गुरुग्राम, 11 जून। हरियाणा सरकार द्वारा प्रदेश में गैर-मान्यता प्राप्त स्कूलों के खिलाफ सख्त कार्रवाई के निर्देशों के बावजूद गुरुग्राम में अभी तक एक भी स्कूल पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। यह आरोप गुरुग्राम के समाजसेवी इंजीनियर गुरिंदरजीत सिंह ने लगाते हुए कहा कि शिक्षा विभाग पंचकूला के आदेशों को गुरुग्राम शिक्षा विभाग ठेंगा दिखा रहा है

उन्होंने कहा कि पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने बार-बार स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि राज्य में बिना मान्यता के चल रहे स्कूलों की पहचान कर कार्रवाई की जाए। इस पर शिक्षा निदेशालय पंचकूला ने सभी जिला शिक्षा अधिकारियों को निर्देश जारी किए, पर गुरुग्राम और बादशाहपुर में अभी तक एक भी गैर-मान्यता प्राप्त स्कूल पर कार्रवाई नहीं की गई।

“किसका आशीर्वाद है इन स्कूलों को?” — गुरिंदरजीत सिंह

गुरिंदरजीत सिंह ने सवाल उठाया कि गुरुग्राम जैसे बड़े शहर में ऐसा कैसे संभव है कि एक भी गैर-मान्यता प्राप्त स्कूल न हो? क्या इन स्कूलों को किसी राजनीतिक संरक्षण का लाभ मिल रहा है? उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि एक निजी स्कूलों का प्रतिनिधिमंडल गुरुग्राम के विधायक मुकेश शर्मा से मिला था, और विधायक ने कथित रूप से उन्हें आश्वस्त किया कि “कुछ गलत नहीं होने देंगे”।

शिक्षा मंत्री के दोहरे रवैये पर सवाल

गुरिंदरजीत सिंह ने शिक्षा मंत्री महिपाल ढांडा पर भी तीखा प्रहार करते हुए कहा कि एक ओर वे उच्च न्यायालय के आदेशों का हवाला देकर गैर-मान्यता स्कूलों के खिलाफ सख्ती की बात करते हैं, दूसरी ओर उनके ही अधीन गुरुग्राम में कोई कार्रवाई नहीं हो रही।

बच्चों के भविष्य से खिलवाड़

उन्होंने कहा कि गैर-मान्यता प्राप्त स्कूलों का भविष्य खुद अनिश्चित है, ऐसे में वे बच्चों को क्या भविष्य देंगे? यदि ऐसे स्कूल बिना किसी मान्यता और निगरानी के चल रहे हैं, तो बच्चों की शैक्षणिक गुणवत्ता, प्रमाणपत्र और भविष्य दोनों ही खतरे में हैं।

तत्काल कार्रवाई की मांग

गुरिंदरजीत सिंह ने हरियाणा सरकार, शिक्षा मंत्री, जिला शिक्षा अधिकारी, बीईईओ, और विधायक मुकेश शर्मा से तत्काल कार्रवाई की मांग करते हुए कहा कि बच्चों के भविष्य को सुरक्षित रखने के लिए गैर-मान्यता प्राप्त स्कूलों को बंद करना अनिवार्य है। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि जल्द कार्रवाई नहीं की गई तो वे जनआंदोलन खड़ा करेंगे।

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