गुरुग्राम, 26 मई — गुरुग्राम एक बार फिर बारिश के पानी और कूड़े के ढेर के बीच जूझता दिखा। हालिया प्री-मानसून की मामूली बारिश ने भी शहर की तैयारियों की असलियत उजागर कर दी। बरसाती पानी में डूबती सड़कों और सड़ते कूड़े के अंबार ने साबित कर दिया कि सरकार और प्रशासन के विकास संबंधी दावे महज दिखावा हैं।

स्थानीय नागरिकों का कहना है कि गुरुग्राम की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बनी साख लगातार गिर रही है, और इसके लिए जिम्मेदार हैं वे जनप्रतिनिधि जो चुनावों में बड़े-बड़े वादे कर सत्ता में आते हैं, लेकिन जनता की बुनियादी समस्याओं से मुंह मोड़ लेते हैं।

गुरुग्राम के मौजूदा विधायक और यहां के कैबिनेट मंत्री पर भी सवाल उठ रहे हैं। नागरिकों का आरोप है कि दोनों प्रतिनिधि न तो समस्याओं की गंभीरता को समझते हैं, और न ही उनके समाधान में रुचि रखते हैं। बल्कि, उनका अधिक ध्यान अपनी राजनीतिक छवि चमकाने और मंचीय भाषणों पर रहता है।

पुराने गुरुग्राम के कई इलाकों में सड़कों के किनारे लगे कूड़े के ढेर और उनमें भरे बारिश के पानी ने स्थानीय लोगों के जीवन को नारकीय बना दिया है। बदबू, बीमारियाँ और असुविधा अब आम दिनचर्या बनती जा रही है।

सरकार बार-बार अधिकारियों के तबादले करके दोष उनसे मढ़ने की कोशिश करती है, जबकि असली समस्या नेतृत्व और इच्छाशक्ति की कमी में छिपी है। मुख्यमंत्री के लगातार गुरुग्राम दौरे भी हालात नहीं सुधार पा रहे हैं। “ट्रिपल इंजन सरकार” के दावों के विपरीत, शहर की व्यवस्थाएँ हर बार बदतर होती जा रही हैं।

अब समय आ गया है कि गुरुग्राम की जनता एकजुट होकर इन नेताओं के खिलाफ लोकतांत्रिक तरीके से आवाज़ बुलंद करे। कूड़े और जलभराव से त्रस्त जनता को अब इस कुंभकरणीय नींद में सो रही व्यवस्था को जगाना होगा।

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