शासकीय प्रताड़ना से पीड़ित अनेको ग्रामीण,अशिक्षित भोलीभाली जनता की शिकायतें बिना निर्धारित प्रारूप के खारिज़ हो जाती है-अधिकारी कर्मचारी सहयोग नहीं करते 

भ्रष्टाचार,सत्ता का दुरुपयोग,कर्तव्यों की अवहेलना से आम नागरिकों को स्वास्थ्य,शिक्षा, प्रशासन,न्याय व्यवस्था में परेशानी से तंग है तो आइए उनकी शिकायत की प्रक्रिया समझें

– एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानीं  

गोंदिया महाराष्ट्र – वैश्विक स्तरपर आज के दौर में जब हर क्षेत्र में पारदर्शिता और जवाबदेही की माँग बढ़ रही है, भारत के अनेक शासकीय कार्यालयों में रिश्वतखोरी, भ्रष्टाचार, सत्ता का दुरुपयोग, कर्तव्यों की अवहेलना, भेदभाव और उत्पीड़न जैसे गंभीर आरोप आम होते जा रहे हैं। विशेषतः ग्रामीण व अशिक्षित नागरिकों की समस्याएँ तब और बढ़ जाती हैं जब उनकी शिकायतें “निर्धारित प्रारूप” के अभाव में स्वीकार ही नहीं की जातीं। यह स्थिति चिंताजनक है।

जन-सामान्य के अधिकारों की अनदेखी

शासकीय प्रताड़ना से पीड़ित अनेक ग्रामीण, निर्धन, भोली-भाली जनता अपनी शिकायतें लेकर जब सरकारी दफ्तरों में पहुँचती है, तो उन्हें यह कहकर लौटा दिया जाता है कि “आपका आवेदन निर्धारित प्रारूप में नहीं है।” दुर्भाग्यवश, कई अधिकारी व कर्मचारी सहयोग करने के बजाय अड़चनें डालते हैं।

लोकपाल संस्था ने भी 5 जून 2025 के परिपत्र में स्पष्ट किया कि बिना निर्धारित प्रारूप के शिकायतों पर विचार नहीं किया जाएगा। इस प्रकार के आदेश न्याय की राह को आम आदमी के लिए और कठिन बना रहे हैं।

भ्रष्टाचार: एक सामाजिक-आर्थिक अपराध

भ्रष्टाचार केवल एक आर्थिक अपराध नहीं, यह एक सामाजिक अन्याय भी है। इससे शिक्षा, स्वास्थ्य, प्रशासन और न्याय जैसी बुनियादी सेवाएँ प्रभावित होती हैं। कुछ प्रभावशाली लोग अपने पद और ताकत का दुरुपयोग कर समाज के कमजोर वर्गों के साथ अन्याय करते हैं। जब तक आम नागरिक भ्रष्टाचार को समझ नहीं पाएंगे, तब तक इससे लड़ना असंभव है।

भारत में भ्रष्टाचार विरोधी कानून

भारत में भ्रष्टाचार को नियंत्रित करने के लिए विभिन्न कानूनी प्रावधान मौजूद हैं। इनमें से प्रमुख निम्नलिखित हैं:

  1. सूचना का अधिकार अधिनियम (RTI Act):
    इसके तहत कोई भी नागरिक सरकारी विभागों से जानकारी मांग सकता है। RTI के ज़रिए भ्रष्टाचार से संबंधित सबूत जुटाए जा सकते हैं।
  2. भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988:
    यह कानून सरकारी अधिकारियों द्वारा रिश्वत लेने, घूस देने या अन्य अनैतिक कार्यों पर रोक लगाने और उन्हें सजा देने के लिए बनाया गया है।
  3. लोकपाल और लोकायुक्त अधिनियम, 2013:
    • लोकपाल: केंद्र सरकार के मंत्रियों और अधिकारियों के विरुद्ध शिकायतों की जांच करता है।
    • लोकायुक्त: राज्य स्तर के अधिकारियों के विरुद्ध कार्रवाई करता है।
  4. व्हिसल ब्लोअर प्रोटेक्शन एक्ट, 2014:
    भ्रष्टाचार की जानकारी देने वाले व्यक्तियों की सुरक्षा हेतु यह कानून बनाया गया है।

भ्रष्टाचार के विरुद्ध शिकायत कैसे दर्ज करें?

अगर आपने किसी अधिकारी को भ्रष्ट आचरण करते हुए देखा है, तो आप निम्नलिखित माध्यमों से शिकायत दर्ज कर सकते हैं:

1. लोकायुक्त कार्यालय (राज्य स्तर पर):

राज्य के अधिकारियों की शिकायतों के लिए यह प्रमुख मंच है।

2. केंद्रीय सतर्कता आयोग (CVC):

केंद्र सरकार के अधिकारियों के खिलाफ शिकायत करने के लिए यह उचित मंच है।
 CVC की वेबसाइट पर ऑनलाइन शिकायत दर्ज की जा सकती है।

3. भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB):

राज्य स्तर पर कार्यरत यह संस्था भ्रष्टाचार के मामलों की जांच करती है।

शिकायत दर्ज करते समय ध्यान रखें:

  • शिकायत स्पष्ट, तथ्यात्मक और संक्षिप्त होनी चाहिए।
  • साक्ष्य (फोटो, रसीद, वीडियो आदि) अवश्य संलग्न करें।
  • पहचान गुप्त रखना चाहते हैं तो अनाम शिकायत भी दी जा सकती है।
  • यदि आवेदन से जुड़ी कोई रकम या लेनदेन हुआ हो, तो बैंक विवरण भी दें।
  • संबंधित अधिकारी का नाम, पद, विभाग और घटनास्थल की जानकारी अनिवार्य रूप से होनी चाहिए।

 भ्रष्टाचार के दोषियों को मिलने वाली सजा

  • 3 से 7 साल की कैद: रिश्वत या घूस लेने पर।
  • 7 साल तक की सजा: आय से अधिक संपत्ति रखने पर।
  • पद से बर्खास्तगी: लोकायुक्त अधिनियम के तहत दोषी अधिकारी को पद से हटाया जा सकता है।
  • अवैध संपत्ति की जब्ती: सरकार दोषी की संपत्ति जब्त कर सकती है।
  • आर्थिक दंड भी लगाया जा सकता है।

 निष्कर्ष

भारत में भ्रष्टाचार से लड़ाई केवल कानूनों से नहीं जीती जा सकती, इसके लिए जन-जागरूकता और सक्रिय भागीदारी की आवश्यकता है।

हर नागरिक को यह जानना जरूरी है कि शिकायत करना उसका संवैधानिक और लोकतांत्रिक अधिकार है। यदि हमें शासकीय कार्यालयों में पारदर्शिता चाहिए, तो हमें शिकायतों की प्रक्रिया को सरल और सुलभ बनाना होगा – सादे कागज पर भी शिकायत को मान्य किया जाना चाहिए।

यदि आप शासकीय प्रताड़ना, भ्रष्टाचार या भेदभाव से पीड़ित हैं, तो आवाज़ उठाइए — क्योंकि चुप्पी भी एक प्रकार की सहमति होती है

-संकलनकर्ता लेखक – संकलनकर्ता लेखक – क़र विशेषज्ञ स्तंभकार साहित्यकार अंतरराष्ट्रीय लेखक चिंतक कवि संगीत माध्यम सीए (एटीसी) एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानीं गोंदिया महाराष्ट्र

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