“भारत का किसान अब तक कर्ज में पैदा होता था, कर्ज में जीता था और कर्ज में ही मर जाता था।

अब मोदी सरकार की वाहन स्क्रैप नीति उसी कर्ज के चक्रव्यूह में मध्यम वर्गीय परिवारों को भी धकेलने में लगी है।”

गुरुग्राम, 2 जुलाई 2025 – कांग्रेस नेत्री पर्ल चौधरी ने केंद्र सरकार की वाहनों की स्क्रैप नीति को लेकर तीखा हमला बोला है। उन्होंने इसे मध्यम वर्गीय परिवारों की आर्थिक रीढ़ तोड़ने वाली नीति करार देते हुए भाजपा सरकार पर जनविरोधी सोच का आरोप लगाया।

चौधरी ने कहा कि कांग्रेस के भविष्यद्रष्टा नेता संजय गांधी ने जब गुड़गांव में मारुति फैक्ट्री की स्थापना की थी, तो उनका सपना था कि आम भारतीय भी कार का मालिक बन सके। “मारुति 800 सिर्फ एक गाड़ी नहीं थी, वह आत्मसम्मान थी, गति थी, आज़ादी का अहसास थी।

लेकिन आज भाजपा सरकार उस सपने को कुचलने में लगी है,” उन्होंने कहा।

चौधरी का कहना है कि सरकार की यह नीति आम जनता को हर दस साल में एक नई गाड़ी खरीदने पर मजबूर करती है, भले ही पुरानी गाड़ी सिर्फ 60,000 किलोमीटर ही क्यों न चली हो। “यह नीति प्रदूषण रोकने के लिए नहीं, बल्कि ऑटोमोबाइल कंपनियों के लिए नया बाज़ार तैयार करने के लिए बनाई गई है।”

उन्होंने सवाल उठाया,
” दिल्ली एनसीआर के गुड़गांव जिले के पटौदी, फर्रुखनगर, सोहना और बादशाहपुर ब्लॉक के कितने मिडिल क्लास परिवार हैं जो हर दस साल पर चार लाख रुपये बचा सकते हैं,
और वह भी पढ़ाई, सिलाई, दवाई, रजाई और महंगाई के बाद?, जरा सोचिए…”

पर्ल चौधरी ने यह भी कहा कि दिल्ली की हवा साफ करने के नाम पर, उन गांवों में रहने वाले परिवारों की गाड़ियाँ स्क्रैप की जा रही हैं, जहाँ सरकारी बसें तक नहीं पहुँचतीं। “माँ-बाप अपनी छोटी सी पुरानी गाड़ी से बेटियों को गुड़गांव पढ़ने भेजते हैं, और भाजपा सरकार उन्हें कह रही है, गाड़ी पुरानी है, स्क्रैप करो!”

उन्होंने सरकार की नीयत पर सवाल उठाते हुए पूछा,
“अगर मोदी सरकार को प्रदूषण की वास्तव में चिंता होती, तो पिछले 11 सालों में बंधवारी, गाजीपुर, ओखला और भलस्वा जैसे इलाकों में खड़े कूड़े के पहाड़ अब तक साफ हो चुके होते। पर वो नहीं हिले।”

चौधरी ने जोर देते हुए कहा कि क्षेत्र की जनता, इस नीति का विरोध करती है और मांग करती है कि, जब तक दिल्ली एनसीआर के हर गांव-कस्बे में सस्ती, सुरक्षित और नियमित सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था नहीं दी जाती, तब तक ऐसी स्क्रैप नीति अन्यायपूर्ण, अमानवीय और कॉरपोरेट-परस्त मानी जाएगी।

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