“हरियाणा की सरकारी नौकरियों पर पहला हक हरियाणवियों का, नायब तहसीलदार की नियुक्ति पर सरकार को घेरा”

गुरुग्राम, 3 जुलाई। गुरुग्राम के समाजसेवी इंजीनियर गुरिंदरजीत सिंह ने हरियाणा सरकार द्वारा बिहार के अधिकारी रिंकू यादव को नायब तहसीलदार के पद पर डिपुटेशन पर नियुक्त किए जाने पर तीखा एतराज जताया है। उन्होंने इसे राज्य के बेरोजगार युवाओं के साथ खुला धोखा और हक पर डाका करार दिया।

गुरिंदरजीत सिंह ने स्पष्ट कहा कि “हरियाणा की जनता यह कतई बर्दाश्त नहीं करेगी कि जब उनका खुद का युवा बेरोजगार घूम रहा है, तब सरकारी पदों पर बाहरी लोगों की तैनाती की जाए।”

बाहरी नियुक्ति की पूरी जानकारी:

एक आदेश के तहत बिहार सरकार में सर्कल ऑफिसर रहे रिंकू यादव को हरियाणा सरकार के राजस्व विभाग में नायब तहसीलदार के पद पर एक वर्ष की अवधि के लिए डिपुटेशन पर नियुक्त किया गया है। यह आदेश 19 जून 2025 को हरियाणा सरकार के राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग द्वारा जारी किया गया।

गंभीर सवाल उठाए गए:

गुरिंदरजीत सिंह ने पूछा –

  • क्या 3.25 करोड़ की आबादी वाले हरियाणा राज्य में एक भी योग्य युवा नहीं था?
  • क्या नायब तहसीलदार जैसी महत्वपूर्ण पोस्ट अब हरियाणा के बाहर के लोगों को देनी होगी?
  • क्या हरियाणा के युवाओं के लिए अब केवल चपरासी, क्लर्क या सिपाही की नौकरी ही शेष रह गई है?

मांगें और प्रस्ताव:

  1. राज्य सरकार सभी विभागों की खाली भर्तियों की डिपार्टमेंट वाइज सूची तुरंत सार्वजनिक करे।
  2. राज्य में सभी सरकारी नौकरियों में पहली प्राथमिकता हरियाणा के युवाओं को दी जाए।
  3. विधानसभा में विधेयक लाया जाए कि हरियाणा की सरकारी नौकरियां सिर्फ हरियाणा निवासियों के लिए आरक्षित हों।
  4. बाहरी अधिकारियों की डिपुटेशन पर रोक लगाई जाए जब तक कि राज्य में पर्याप्त योग्य उम्मीदवार उपलब्ध हों।

“बीजेपी की नायब सरकार पूरी तरह विफल” – गुरिंदरजीत सिंह

उन्होंने कहा कि राज्य की बीजेपी सरकार ने पहले BPL सूची से लाखों नाम काटे, अब सरकारी नौकरियां भी छीनकर बाहरियों को दी जा रही हैं। ये न केवल प्रशासनिक अन्याय है, बल्कि युवाओं के सपनों की हत्या है।

“हरियाणा के पदों पर हरियाणवी नियुक्त नहीं होंगे, तो युवाओं का भरोसा इस सरकार पर कैसे रहेगा?”

आगामी आंदोलन की चेतावनी

गुरिंदरजीत सिंह ने स्पष्ट कहा कि यदि राज्य सरकार ने हरियाणा के युवाओं के अधिकारों की रक्षा नहीं की, तो वह इस मुद्दे को लेकर प्रदेशभर में युवाओं के साथ मिलकर आंदोलन खड़ा करेंगे।

निष्कर्ष:
हरियाणा सरकार के इस डिपुटेशन ऑर्डर से उठे सवाल एक बार फिर राज्य की भर्ती प्रक्रिया, पारदर्शिता और क्षेत्रीय प्राथमिकता को लेकर बहस को तेज कर रहे हैं। अब देखना होगा कि सरकार युवाओं की इन मांगों पर क्या प्रतिक्रिया देती है।

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