श्रद्धालुओं की भारी भीड़, मंदिर परिसर में सुरक्षा और सुविधा के व्यापक इंतजाम

गुरुग्राम, 13 जून (अशोक)। गुरुग्राम स्थित प्रख्यात शीतला माता मंदिर में आज से आषाढ़ मेले की शुरुआत हो गई है। यह मेला 10 जुलाई तक चलेगा और प्रतिवर्ष की भांति इस बार भी श्रद्धालुओं की भारी भीड़ मंदिर में उमड़ रही है। हरियाणा के कोने-कोने के साथ-साथ दिल्ली, उत्तरप्रदेश, उत्तराखंड, राजस्थान और हिमाचल प्रदेश से भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु मां शीतला के दर्शन के लिए पहुंच रहे हैं।

श्रद्धा और परंपरा का संगम
मंदिर परिसर में श्रद्धालुओं ने जहां मां शीतला के दर्शन किए, वहीं नवदंपत्तियों ने आशीर्वाद प्राप्त किया और छोटे बच्चों के मुंडन संस्कार भी संपन्न कराए। मंदिर प्रबंधन ने बताया कि मेले के पहले पंद्रह दिनों में माता के दर्शन हेतु मंदिर प्रातः 4 बजे से रात्रि 10 बजे तक खुला रहेगा, जबकि रविवार और सोमवार को मंदिर चौबीसों घंटे खुला रहेगा। अंतिम पंद्रह दिनों में श्रद्धालुओं की संख्या को देखते हुए माता के कपाट चौबीसों घंटे खुले रखने की व्यवस्था की जाएगी।

व्यवस्था और सुरक्षा चाक-चौबंद
शीतला माता श्राइन बोर्ड के अधिकारी यज्ञदत्त शर्मा ने बताया कि श्रद्धालुओं की सुविधा को ध्यान में रखते हुए मंदिर परिसर में शीतल पेयजल, चिकित्सा सुविधा, परिवहन व्यवस्था और करीब 48 सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं ताकि पूरे परिसर की निगरानी की जा सके। साथ ही, साफ-सफाई और सुरक्षा पर विशेष ध्यान रखा गया है।

धार्मिक अनुष्ठानों की बहार
मंदिर परिसर में पंडितों द्वारा वैदिक विधि से हवन, पूजन और विशेष अनुष्ठान भी कराए जा रहे हैं। माता के प्रति आस्था इतनी प्रबल है कि कुछ श्रद्धालु तो अपनी मनोकामना पूरी होने पर विशेष पूजा का आयोजन करने भी यहां पहुंचे हैं।

चैत्र और आषाढ़ दोनों मेलों का विशेष महत्व
मंदिर के पुजारियों का कहना है कि चैत्र और आषाढ़ माह में आयोजित होने वाले मेलों का धार्मिक और सांस्कृतिक रूप से विशेष महत्व है। हालांकि वर्षभर श्रद्धालु दर्शन के लिए आते रहते हैं, लेकिन इन दो महीनों में विशेष तौर पर मान्यता के अनुसार मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं, इसीलिए श्रद्धालुओं की संख्या में भारी वृद्धि होती है।

निष्कर्ष में
आषाढ़ मेला केवल धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि संस्कृति, परंपरा और श्रद्धा का जीवंत चित्रण है। मंदिर प्रशासन और जिला प्रशासन की व्यवस्था इसे सहज, सुरक्षित और भव्य बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ रही है। भक्तों के उत्साह और श्रद्धा ने इस मेले को एक भव्य धार्मिक उत्सव का रूप दे दिया है।

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