-एडवोकेट लाल बहादुर खोवाल ने ओबीसी मुद्दों पर दिल्ली में रखे विचार
वक्ताओं ने ओबीसी समाज की लड़ाई देशभर में लड़ने पर राहुल गांधी का जताया आभार
जब तक बिछड़े है तब तक पिछड़े है :एडवोकेट लाल बहादुर खोवाल

नई दिल्ली, 26 मई 2025 – इंडिया इंटरनेशनल सेंटर नई दिल्ली में ‘दिल्ली घोषणापत्र’ के तहत ओबीसी समुदाय से जुड़े प्रमुख मुद्दों पर एक उच्चस्तरीय परामर्श कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस ऐतिहासिक कार्यक्रम में हरियाणा, पंजाब, दिल्ली, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड ,मध्य प्रदेश, गुजरात , पांडिचेरी,महाराष्ट्र, गोवा,तेलंगाना, केरल, तमिलनाडु,उड़ीसा और छत्तीसगढ़ सहित देश के विभिन्न राज्यों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।

कार्यक्रम में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी द्वारा जाति जनगणना और ओबीसी समुदाय के सामाजिक-आर्थिक-राजनीतिक अधिकारों को लेकर कांग्रेस पार्टी की प्रतिबद्धता को दोहराया गया। वक्ताओं ने आभार व्यक्त करते हुए और उद्धृत करते हुए कहा कि राहुल गांधी ने जातिगत जनगणना, ओबीसी आरक्षण, पच्चास प्रतिशत की कैप हटाना,उप-वर्गीकरण और सामाजिक न्याय जैसे अहम विषयों को कांग्रेस के राष्ट्रीय एजेंडे में सर्वोच्च प्राथमिकता देने का आश्वासन दिया है। इसके साथ ही जाति जनगणना कब तक होगी इसकी सीमा तय करने तथा जाति जनगणना में आर्थिक, शैक्षणिक, सामाजिक, राजनीतिक व व्यवसायिक सहित सभी जरूरी कॉलम जाति जनगणना के फार्म में शामिल होने चाहिए तभी जाति जनगणना को सार्थक माना जाएगा ऐसी मांग बीजेपी सरकार से राहुल गांधी ने भी की है ताकि सभी जातियों का पूरा एक्सरे हो सके।
हिसार से वरिष्ठ अधिवक्ता एवं कांग्रेस लीगल डिपार्टमेंट हरियाणा के स्टेट चेयरमैन एडवोकेट लाल बहादुर खोवाल ने कार्यक्रम में भाग लेकर ओबीसी समुदाय के शैक्षणिक,आर्थिक और राजनीतिक प्रतिनिधित्व से संबंधित चिंताओं पर प्रकाश डाला। लाल बहादुर खोवाल ने कहा कि जब तक बिछड़े है तब तक पिछड़े है । उन्होंने जातिगत जनगणना को सामाजिक न्याय की बुनियाद बताते हुए इसके शीघ्र क्रियान्वयन की आवश्यकता पर बल दिया। कार्यक्रम में देशभर से आए नेताओं, विद्वानों, सामाजिक संगठनों और कार्यकर्ताओं ने विचार साझा किए और एक “समावेशी कार्ययोजना” तैयार करने की सहमति दी। इस बैठक में दिल्ली घोषणापत्र (2021) के उद्देश्यों को आगे बढ़ाने के लिए सामाजिक,राजनीतिक, प्रशासनिक और कानूनी सुधारों पर भी गहन चर्चा हुई। एडवोकेट खोवाल ने बताया कि परामर्श के आधार पर एक “राष्ट्रीय ओबीसी एजेंडा” तैयार किया जाएगा जिसमें जातिगत जनगणना, आरक्षण नीतियों का प्रभावी क्रियान्वयन, और ओबीसी समुदाय के सर्वांगीण उत्थान के लिए ठोस नीतियाँ शामिल होंगी।