उन्हें नौकरी से निकाल दिया, जो कि श्रम कानूनों का खुला उल्लंघन है।
इस संकट की स्थिति में श्रमिक संगठन एटक (AITUC) के राज्य महासचिव अनिल पंवार से श्रमिकों ने मुलाकात की और अपनी पीड़ा साझा की। अनिल पंवार ने श्रमिकों को हरसंभव सहयोग और संघर्ष में साथ देने का भरोसा दिलाया। उन्होंने कहा कि,
“प्रबंधन को श्रम कानूनों का कोई भय नहीं रह गया है। श्रमिकों को बेवजह नौकरी से निकालना अमानवीय और अवैधानिक है। एटक श्रमिकों के हक के लिए हर मंच पर आवाज़ उठाएगा।”
पंवार ने यह भी कहा कि इस मामले को उपायुक्त और श्रम विभाग के समक्ष उठाया जाएगा। यदि वहां से भी समाधान नहीं निकलता, तो संगठन वृहद आंदोलन की राह अपनाने से पीछे नहीं हटेगा।
प्रदर्शनकारी श्रमिकों में राजेश गुर्जर, पवन शर्मा, धर्मेंद्र, योगेंद्र, आयुष, विजेंद्र सहित अन्य शामिल रहे। सभी का कहना है कि उनकी जीविका इस नौकरी पर टिकी थी, और दो महीने से बेरोज़गार होने के कारण वे गंभीर आर्थिक संकट में हैं।
निष्कर्ष:
यह मामला न केवल श्रमिकों की आजीविका का है, बल्कि श्रम कानूनों के सम्मान और ठेकेदारी प्रथा की मनमानी पर सवाल भी खड़ा करता है। यदि समय रहते प्रशासन और श्रम विभाग ने हस्तक्षेप नहीं किया, तो यह विवाद और अधिक गहराने की आशंका है।