समाजसेवी इंजीनियर गुरिंदरजीत सिंह ने उठाई जलाशयों, नालों और तालाबों को कब्जामुक्त कराने की माँग

गुरुग्राम, 19 मई 2025 – देश की राजधानी से सटे एनसीआर के प्रमुख शहर गुरुग्राम में हर साल मानसून के दौरान जलभराव की स्थिति उत्पन्न होना आम बात बन गई है। इस समस्या के पीछे प्रशासनिक लापरवाही और जलाशयों, तालाबों व नालों पर हो रहे अवैध कब्जों को मुख्य कारण बताते हुए समाजसेवी इंजीनियर गुरिंदरजीत सिंह ने शासन-प्रशासन को चेताया है।

विकास की आड़ में निगल लिए गए जल स्रोत
गुरिंदरजीत सिंह ने बताया कि एक समय गुरुग्राम में सैकड़ों जलाशय, तालाब, झील और नाले हुआ करते थे, जो न केवल वर्षा जल को संचित करते थे बल्कि भूजल स्तर बनाए रखने और बाढ़ से बचाव में भी अहम भूमिका निभाते थे। मगर पिछले कुछ वर्षों में तथाकथित “विकास” और भू-माफियाओं की मिलीभगत ने इन प्राकृतिक जल स्रोतों को या तो संकुचित कर दिया या पूरी तरह खत्म कर दिया।

शहर की बदहाल जल निकासी व्यवस्था का जिम्मेदार कौन?
उन्होंने कहा कि अब हालत यह है कि थोड़ी सी बारिश में गुरुग्राम की कॉलोनियाँ और सड़कें जलमग्न हो जाती हैं। इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि नालों की निकासी बाधित हो गई है, जलाशयों तक पानी पहुँचने के प्राकृतिक माध्यम खत्म हो चुके हैं और कुछ स्थानों पर तो नाले तक गायब कर दिए गए हैं।

वर्षों में घट गए जल निकाय, जलभराव की समस्या गहराई
गुरिंदरजीत सिंह ने बताया कि 1956 में गुरुग्राम में 640 जल निकाय थे, जो 2019 तक घटकर 251 रह गए, जिनमें से लगभग 200 पर अतिक्रमण हो चुका है। बादशाहपुर नाला, जो गुरुग्राम की प्रमुख जल निकासी धारा है, आज अतिक्रमण के कारण दम तोड़ रहा है। घाटा झील, जो पहले 370 एकड़ में फैली थी, अब सिकुड़कर सिर्फ 50 एकड़ में सिमट गई है।

इसी प्रकार सुखराली गाँव (सेक्टर 17), कादीपुर, धनवापुर, बसई आदि क्षेत्रों के तालाबों का आकार घटा दिया गया है। मदनपुरी नाला जैसे कई छोटे नाले अब अस्तित्व में ही नहीं हैं।

प्रशासन को नहीं अनजान हो सकता अतिक्रमण
गुरिंदरजीत सिंह ने स्पष्ट आरोप लगाया कि यह संभव नहीं कि प्रशासन को जलाशयों, तालाबों और नालों पर हो रहे अतिक्रमण की जानकारी न हो। उन्होंने टाउन प्लानर, DTP विभाग की भूमिका पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि उनकी चुप्पी ही इन अवैध निर्माणों की सहमति का संकेत है।

जल स्रोतों को कब्जामुक्त कर जल संकट से निपटे प्रशासन
उन्होंने प्रशासन से अपील करते हुए कहा कि यदि वास्तव में गुरुग्राम के जलभराव की समस्या से निपटना है तो तत्काल प्रभाव से जलाशयों, तालाबों और नालों को भू-माफियाओं से कब्जामुक्त किया जाए। साथ ही इन प्राकृतिक स्रोतों की सफाई, पुनर्स्थापना और वर्षा जल निकासी मार्गों को पुनः बहाल किया जाए।

“यदि अभी कदम नहीं उठाए गए,” उन्होंने चेताया, “तो आने वाले वर्षों में गुरुग्राम को जल संकट और शहरी बाढ़ से कोई नहीं बचा पाएगा।”

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