इंदिरा गांधी को कोसने से पहले अपना अतीत देख लेते छोटे राव साहब!

गुरुग्राम | भारत सारथि

25 जून 2024 को गुरुग्राम के भाजपा कार्यालय में ‘इमरजेंसी के 50 साल’ कार्यक्रम के दौरान सांसद राव इंद्रजीत सिंह का इंदिरा गांधी पर तीखा हमला कोई नई बात नहीं थी। नई बात यह थी कि उन्होंने अपनी 36 साल पुरानी वफादारी को भुला दिया — जिस कांग्रेस की गोद में बैठकर उन्होंने सत्ता, सम्मान और सत्ता की वारिस भी तैयार कर दी, आज उसी इंदिरा गांधी को “लोकतंत्र की हत्यारी” बताकर कोसना न सिर्फ अवसरवाद की पराकाष्ठा है, बल्कि लोकतंत्र को ही झूठे भाषणों से छलने जैसा है।

राव इंद्रजीत सिंह का राजनीतिक सफर: पद की सीढ़ियाँ, पार्टी कोई भी हो

वर्षचुनावपार्टीपरिणाम
1977विधानसभाविशाल हरियाणा पार्टीजीते
1982विधानसभाकांग्रेसजीते
1987विधानसभाकांग्रेसराव नरबीर सिंह से हारे
1991विधानसभाकांग्रेसजीते
1996विधानसभाकांग्रेसजगदीश यादव से हारे
1998लोकसभाकांग्रेसजीते
1999लोकसभाकांग्रेससुधा यादव (भाजपा) से हारे
2000विधानसभाकांग्रेसजीते
2004लोकसभाकांग्रेसजीते
2009लोकसभाकांग्रेसजीते
2014लोकसभाभाजपाजीते
2019लोकसभाभाजपाजीते
2024लोकसभाभाजपाजीते
2024विधानसभा (बेटी आरती राव)भाजपाजीती (मंत्री बनीं)

“राजनीति नहीं, यह तो पारिवारिक सत्ता प्रबंधन है”

राव इंद्रजीत सिंह ने 1977 में अपने पिता राव बीरेंद्र सिंह की विशाल हरियाणा पार्टी से राजनीति शुरू की, जो जल्द ही इंदिरा कांग्रेस में विलीन हो गई।
1986 में वे बंसीलाल सरकार में मंत्री बने — वही बंसीलाल जिनकी छवि इमरजेंसी के हरियाणा में सबसे कठोर कार्यान्वयनकर्ता की रही।
बाद में राव साहब ने कांग्रेस में रहते हुए राजीव गांधी और फिर सोनिया गांधी के समय तक हर चुनाव लड़ा, जीते और मंत्री बने। लेकिन 2013 में जब भाजपा की लहर दिखी, तो विचारधारा बदल गई — और पाला भी।

2024: बेटी आरती राव को सत्ता में बैठाने का मिशन भी सफल

राव साहब ने खुद 2024 में लोकसभा चुनाव भाजपा से जीतकर हैट्रिक बनाई और बेटी आरती राव को अटेली विधानसभा से भाजपा का टिकट दिलवाकर मंत्री भी बनवा दिया।
रोचक यह कि इस मंत्रिमंडल में साथ मंत्री बनीं श्रुति चौधरी — पूर्व मुख्यमंत्री बंसीलाल की पोती और इमरजेंसी की बड़ी समर्थक कांग्रेस परिवार की तीसरी पीढ़ी।

अब बताइए — इतिहास का कैसे हुआ पुनर्लेखन!
जिस इमरजेंसी के ‘नायक और नायिका’ के साथ खुद काम किया, उनके कंधों पर चढ़कर आगे बढ़े, आज उन्हीं को मंच से गरिया रहे हैं।

तो सवाल उठता है…

  • क्या इमरजेंसी की सच्चाई अब पता चली राव साहब को?
  • 36 वर्षों तक कांग्रेस में रहकर क्या उन्होंने संविधान की हत्या में सहयोग नहीं किया?
  • अगर हाँ, तो आज लोकतंत्र के मसीहा बनना क्या एक ढोंग नहीं?
  • और अगर नहीं, तो फिर इंदिरा गांधी पर हमला क्यों?

मुखौटे का सच जनता को पहचानना होगा

राव इंद्रजीत सिंह का पूरा राजनीतिक जीवन इस बात का उदाहरण है कि राजनीति विचारधारा से नहीं, अवसरों से चलती है — अगर नैतिकता पीछे छूट जाए।
आज जब वे इंदिरा गांधी को “तानाशाह” कहते हैं, तो जनता को याद रखना चाहिए कि उसी “तानाशाह” की पार्टी ने उन्हें सत्ता का स्वाद चखाया और आज उनके ही पदचिन्हों पर बेटी को भी आगे बढ़ा दिया गया।

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