भविष्य विभाग की स्थापना को कैबिनेट की मंज़ूरी
चंडीगढ़, 26 जून – मुख्यमंत्री श्री नायब सिंह सैनी की अध्यक्षता में आज हुई हरियाणा मंत्रिमंडल की बैठक में “भविष्य विभाग (Department of Future)” की स्थापना को मंजूरी दी गई। इस विभाग की स्थापना का उद्देश्य हरियाणा को “भविष्य-समर्थ” बनाना है। यह निर्णय हरियाणा सरकार के निर्धारित कार्य नियम, 1977 के नियम 5 व अनुसूचि के क्रम संख्या 20 के अंतर्गत लिया गया है।
सरकार का उद्देश्य एक ऐसा संस्थागत ढांचा तैयार करना है जो पूर्वदृष्टि-आधारित शासन को प्रोत्साहित करे और सभी प्रशासनिक विभागों के बीच नीतिगत समन्वय को मजबूत बनाए। यह विभाग हरियाणा की “विजन 2047” नीति के अनुरूप एक ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था और समावेशी विकास के लक्ष्य को साकार करने के लिए दीर्घकालिक रणनीतिक पहलों, तकनीकी दृष्टिकोण और समेकित नीति निर्माण का नोडल एजेंसी के रूप में कार्य करेगा।
भविष्य विभाग इन प्रमुख क्षेत्रों में करेगा कार्य:
नियमित रूप से हॉराइजन स्कैनिंग, प्रवृत्ति विश्लेषण और परिदृश्य विकास करना, जिससे राज्य की भविष्य की संभावनाओं और चुनौतियों की पहचान की जा सके। उच्च-मूल्य क्षेत्रों में विविधीकरण को केंद्र में रखते हुए विजन 2047 के तहत व्यापक दीर्घकालिक आर्थिक योजनाओं का निर्माण तथा तकनीक और नवाचार नीतियों का विकास व समन्वय, जिससे उभरती तकनीकों को विभिन्न क्षेत्रों में अपनाया जा सके।
इसके अतिरिक्त प्रशासनिक प्रक्रियाओं के डिजिटलीकरण सहित शासन के आधुनिकीकरण की पहलों की निगरानी और समन्वय करेगा। साथ ही प्रशासनिक विभागों के साथ समन्वय कर भविष्य—उन्मुख नीतियों एवं पहलापें का कार्यान्वयन करने का काम किया जाएगा। इसके अलावा भविष्य की कार्यबल आवश्यकताओं के अनुरूप मानव पूंजी विकास हेतु एकीकृत ढांचा विकसित करना भी शामिल है। वहीं, विभाग जल, ऊर्जा और कृषि जैसे संसाधनों के लिए सतत प्रबंधन की रणनीति तैयार करेगा और राज्य के भीतर रणनीतिक पहलों की प्रगति का मूल्यांकन करेगा। यह मिशन हरियाणा 2047 का पर्यवेक्षण, जिससे हरियाणा की जीडीपी को 1 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंचाना और राज्य में रोजगार के नए अवसर पैदा करना है।
भविष्य विभाग ग्रामीण-शहरी एकीकरण और प्रवासन प्रबंधन योजना भी तैयार करेगा, जिससे सामाजिक व आर्थिक संतुलन कायम किया जा सके।
5 SMART पहलों के तहत कार्य करेगा भविष्य विभाग:
विभाग पांच प्रमुख SMART (विशिष्ट, मापनीय, प्राप्त करने योग्य, प्रासंगिक, समयबद्ध) पहलों के माध्यम से कार्य करेगा:
संस्थागत ढांचा व पूर्वदृष्टि समावेशन:
प्रत्येक प्रशासनिक विभाग में पूर्वदृष्टि इकाइयों की स्थापना की जाएगी, जो वार्षिक फ्यूचर आउटलुक रिपोर्ट प्रस्तुत करेंगी। सात रणनीतिक मिशनों (पर्यावरण, वित्त, उद्योग, कृषि, शिक्षा, स्वास्थ्य, शासन) के 50% प्रमुख परियोजनाओं में भविष्य विभाग की नीति सलाह या जोखिम आकलन शामिल करना अनिवार्य होगा।
दीर्घकालिक आर्थिक योजना:
अर्थशास्त्रियों, उद्योगपतियों व सरकारी अधिकारियों की कार्यबल गठित कर विजन 2047 योजनाएं तैयार की जाएंगी। 2030 तक जीएसडीपी वृद्धि दर 9% से अधिक और 1 लाख नई हरित/तकनीकी नौकरियों का लक्ष्य रखा गया है। हर 2-3 महीने में रोडमैप की समीक्षा की जाएगी ताकि विकसित भारत 2047 से संरेखण सुनिश्चित किया जा सके।
प्रौद्योगिकी और नवाचार नीति (एआई और कौशल विकास सहित):
कृषि, विनिर्माण और आईटी जैसे प्राथमिक क्षेत्रों में आरएंडडी के लिए अनुदान व प्रोत्साहन दिए जाएंगे। “हरियाणा एआई मिशन” के तहत युवाओं को आधुनिक तकनीकों का प्रशिक्षण दिया जाएगा। स्वास्थ्य सेवाओं में पूर्वानुमान विश्लेषण जैसे एआई-आधारित समाधान लागू किए जाएंगे। 2030 तक कम से कम 5 विभागों में रोबोटिक्स प्रोसेस ऑटोमेशन लागू किया जाएगा।
मानव संसाधन विकास:
स्कूल शिक्षा विभाग के सहयोग से फ्यूचर स्किल्स फ्रेमवर्क विकसित किया जाएगा, जिसमें एसटीईएम (STEM) शिक्षा, अप्रेंटिसशिप व ऑन-द-जॉब ट्रेनिंग पर जोर होगा। 100% डिजिटल साक्षरता का लक्ष्य रखा गया है, ताकि इंडस्ट्री 4.0 की मांग के अनुरूप कार्यबल तैयार किया जा सके।
शासन आधुनिकीकरण और जलवायु लचीलापन:
सभी विभाग अपनी मैनुअल प्रक्रियाओं की पहचान कर उन्हें डिजिटल बनाने का लक्ष्य तय करेंगे और ई-गवर्नेंस को लागू करेंगे। जलवायु परिवर्तन की तैयारी के लिए राज्य जलवायु अनुकूलन कार्य योजना बनाई जाएगी, जिसका उद्देश्य 2025 के आधार स्तर पर क्लाइमेट वल्नरेबिलिटी इंडेक्स में 20% सुधार लाना है।
रणनीतिक फोकस क्षेत्र (2025-2047):
विभाग निम्न क्षेत्रों को रणनीतिक हस्तक्षेप के लिए प्राथमिकता देगा:
एग्रीटेक और सतत कृषि, नवीकरणीय ऊर्जा व हरित तकनीक, उन्नत विनिर्माण व इंडस्ट्री 4.0, आईटी, बायोटेक्नोलॉजी और नवाचार हब्स, शिक्षा और कौशल विकास, स्मार्ट सिटी हेतु आईटी-आधारित ढांचा, जल प्रबंधन और सततता, पर्यटन और सांस्कृतिक उद्योग।
राज्य ने अब तक कई विकास योजनाएं शुरू की हैं, परंतु तेजी से बदलती तकनीक, उभरती आर्थिक चुनौतियां और नागरिकों की बढ़ती अपेक्षाएं नीति निर्माण में पूर्वदृष्टि आधारित एकीकृत दृष्टिकोण की आवश्यकता को रेखांकित करती हैं।
वर्तमान में दीर्घकालिक रणनीतिक योजना विभिन्न विभागों में बिखरी हुई है, जिससे दृष्टिकोण में असंगति, प्रयासों की पुनरावृत्ति और संसाधनों का असमान वितरण होता है। जलवायु परिवर्तन, एआई के कारण होने वाले व्यवधान और जनसंख्या बदलाव जैसी वैश्विक अनिश्चितताएं प्रशासनिक ढांचे की भविष्य तैयारी को आवश्यक बनाती हैं।
इन्हीं लक्ष्यों को ध्यान में रखते हुए, राज्य सरकार भविष्य विभाग की स्थापना करने जा रही है, जो उभरती चुनौतियों व अवसरों का पूर्वानुमान लगाकर सभी विभागों को नीति सलाह प्रदान करेगा और उनकी क्षमता का क्रमिक विकास करेगा।
हरियाणा सरकार ने अपने संकल्प पत्र का एक और वादा किया पूरा
हरियाणा में शहीद सैनिकों एवं अर्धसैनिक बलों के बच्चों को मिलेगी छात्रवृत्ति
शहीदों के बच्चों को प्रतिवर्ष 60 हजार रुपए से 96 हजार रूपये तक की छात्रवृत्ति मिलेगी
चंडीगढ़, 26 जून – देश के वीर जवानों के सर्वोच्च बलिदान को श्रद्धांजलि स्वरूप, हरियाणा सरकार ने शहीद सैनिकों एवं अर्धसैनिक बलों के बच्चों के लिए एक विशेष छात्रवृत्ति योजना शुरू करने का निर्णय लिया है।
वर्तमान सरकार ने अपने संकल्प पत्र में सैन्य सेवाओं के वीर शहीदों के बच्चों को छात्रवृत्ति प्रदान करने का वादा किया था, अब सरकार ने अपने वादे से भी आगे बढते हुए सैन्य सेवाओं के शहीदों के बच्चों के साथ – साथ शहीद अर्ध-सैनिक बलों के बच्चों को भी छात्रवृत्त्िा देने का निर्णय लिया है।
प्रधानमंत्री छात्रवृत्ति योजना से प्रेरित इस नई नीति के तहत कक्षा 6 से 12 तक के छात्रों को प्रतिवर्ष 60 हजार रुपए की छात्रवृत्ति दी जाएगी। स्नातक स्तर तक के विद्यार्थियों को 72 हजार रुपए प्रति वर्ष जबकि स्नातकोत्तर स्तर पर अध्ययनरत छात्रों को 96 हजार रूपये प्रति वर्ष छात्रवृत्ति मिलेगी। इस योजना से 189 छात्रों को छात्रवृत्ति के रूप में 1 करोड, 31 लाख 64 हजार रुपए की प्रोत्साहन राशि मिलेगी।
यह ऐतिहासिक निर्णय आज मुख्यमंत्री श्री नायब सिंह सैनी की अध्यक्षता में हुई हरियाणा कैबिनेट की बैठक में स्वीकृत किया गया।
इस नीति का उद्देश्य शहीद सैनिकों और अर्धसैनिक बलों के बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्राप्त करने हेतु आर्थिक सहयोग प्रदान करना है, जिससे उनका भविष्य उज्जवल और सुरक्षित बन सके।
हरियाणा मंत्रिमंडल ने खनन नियम 2012 में संशोधन को प्रदान की स्वीकृति
मुआवजा प्रक्रिया को बनाया सरल, पत्थर और रेत पर रॉयल्टी बढ़ाई
चंडीगढ़ 26 जून – हरियाणा मुख्यमंत्री श्री नायब सिंह सैनी की अध्यक्षता में आज यहाँ आयोजित राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में हरियाणा लघु खनिज रियायत, भण्डारण, खनिजों का परिवहन तथा अवैध खनन रोकथाम नियम, 2012 में संशोधन को स्वीकृति प्रदान की गई।
संशोधन के तहत , किसानों को मुआवजा और रेंट प्रदान करने की प्रक्रिया को अधिक सुगमता और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए सरल बनाया गया है। इसके अतिरिक्त, पत्थर और रेत के लिए रॉयल्टी दरों में संशोधन किया गया है।
पत्थर की रॉयल्टी 45 रुपये से बढ़ाकर 100 रुपये प्रति टन की गई है, जबकि रेत की रॉयल्टी को 40 रुपये से बढ़ाकर 80 रुपये प्रति टन किया गया है।
बैठक में अंतर-राज्यीय खनिज परिवहन शुल्क लिए जाने को भी मंजूरी प्रदान की गई है। खनिजों के अंतर-राज्यीय परिवहन के लिए 100 रुपये प्रति टन का शुल्क लगाया जाएगा। यदि ई-ट्रांजिट में गंतव्य हरियाणा के भीतर है, तो अंतर-राज्यीय पारगमन शुल्क 100 रुपये निर्धारित किया गया है, और यदि ई-ट्रांजिट में गंतव्य हरियाणा के बाहर कहीं भी है, तो 20 रुपये निर्धारित किया गया है।
इन नियमों को हरियाणा लघु खनिज रियायत, खनिजों का भण्डारण, परिवहन एवं अवैध खनन निवारण नियम (संशोधन) नियम, 2025 कहा जाएगा।
शहरी स्थानीय निकाय विभाग के लिए “हरियाणा रैशनलाईजेशन आयोग” की सिफारिशों को सैद्धांतिक मंजूरी
चंडीगढ़, 26 जून- हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री नायब सिंह सैनी की अध्यक्षता में आज यहां हुई मंत्रिमंडल की बैठक में शहरी स्थानीय निकाय विभाग के लिए “हरियाणा रैशनलाईजेशन आयोग” की सिफारिशों को सैद्धांतिक मंजूरी दी गई।
हरियाणा सरकार द्वारा 28 मार्च 2023 को रैशनलाईजेशन आयोग का गठन विभिन्न सरकारी विभागों में पदों के पुनर्गठन की सिफारिशों हेतु किया गया था। इस आयोग का उद्देश्य सरकारी इकाइयों को अधिक कुशल, पारदर्शी और जन आवश्यकताओं व भविष्य की मांगों के अनुरूप बनाना है।
आयोग ने शहरी स्थानीय निकाय विभाग सहित हरियाणा राज्य के 16 सरकारी विभागों और अन्य संस्थाओं से संबंधित रिपोर्ट प्रस्तुत की हैं। सरकार ने निर्णय लिया है कि शुरुआत में “रैशनलाईजेशन आयोग” की सिफारिशों को पायलट प्रोजेक्ट के रूप में पांच विभागों—जनस्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग, सिंचाई एवं जल संसाधन विभाग, खनन एवं भूविज्ञान विभाग, बागवानी विभाग तथा शहरी स्थानीय निकाय विभाग में लागू किया जाएगा।
राज्य सरकार ने एक ऐतिहासिक निर्णय लेते हुए प्रदेश की सभी नगरपालिकाओं में पदों का युक्तिकरण करते हुए उन्हें वर्तमान आवश्यकताओं के अनुरूप करने का निर्णय लिया है। प्रदेश की कुल 87 नगरपालिकाओं में पदों की स्वीकृत संख्या को 31,533 से बढ़ाकर 36,381 कर दिया गया है, जिससे कुल 4,848 नए पदों की वृद्धि होगी। इसके अतिरिक्त, शहरी स्थानीय निकाय निदेशालय, हरियाणा में वर्तमान में स्वीकृत 195 पदों की संख्या बढ़ाकर 335 की गई है।
नगरपालिकाओं में ग्रुप-डी (जिसमें सफाई कर्मचारी भी शामिल हैं) के मौजूदा 27,223 पद यथावत रखे गए हैं। इसके अलावा अभियंत्रिकी, स्वच्छता, सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी), कराधान आदि क्षेत्रों में नए पदों का सृजन किया गया है।
यह रैशनलाईजेशन प्रयास नगरपालिकाओं को सेवाओं में गुणवत्ता सुधारने, विकास परियोजनाओं के शीघ्र क्रियान्वयन, सफाई कार्यों को बेहतर करने और सामाजिक अवसंरचना, जलापूर्ति, स्ट्रीट लाइटिंग व अर्बन मोबिलिटी को बढ़ावा देने में सक्षम बनाएगा। इससे नगरपालिकाएं जन शिकायतों का शीघ्र निवारण कर सकेंगी, जिससे शिकायतों में कमी आएगी और नागरिकों की संतुष्टि व प्रसन्नता में वृद्धि होगी। इसके अतिरिक्त, नगरपालिकाओं को लगभग 1100 करोड़ रुपये वार्षिक अतिरिक्त राजस्व प्राप्त होने की संभावना है।
मंत्रिमंडल ने विकास परियोजनाओं, 2025 के लिए नई भूमि खरीद नीति को दी मंजूरी
स्वैच्छिक भूमि खरीद नीति, 2025 के तहत भूमि मालिकों को दिए गए अधिकार
चंडीगढ़, 26 जून – हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री नायब सिंह सैनी की अध्यक्षता में आज यहां हुई मंत्रिमंडल की बैठक में विकास परियोजनाओं के लिए सरकारी विभागों, उसकी संस्थाओं अर्थात बोर्ड एवं निगमों तथा सरकारी कंपनियों को स्वेच्छा से दी जाने वाली भूमि खरीद के लिए नीति, 2025 को मंजूरी दी गई।
नीति का उद्देश्य, भूमि मालिकों को एक ऐसा मंच प्रदान करना है, जिससे वे उपयुक्त खरीदारों की अनुपलब्धता के कारण अत्यधिक आवश्यकता के समय अपनी भूमि को कम दामों पर बेचने से बच सकें। इसके अलावा, भूमि मालिक अपनी भूमि की पेशकश करके और उसका अधिकतम मूल्य प्राप्त करके सरकारी परियोजनाओं के निर्णय लेने में भाग ले सकते हैं।
राज्य सरकार ने विकास परियोजनाओं के लिए सरकार को स्वेच्छा से दी जाने वाली भूमि की खरीद के लिए नीति अधिसूचित की थी, ताकि भूमि मालिकों द्वारा भूमि की डिस्ट्रेस सेल को रोका जा सके और राज्य में विकास परियोजनाओं के स्थान का चयन करते समय उन्हें निर्णय लेने में शामिल किया जा सके। इसके पश्चात यह महसूस किया गया कि इस नीति को और व्यापक बनाने की आवश्यकता है, जिसमें भूमि के एकत्रीकरण के लिए एग्रीगेटर्स को प्रोत्साहन देने तथा ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से उनके पंजीकरण से संबंधित प्रावधानों को शामिल किया जाए। इसके लिए एक समेकित नीति तैयार की गई है, जो वर्ष 2017 की नीति और उसमें समय-समय पर किए गए संशोधनों को प्रतिस्थापित करती है।
विकास परियोजनाओं के लिए सरकारी विभाग, उसकी संस्थाओं, यानी बोर्ड और निगमों और सरकारी कंपनियों को स्वेच्छा से दी जाने वाली भूमि की खरीद नीति, 2025 में विभिन्न प्रावधान किए गए हैं। इनमें, स्वीकार्य प्रस्ताव (एडमिशिबल ऑफर) की परिभाषा और एग्रीगेटर की परिभाषा में संशोधन किया गया है। भाग ए में प्रावधान किया गया है कि भूमि मालिक अपने हिस्से को आंशिक या पूर्ण रूप से बेच सकता है, जो पहले की नीति में उपलब्ध नहीं था। इसके अलावा, प्रस्तावित भूमि तक 5 करम का पहुंच मार्ग (एप्रोच रोड) सुनिश्चित करने का प्रावधान किया गया है।
यह सुनिश्चित किया गया है कि भूमि का स्वामित्व स्पष्ट हो और भूमि कभी भी “शामलात देह” या “मुश्तरका मालिकान” आदि की श्रेणी में न आती हो। नाबालिग, मंदबुद्धि अथवा मानसिक रूप से अस्वस्थ व्यक्तियों के अधिकारों की सुरक्षा हेतु न्यायालय की विधिवत स्वीकृति आवश्यक की गई है। भूमि की दरों की तर्कसंगतता संबंधित उपायुक्त द्वारा सुनिश्चित की जाएगी।
सुविधा शुल्क एग्रीगेटर को कुल लेनदेन लागत का 1 प्रतिशत तथा दो किस्तों में दिया जाएगा। पहली किश्त 0.5 प्रतिशत रजिस्ट्री पूर्ण होने पर और शेष 0.5 प्रतिशत म्यूटेशन स्वीकृत होने तथा कब्जा सौंपे जाने के बाद दी जाएगी। भूमि एकत्रीकरण की दिशा में प्रयास करने वाले तथा परियोजना की कुल संभावित भूमि का कम से कम 70 प्रतिशत अपलोड करने वाले एग्रीगेटर को प्रोत्साहन भुगतान दिया जाएगा, जो भूमि की दरों के आधार पर 1,000 रुपए प्रति एकड़ से लेकर 3,000 रुपए प्रति एकड़ तक होगा। यदि भूमि कलेक्टर दर पर उपलब्ध करवाई जाती है तो 3 हजार रुपये प्रति एकड़, यदि भूमि कलेक्टर दर से अधिकतम 20 प्रतिशत अधिक दर पर उपलब्ध करवाई जाती है तो 2 हजार रुपये प्रति एकड़, और यदि भूमि इससे भी अधिक दर पर उपलब्ध करवाई जाती है तो 1 हजार रुपये प्रति एकड़ की दर से प्रोत्साहन दिया जाएगा।
भारत सरकार के विभाग एवं उनके निकाय भी अपनी विकास परियोजनाओं के लिए इस नीति के तहत भूमि खरीद की प्रक्रिया अपना सकते हैं।