गुरुग्राम नगर निगम में भ्रष्टाचार की खुली बानगी, CMO पोर्टल पर की गई शिकायत की अब तक नहीं हुई जांच
गुरुग्राम, 13 जुलाई। जहां एक ओर हरियाणा सरकार के मुख्यमंत्री, मंत्री और नेता मंचों से “0% भ्रष्टाचार” का दावा करते नहीं थकते, वहीं दूसरी ओर गुरुग्राम नगर निगम में भ्रष्टाचार के मामलों की हकीकत इन दावों को झूठा साबित कर रही है। एक ताज़ा मामला XEN संजीव कुमार से जुड़ा है, जिन पर 2 लाख रुपये रिश्वत मांगने का आरोप है। शिकायत 16 अप्रैल 2025 को मुख्यमंत्री शिकायत पोर्टल (CM Window) पर दर्ज कराई गई थी, जिसका रजिस्ट्रेशन नंबर CMOFF/N/2025/037141 है।
हैरत की बात यह है कि यह गंभीर भ्रष्टाचार की शिकायत उसी XEN को जांच के लिए भेज दी गई, जिस पर आरोप लगे थे। आज तक न तो कोई जांच शुरू हुई, न ही कोई कार्रवाई। मुख्यमंत्री कार्यालय से कई बार इस मामले की एटीआर (Action Taken Report) भी मांगी गई, लेकिन नगर निगम गुरुग्राम के अधिकारियों ने इसे पूरी तरह नज़रअंदाज़ कर रखा है।
गुणवत्ता मूल्यांकन में भी मनमानी, ठेकेदार की प्रोफाइल खराब करने का आरोप
विवाद यहीं नहीं रुका। शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया है कि संबंधित XEN ठेकेदारों के काम की गुणवत्ता के आधार पर 100 में से अंक देते हैं, जिससे उनकी प्रोफाइल EMD छूट के लिए तय होती है।
एक मामले में, जब ठेकेदार का काम पूरा हो गया और संबंधित अधिकारी ने कार्य को सत्यापित कर दिया, तब XEN संजीव कुमार ने उसे बेहद कम अंक दिए। आश्चर्यजनक बात यह है कि उन्होंने फाइल में यह भी लिखा कि काम उनकी निगरानी में नहीं हुआ। अब सवाल उठता है, जब काम आपकी निगरानी में हुआ ही नहीं, और न ही कोई शिकायत है, तो अंक कम देकर ठेकेदार की छवि और अवसरों को नुकसान क्यों पहुंचाया गया?
मुख्यमंत्री के आदेशों के बावजूद कार्रवाई नहीं
करीब तीन महीने पहले मुख्यमंत्री गुरुग्राम दौरे पर आए थे और इसी XEN के खिलाफ एक अन्य शिकायत पर नगर निगम आयुक्त और डीसी को कार्रवाई के निर्देश दिए गए थे, लेकिन आज तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई। इससे साफ है कि सरकार का सुशासन और पारदर्शिता का दावा ज़मीन पर दम तोड़ चुका है।
नगर निगम में भ्रष्टाचार कोई नई बात नहीं
गुरुग्राम नगर निगम भ्रष्टाचार को लेकर अक्सर सुर्खियों में रहा है। कभी नकली पार्षद चिट्ठी लगाकर भुगतान, कभी बिना कार्य के फर्जी पेमेंट, तो कभी रिश्वत लेते पकड़े गए अधिकारी, पर किसी पर न कार्रवाई होती है, न सज़ा।
अब देखना यह है कि क्या इस बार भी मामला पुराने ढर्रे पर दबा दिया जाएगा, या फिर मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी, नगर निगम आयुक्त, और मंत्री विपुल गोयल जैसे वरिष्ठ नेता इस भ्रष्टाचार के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई करके जनता का भरोसा बहाल करेंगे — वह भरोसा जो पिछले दिनों बारिश में 9 लोगों की दर्दनाक मौत के बाद लगभग समाप्त हो चुका है।