योग गुरु जयप्रकाश गौतम को किया गया सम्मानित, गुरु पूजन और योग साधना से गूंजा वातावरण

गुरुग्राम, 11 जुलाई। युवा योगा संगठन द्वारा कमला नेहरू पार्क गुरुग्राम में गुरु पूर्णिमा के शुभ अवसर पर भावपूर्ण गुरु पूजन समारोह का आयोजन किया गया। यह आयोजन प्रातः 5 से 6 बजे तक प्रतिदिन होने वाले नियमित निःशुल्क योगाभ्यास सत्र के साथ सम्पन्न हुआ, जो वर्ष 2008 से निरंतर योग गुरु श्री जयप्रकाश गौतम योगाचार्य के मार्गदर्शन में संचालित हो रहा है।

योग से आरंभ, गुरु पूजन से समापन

गुरु पूर्णिमा के दिन विशेष रूप से नए व पुराने योग साधकों ने उपस्थित होकर योगाभ्यास किया। इसके उपरांत योग गुरु श्री जयप्रकाश गौतम का गुरु पूजन कर सम्मान किया गया। उन्हें पगड़ी पहनाकर, मिष्ठान्न भेंट कर तथा उपहार स्वरूप विभिन्न स्मृतिचिह्न समर्पित कर उनके प्रति श्रद्धा प्रकट की गई।

साधकों ने साझा किए अनुभव

योग साधक राजकुमार ने बताया कि गुरुजी प्रतिदिन प्रातः 4:15 बजे पार्क पहुंचकर सभी व्यवस्थाएं स्वयं करते हैं और समय पर सत्र की शुरुआत करते हैं। योग सत्र में योगासन, प्राणायाम तथा भजन-कीर्तन के साथ पार्क परिक्रमा भी की जाती है।
योग साधिका बहन अंजू जयसवाल ने कहा, “गुरुजी का एक ही उद्देश्य है — शहरवासी स्वस्थ और निरोग रहें।” वे योग को कर्मयोग और समय की पाबंदी से जोड़ते हैं और योग की बारीकियों को बेहद सरल और व्यावहारिक तरीके से समझाते हैं।

गुरुवर का संदेश: योग, पर्यावरण और समाज के प्रति जिम्मेदारी

अपने प्रेरणादायक संदेश में योग गुरु जयप्रकाश गौतम ने कहा –

“स्वस्थ जीवन के लिए नियमित योग जरूरी है। हर नागरिक को प्रातः काल कुछ समय योग के लिए निकालना चाहिए। साथ ही एक पेड़ अवश्य लगाएं, पानी की बर्बादी रोकें, पर्यावरण की रक्षा करें और अपने आसपास स्वच्छता रखें।”

गुरुजी ने सभी गुरुग्रामवासियों को कमला नेहरू पार्क में आयोजित निःशुल्क योग कक्षा में भाग लेने का निमंत्रण दिया।

इन प्रमुख योग साधकों ने दी उपस्थिति

कार्यक्रम में सैकड़ों साधकों ने भाग लिया, जिनमें प्रमुख रूप से —
श्री रमेश चुग, आनंद नागपाल, ब्रह्म प्रकाश, वीरेंद्र चौहान, श्याम सुंदर, बलजीत सिंह, वीरेंद्र कटारिया, राजकुमार, अशोक कटारिया, महेश चंद्र, मोहित भारद्वाज, बांकेलाल, सन्नी, बनवारी लाल शर्मा आदि सम्मिलित थे।
महिला साधकों में बहन अंजू जयसवाल, कविता संदूजा, कंचन, अनीता, डिंपल चौहान, अंजना, पुष्पा सेठी, गुंजन बिट्टू एवं लाडो सहित अनेक मातृशक्ति ने सक्रिय भागीदारी निभाई।

निष्कर्ष
गुरु पूर्णिमा पर आयोजित यह आयोजन न केवल गुरु-शिष्य परंपरा की अनुपम मिसाल बना, बल्कि योग, सेवा और समाज के प्रति उत्तरदायित्व का सजीव संदेश भी प्रसारित कर गया।

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