– समाजसेवी इंजीनियर गुरिंदरजीत सिंह का सवाल

MCG कार्यालय की बेसमेंट में भरा पानी, लिफ्ट बंद, बिजली गुल – प्रशासनिक दावों की पोल खुली

गुरुग्राम, 11 जुलाई। शहर को जलभराव से बचाने के दावों के बीच खुद नगर निगम गुरुग्राम (MCG) का दफ्तर पानी में डूब गया। बेसमेंट में दो फीट तक भरे पानी ने न केवल लिफ्ट को ठप कर दिया, बल्कि बिजली गुल रहने से सारा कामकाज भी ठप पड़ गया। इस पर समाजसेवी इंजीनियर गुरिंदरजीत सिंह ने तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा—

❝जब MCG खुद अपने कार्यालय का पानी नहीं निकाल पा रही, तो गुरुग्राम जैसे विशाल शहर को जलभराव से कैसे बचाएगी?❞

गंभीर हालात: लिफ्ट तक में घुसा पानी, कर्मचारी बाल्टियों से निकालते रहे

बुधवार की रात मूसलधार बारिश के बाद नगर निगम कार्यालय की बेसमेंट में दो-दो फीट तक पानी भर गया। यहां तक कि लिफ्ट के चेंबर में पानी घुसने से लिफ्ट खराब हो गई। कर्मचारी बाल्टी और मोटर से पानी निकालते नजर आए
लिफ्ट लॉबी तक पानी भरा रहा, जहां कबाड़ जमा था, और वह भी जलमग्न हो गया। सुबह तक भी पानी पूरी तरह नहीं निकाला जा सका।

“ये सिस्टम है या मज़ाक?” – गुरिंदरजीत सिंह

गुरिंदरजीत सिंह ने कहा, ❝MCG दफ्तर में कमिश्नर से लेकर SDO, JE और ज़ोनल इंचार्ज तक बैठते हैं। जब ये अपने ही परिसर को जलभराव से नहीं बचा पा रहे, तो पूरे शहर को कैसे नियंत्रित करेंगे? ये सिस्टम है या मज़ाक?❞

बिजली नहीं, कंप्यूटर काम नहीं, जनता परेशान

दफ्तर में कई घंटों तक बिजली नहीं थी। कंप्यूटर बंद होने से सारा कामकाज ठप रहा, और जो लोग काम के लिए आए थे उन्हें भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। बिजली दोपहर बाद आई, तब जाकर कार्य शुरू हो सका।

शहर में कहां-कहां रहा जलभराव?

बारिश के 36 घंटे बाद भी कई इलाकों में पानी जमा रहा। नगर निगम के तमाम दावों के बावजूद, सेक्टर-4, सूरत नगर, धनवापुर रोड, शिवाजी नगर, सुभाष नगर, कादीपुर, बसई गांव, धनकोट, डीएलएफ, ग्लैरिया और गोल्फ कोर्स रोड जैसे इलाके जलमग्न रहे। इससे साफ है कि जल निकासी का सिस्टम या तो नाकाफी है या निष्क्रिय।

समाजसेवी गुरिंदरजीत सिंह ने सुझाए 4 ठोस समाधान

  1. स्थायी जलनिकासी योजना
    – आधुनिक ड्रेनेज सिस्टम और उसका नियमित रखरखाव।
  2. MCG कार्यालय को मॉडल बनाना
    – नगर निगम को खुद का कार्यालय जलभराव-मुक्त कर मिसाल पेश करनी चाहिए।
  3. जवाबदेही तय हो
    – ज़ोनल इंजीनियर से कमिश्नर तक हर बारिश के बाद ऑडिट रिपोर्ट पेश की जाए।
  4. पब्लिक पोर्टल की स्थापना
    – नागरिक जलभराव की शिकायत ऑनलाइन दर्ज कर सकें और उनका स्टेटस ट्रैक कर सकें।

निष्कर्ष:

“36 घंटे बाद भी निगम के दफ्तर से पानी नहीं निकला, साख पानी में बह गई”
– गुरिंदरजीत सिंह

नगर निगम गुरुग्राम को अब दावों की जगह ज़मीन पर काम करके दिखाना होगा, वरना हर बारिश में सिस्टम इसी तरह डूबता रहेगा।

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