अतिरिक्त मुख्य सचिव सुधीर राजपाल ने वीसी के माध्यम से सभी जिलों के डीसी के साथ की समीक्षा बैठक
गुरुग्राम, 10 जून- डीसी अजय कुमार ने कहा कि बेटी बचाओ–बेटी पढ़ाओ सिर्फ एक सरकारी योजना नहीं, बल्कि यह समाज में सकारात्मक सोच और व्यवहारिक बदलाव लाने का सशक्त माध्यम है। जब तक बेटियों को समान अधिकार, शिक्षा और सुरक्षित माहौल नहीं मिलेगा, तब तक सामाजिक विकास अधूरा रहेगा। उन्होंने कहा कि लिंगानुपात में सुधार तभी संभव है जब सभी विभाग मिलकर समन्वित रूप से कार्य करें और जागरूकता को जनआंदोलन में बदलें।
इससे पूर्व, स्वास्थ्य विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव सुधीर राजपाल ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सभी जिलों के उपायुक्तों के साथ अभियान की प्रगति की समीक्षा की। उन्होंने सभी डीसी को निर्देश दिए कि जिले में लिंगानुपात में सुधार हेतु योजनाओं को गंभीरता से लागू किया जाए। आरसीएच पोर्टल पर पंजीकरण की निगरानी, जन-जागरूकता कार्यक्रमों की नियमितता और विभागीय तालमेल को मजबूत किया जाए ताकि हर स्तर पर अभियान के उद्देश्य पूरे हो सकें।
बैठक में डीसी अजय कुमार ने स्पष्ट किया कि बिना आरसीएच आईडी के किसी भी अस्पताल या अल्ट्रासाउंड केंद्र द्वारा गर्भवती महिला का अल्ट्रासाउंड किया जाना नियमों का उल्लंघन है और ऐसे संस्थानों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि यह जिम्मेदारी सभी अल्ट्रासाउंड केंद्रों की है कि वे केवल अधिकृत एवं पंजीकृत मामलों में ही जांच करें।
डीसी ने यह भी निर्देश दिए कि अवैध रूप से एमटीपी किट बेचने वालों पर सख्त कार्रवाई की जाए। उन्होंने आमजन से अपील की कि यदि किसी मेडिकल स्टोर पर एमटीपी किट अवैध रूप से बेची जा रही हो, तो उसकी सूचना तुरंत जिला प्रशासन को दें, ताकि ऐसे मामलों पर समय रहते रोक लगाई जा सके।
बैठक में विभिन्न विभागों और सामाजिक संगठनों द्वारा चलाए गए जागरूकता अभियानों, स्वास्थ्य शिविरों, प्रेरक कार्यक्रमों और खेल गतिविधियों की प्रगति रिपोर्ट प्रस्तुत की गई। डीसी अजय कुमार ने इन प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि सामूहिक प्रयासों से ही बेटियों का भविष्य उज्जवल और सशक्त बनाया जा सकता है।
उन्होंने यह भी निर्देश दिए कि 2024 के आंकड़ों के आधार पर चिन्हित किए गए कम लिंगानुपात वाले गांवों में विशेष जागरूकता अभियान चलाए जाएं। पंचायत स्तर पर संवाद, समुदाय की भागीदारी, निगरानी तंत्र को मजबूत करना और बेटियों को लेकर सकारात्मक सोच विकसित करना इन अभियानों के प्रमुख उद्देश्य होने चाहिए।
डीसी ने “एक पेड़–बेटी के नाम” अभियान, एएनएम और आशा वर्करों के प्रशिक्षण कार्यक्रम तथा सरपंचों के लिए विशेष कार्यशालाएं आयोजित करने की भी मंजूरी दी। उन्होंने कहा कि इन पहलों से समाज में बेटियों के प्रति सम्मान और सहयोग की भावना को और अधिक सशक्त किया जा सकता है।
बैठक में आदिति सिंघानिया एसीयूटी, हरियाणा लोक प्रशासन संस्थान की संयुक्त निदेशक ज्योति नागपाल, डॉ. अलका सिंह सिविल सर्जन गुरुग्राम, जिला कार्यक्रम अधिकारी सिमरन सहित स्वास्थ्य, शिक्षा, महिला एवं बाल विकास, खेल और अन्य विभागों के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे।