पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा — “चार गुना तक बढ़ाया बिल, गर्मी में बिजली कटौती और महंगाई से त्रस्त जनता”
चंडीगढ़, 22 जून। हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने राज्य की बीजेपी सरकार पर बिजली दरों में चोरी-छिपे भारी बढ़ोतरी कर आम जनता की जेब पर डाका डालने का आरोप लगाया है। उन्होंने इस बिजली मूल्य वृद्धि को तत्काल प्रभाव से वापस लेने की मांग की है।
हुड्डा ने कहा कि एक ओर जहां गर्मी अपने चरम पर है और बिजली कटौती से जनजीवन बेहाल है, वहीं दूसरी तरफ सरकार ने बिजली को एक झटके में चार गुना तक महंगा कर दिया है।
“जो उपभोक्ता पहले ₹900 से ₹1000 का बिल देते थे, अब उन्हें ₹4000 से ₹5000 का बिल मिल रहा है। यह खुली लूट है।”
फिक्स चार्ज और यूनिट दर में भारी इजाफा
हुड्डा ने कहा कि अब 75 रुपये प्रति किलोवाट फिक्स चार्ज जोड़कर उपभोक्ताओं पर अतिरिक्त बोझ डाला गया है।
उदाहरणस्वरूप —
???? 10 किलोवाट लोड पर ₹750 हर महीने सिर्फ फिक्स चार्ज देना पड़ेगा।
???? पहले स्लैब वाइज दरों के हिसाब से 2.50 से 6.30 रुपये प्रति यूनिट की दर थी।
???? अब 5 किलोवाट से अधिक लोड पर 6.50 से 7.50 रुपये प्रति यूनिट वसूले जा रहे हैं।
???? स्लैबों में भी बदलाव कर 20 से 40 पैसे प्रति यूनिट तक की छिपी हुई बढ़ोतरी कर दी गई है।
“बिना सूचना 1 अप्रैल से लागू की नई दरें”
हुड्डा ने कहा कि जनता को इस बढ़ोतरी की पूर्व सूचना तक नहीं दी गई और 1 अप्रैल से नई दरें चुपचाप लागू कर दी गईं। यह सरकार की गोपनीय और जनविरोधी कार्यशैली को उजागर करता है।
“बीजेपी सरकार ने एक यूनिट बिजली उत्पादन नहीं बढ़ाया”
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि कांग्रेस कार्यकाल में हरियाणा को आत्मनिर्भर बनाने के लिए
- 4 नई पावर प्लांट
- 1 न्यूक्लियर पावर प्लांट
स्थापित किए गए थे। लेकिन भाजपा सरकार ने 10 वर्षों में एक भी नई यूनिट बिजली उत्पादन के लिए स्थापित नहीं की।
“हमने कांग्रेस सरकार में आम उपभोक्ताओं के ₹1600 करोड़ के बिजली बिल माफ किए थे। भाजपा सरकार न राहत दे रही है, न नई व्यवस्था कर रही है — बस बिजली की कीमत बढ़ाकर आम जनता की कमर तोड़ने का काम कर रही है।”
जनता त्रस्त, सरकार मस्त — हुड्डा
हुड्डा ने कहा कि “गर्मी, महंगाई और बेरोजगारी के बीच जब जनता को राहत देने की ज़रूरत है, तब बीजेपी सरकार चार्ज बढ़ाकर जनता को सजा दे रही है।”
उन्होंने कहा कि यह स्पष्ट हो गया है कि भाजपा की नीतियां केवल अमीरों और पूंजीपतियों के हित में हैं, आम आदमी की कोई सुनवाई नहीं है।