बच्चों के सहारे जुटाई भीड़, रिफ्रेशमेंट की अव्यवस्था से मचा हाहाकार

गुरुग्राम, 1 जून 2025: गुरुग्राम के समाजसेवी गुरिंदरजीत सिंह ने बताया साइबर सिटी गुरुग्राम के लेज़र वैली में रविवार को बीजेपी गुरुग्राम द्वारा “वन नेशन वन इलेक्शन” के तहत आयोजित मैराथन में संगठन की अंदरूनी कमजोरी और अव्यवस्थाएं खुलकर सामने आ गईं। कार्यक्रम में पार्टी के पार्षद, अधिकांश पदाधिकारी और कार्यकर्ता नदारद रहे, जबकि भीड़ जुटाने के लिए स्कूली बच्चों का सहारा लिया गया।
पार्षदों और पदाधिकारियों की अनुपस्थिति ने खड़े किए सवाल
मैराथन कार्यक्रम में हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह, मंत्री नरबीर सिंह, विधायक मुकेश शर्मा और बिमला चौधरी सहित बीजेपी के कुछ वरिष्ठ नेता जरूर मौजूद थे, लेकिन स्थानीय संगठन की उपस्थिति अत्यंत कमजोर रही।
पार्टी की ओर से दावे किए गए थे कि गुरुग्राम में 4.5 लाख सदस्य और लगभग 40 हजार पदाधिकारी नियुक्त किए गए हैं, फिर भी ज़मीनी स्तर पर इनकी उपस्थिति गायब थी।
बच्चों के सहारे जुटाई भीड़
कार्यक्रम को सफल दिखाने के लिए विभिन्न सरकारी और निजी स्कूलों से बड़ी संख्या में बच्चों को बुलाया गया। सुबह 5 बजे से पहुंच चुके बच्चों को घंटों इंतजार करना पड़ा क्योंकि मुख्यमंत्री का कार्यक्रम तय समय से देर से शुरू हुआ। बच्चों के लिए न तो बैठने की उचित व्यवस्था थी और न ही समय पर नाश्ते या पानी की।
व्यवस्था के नाम पर अव्यवस्था
कार्यक्रम स्थल पर शौचालय की कोई व्यवस्था नहीं थी, जिससे आए लोग आसपास खुले में शौच करते देखे गए।
रेस की शुरुआत मुख्यमंत्री के भाषण के बाद करीब 7:30 बजे हुई। दौड़ समाप्त करने के बाद बच्चों और शिक्षकों को न पानी मिला, न रिफ्रेशमेंट, जिससे नाराज अभिभावकों और स्कूल प्रतिनिधियों ने प्रबंधकों के खिलाफ नारेबाजी भी की।
रिफ्रेशमेंट में भेदभाव के आरोप
रिफ्रेशमेंट वितरण में प्राइवेट स्कूलों के बच्चों को प्राथमिकता दी गई, जबकि सरकारी स्कूलों के बच्चों को नाश्ता तक नसीब नहीं हुआ। इससे नाराज शिक्षक और छात्र-छात्राओं ने खुलकर नाराजगी जताई। लोगों ने इसे प्रबंधन की लापरवाही और पक्षपातपूर्ण रवैया करार दिया।
सरकारी निर्देशों की उड़ाई धज्जियां
हाल ही में सरकार ने स्पष्ट आदेश जारी किए थे कि स्कूल के बच्चों को इस तरह के राजनीतिक या प्रचारात्मक आयोजनों में शामिल न किया जाए, लेकिन इसके बावजूद बच्चों को न सिर्फ बुलाया गया, बल्कि उन्हें आयोजन की भीड़ बढ़ाने के लिए इस्तेमाल किया गया।
क्या इस आयोजन को सफल कहा जाए?
जहां कार्यक्रम का उद्देश्य “वन नेशन वन इलेक्शन” के बारे में जन जागरूकता फैलाना था, वहीं बीजेपी के अपने संगठन के प्रतिनिधियों की अनुपस्थिति और कुप्रबंधन ने पूरे आयोजन की गंभीरता पर सवाल खड़े कर दिए।
अगर पार्टी अपने पदाधिकारियों, पार्षदों और कार्यकर्ताओं को ही एकजुट नहीं कर पा रही, तो आम जनता और विपक्ष को इस विषय पर कैसे साथ लाएगी?
अंत में सवाल यह है:
- क्या बीजेपी को पहले से इस स्थिति का अंदेशा था, इसलिए भीड़ जुटाने के लिए बच्चों का सहारा लिया गया?
- क्या यह उचित है कि बच्चों को इस तरह के आयोजनों में शामिल किया जाए, जहां न उनके लिए सुरक्षा है, न व्यवस्था?
- क्या भविष्य में बीजेपी अपने कार्यक्रमों में संगठनात्मक मजबूती और व्यवस्था पर ध्यान देगी?
आशा है कि भविष्य में इस तरह के आयोजनों में बच्चों का उपयोग न कर, संगठन के वास्तविक कार्यकर्ताओं की भागीदारी सुनिश्चित की जाएगी और जनहित से जुड़े मुद्दों को गंभीरता से प्रस्तुत किया जाएगा।